CBSE: सीबीएसई परीक्षाओं के पेपर लीक होने की समस्या के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है। जी हाँ पिछले सत्र यानि 2018 में मार्च-अप्रैल में सीबीएसई बोर्ड 10वीं के गणित और 12वीं के इकोनॉमिक्स के पेपर लीक हुए थे जिसकी वजह से छात्रों के साथ ही सीबीएसई को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था। लेकिन अब माइक्रोसॉफ्ट ने सीबीएसई के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जिसकी मदद से पेपर लीक होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। माइक्रोसॉफ्ट के इस सॉफ्टवेयर की मदद से छात्रों को डिजिटल क्वेश्चन पेपर दिए जाएंगे।
आपको बता दें कि सीबीएसई के देश भर में 20,299 स्कूल है जिनमें लाखों छात्र-छात्राएं अध्ययन करते है। पेपर लीक होने की वजह से लोगों ने सीबीएसई पर कई सवाल उठाए थे। पेपर लीक की इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोर्ड ने डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार की योजना बनाई थी।
माइक्रोसॉफ्ट को 3 महीने लगे-
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया को इस सिस्टम को बनाने में तीन महीने का समय लगा है। बताया जा रहा है कि इस सिस्टम का सफल परीक्षा जुलाई महीने में हुई 10वीं की कंपार्टमेंट परीक्षा में 487 केंद्रों पर किया गया था।
ऐसे काम करेगा ये सिस्टम-
माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के एमडी और क्लाउड एंड एंटरप्राइज के वाइस प्रेसिडेंट अनिल भंसाली ने बताया कि हमारे डिजिटल प्लेटफॉर्म के तहत परीक्षा केंद्रों में एग्जाम शुरू होने से महज 30 मिनट पहले पेपर भेजा जाएगा। इस दौरान अगर पेपर लीक भी हो जाता है तो भी साइबर क्रिमिनल उसे परीक्षा शुरू होने के 30 मिनट बाद ही डाउनलोड कर पाएंगे। इसके अलावा पेपर पर संबंधित सेंटर का वॉटर मार्क भी होगा, जिससे उसकी पहचान हो सकेगी।
मौजूदा सिस्टम से ऐसे अलग है नया सॉफ्टवेयर-
आपको बता दें कि मौजूदा समय में सीबीएसई एडमिनिस्ट्रेटर सेंटरों में ईमेल के माध्यम से वन ड्राइव का एक लिंक भेजता है। इसी लिंक में क्वेश्चन पेपर होता है जो परीक्षा केंद्रों पर डाउनलोड किया जाता है। लेकिन नए सॉफ्टवेयर में एग्जाम कंट्रोलर को विंडाज 10 और माइक्रोसॉफ्ट 365 के माध्यम से प्रोसेस ट्रैक करने की अनुमति होगी। यह प्रोसेस पूरी तरह से ऑथेंटिक रहेगी जिसमें ओटीपी और बायोमेट्रिक्स के जरिए सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इस प्रोसेस में एग्जाम पेपर डाउनलोड करने से पहले परीक्षकों को अपना वेरिफिकेशन कराना होता है।