अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के लिए एक बड़ी राहत वाला फैसला सुनाया है। पांच जजों की पीठ की ओर से सुनाए गये फैसले में बताया गया है कि कई सेक्टर में आधार कार्ड अनिवार्य नही किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार न होने पर किसी भी व्यक्ति को अपने अधिकार लेने से रोका नही जा सकता है। वहीं बच्चों के एडमिशन के लिए कहा कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों का स्कूल में एडमिशन के लिए आधार कार्ड जरूरी नही है।
अब कॉम्पिटिशन एग्जाम के लिए आधार कार्ड जरूरी नही-
आधार कार्ड नही होने की वजह से अब किसी भी छात्र को कॉम्पिटिशन एग्जाम के लिए रोका नही जा सकता है। जी हाँ सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि कॉम्पिटिशन एग्जाम का आयोजन करने वाले सीबीएसई, एनटीए और दूसरे बोर्ड अगर आधार कार्ड को जरूरी बनाते है तो ये गलत है वे ऐसा नही कर सकते है। हाल ही में एनटीए ने भी आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर मना कर दिया है। आपको बता दें कि आधार कार्ड नही होने की वजह से कई छात्रों को नीट, नेट जेईई जैसे कॉम्पिटिशन एग्जाम से वंचित कर दिया जाता था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट आधार कार्ड की अनिवार्यता के इस फैसले से अब कोई भी छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित नही रहेगा।
अब स्कूलों में आधार कार्ड जरूरी नही-
सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में भी आधार कार्ड की अनिवार्यता खत्म कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आप पहचान के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल कर सकते है। लेकिन कोई भी स्कूल आधार कार्ड को अनिवार्य नही कर सकता है। कोर्ट ने कहा है कि आधार एक्ट में ऐसा कुछ नही है जिससे किसी की निजता पर सवाल खड़ा किया जा सके। जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि आधार कार्ड गरीबों की ताकत का जरिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की संभावना नही है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करना मतलब संविधान पर हमला करने जैसा है। जस्टिस सीकरी ने आगे कहा है कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ ले गई, लेकिन एक बार फिर तकनीक हमें अंगूठे की तरफ ले जा रही है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले ने उन छात्रों को काफी राहत पहुंचाई है जिनके पास आधार कार्ड नही है, त्रुटिपूर्ण या बन रहे है।