राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को इलाहबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हांगलू के इस्तीफे पर तत्काल प्रभाव से अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। साथ ही महामहिम ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) को कुलपति के खिलाफ फिर से एक जांच समिति का गठन करने का भी निर्देश दिया है। जो कि संस्थान में प्रोफेसर हांगलू को लेकर सामने आई वित्तीय, प्रशासनिक अनियमित्ताओं, अकादमिक गड़बड़ियों और महिला उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में पूर्व में गठित की गई जांच और उस पर राष्ट्रीय महिला आयोग की कार्रवाई रिपोर्ट के बाद सामने आई अंतरिम रिपोर्ट में की गई सिफारिशों की जांच करेगी। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भले ही इलाहबाद विश्वविद्यालय के कुलपति का इस्तीफा राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया है। लेकिन भविष्य में उनके खिलाफ जांच चलती रहेगी।
जांच समिति का खाका
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस मामले को लेकर विभाग ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर डी़ पी़ सिंह की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर दिया है। उनके अलावा इसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक (मध्य-प्रदेश) के कुलपति प्रकाशमणि त्रिपाठी और गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति रामाशंकर दुबे भी शामिल हैं। प्रो़ हांगलू ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए बीते 31 दिसंबर 2019 को ही एक पत्र के जरिए अपना इस्तीफा केंद्रीय एमएचआरडी मंत्रालय को भेज दिया था। जिसे तुरंत केंद्रीय एमएचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने राष्ट्रपति कार्यालय को प्रेषित कर दिया था। हालांकि अभी प्रो़ हांगलू के कार्यकाल का एक वर्ष शेष बचा था और उन्हें इस वर्ष के अंत में सेवानिवृत होना था।
वरिष्ठ प्रोफेसर को संस्थान की जिम्मेदारी
प्रो़ हांगलू का इस्तीफा राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किए जाने के बाद मंत्रालय के निर्देश पर इलाहबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी संस्थान के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को सौंप दी गई है। वह इस पद पर मंत्रालय द्वारा किसी नए नियमित कुलपति की नियुक्ति करने तक या अगले आदेश तक कार्यरत रहेंगे।