Self-Sufficient Tips: जीवन में सफल और खुश वही रह सकता है, जो अपनी क्षमताएं पहचानता है, अपने तरीके से मनचाहा काम करता है। लेकिन कई बार हम अंजाने में ही अपने करीबियों को खुश करने के लिए उनके हाथों की कठपुतली बन जाते हैं या आस-पास के हालात से प्रभावित होकर काम करने लगते हैं। इसका हमारे जीवन पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है और इससे कैसे उबर सकते हैं, जानिए।
क्षमताओं की पहचान करने के टिप्स
अपनी क्षमताओं की करें पहचान
कभी-कभी एकांत में बैठने पर क्या आपको ऐसा महसूस नहीं होता कि हम अपनी जिंदगी को अपनी तरह से नहीं जी पा रहे हैं? अगर ऐसा है तो इसका मतलब है कि हम अपने इर्द-गिर्द मौजूद लोगों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं। हमारी दिनचर्या का बड़ा हिस्सा या तो मित्रों, सहकर्मियों या परिजनों के काम करने में बीत जाता है या उन्हें खुश करके उनकी प्रशंसा हासिल करने में। कभी हम सोशल मीडिया के प्रभाव में आ जाते हैं, तो कभी टीवी पर दिखाए गए किसी विज्ञापन से इंप्रेस होकर अपनी जीवनशैली, शौक और खान-पान को बदल लेते हैं। ऐसा लगता है कि हमारी खुशी या दुखी रहने के कारण भी दूसरे लोग और उपभोक्ता संस्कृति के पोषक कॉरपोरेट जगत के नुमाइंदे ही तय करते हैं।
अपने ढंग से जिएं अपनी लाइफ
दूसरों द्वारा नियंत्रित जिंदगी की यह स्थिति कभी भी सुखदायक नहीं हो सकती। हमें अपनी जिंदगी अपने तरीके से, अपनी आंतरिक खुशी के लिए और अपने वास्तविक लक्ष्य हासिल करने के लिए जीने का पूरा हक है। इसलिए समय पर इस स्थिति को समझकर इससे उबरने में ही भलाई है। मनोचिकित्सक एनी मोरन ने अपनी पुस्तक '13 काम जो समझदार लोग नहीं करते' में लिखा है- 'आप जैसा सोचते हैं, महसूस करते हैं और व्यवहार करते हैं, इसकी शक्ति यदि आप दूसरे लोगों को दे देते हैं तो आपका मानसिक दृष्टि से शक्तिशाली बनना असंभव हो जाता है। जब भी आप अपने लिए स्वस्थ भावनात्मक और शारीरिक सीमाएं तय नहीं करते तो जान लें कि आप दूसरों को अपने ऊपर कंट्रोल करने का पावर दे रहे हैं। दूसरों के हाथ की कठपुतली बनने से आप अपनी वास्तविक समस्याओं से नहीं निपट पाते। अपने लिए जरूरी लक्ष्यों को ओर ध्यान नहीं दे पाते, अपनी आलोचना के प्रति जरूरत से ज्यादा सेंसिटिव हो जाते हैं, अपने इमोशंस को कंट्रोल करने के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं और दूसरों को अपनी वैल्यू फिक्स करने की पावर दे देते हैं।'
दूसरों पर न रहें निर्भर
'ए माइंड ऑफ योर ओन' की लेखिका और होलिस्टिक साइकिएट्रिस्ट केली ब्रोगन में अपनी किताब 'ओन योरसेल्फ' में लिखा है कि अपनी संप्रभुता और अपना वास्तविक अस्तित्व वापस पाने के लिए दुनिया द्वारा बनाए गए नकली आवरण और मुखौटों को उतार फेंकें। दूसरों के द्वारा प्रभावित हमारा व्यक्तित्व अपनी क्षमता और मौलिकता खो चुका है, सच्चे सुकून के लिए इसे वापस हासिल करना जरूरी है।
साइकोलॉजी टुडे में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए सबसे जरूरी है, अपनी वास्तविकता को बरकरार रखना। हम सब अलग स्वभाव, गुणों, रुचियों और पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ जन्म लेते हैं और अलग माहौल में पल बढ़कर बड़े होते हैं। अपने इन स्वाभाविक गुणों और ऊंचाइयों को पोषित ना करके दूसरों जैसा बनने की कोशिश या आसानी से दूसरों द्वारा निर्देशित अथवा प्रभावित होने की कमजोरी हमारी खुद के प्रति सबसे बड़ी ज्यादती है।
अपनी इच्छाओं का करें सम्मान
मनोचिकित्सक डॉक्टर संजय गर्ग कहते हैं, 'लगातार दूसरों की मर्जी से जीने और रहने से कई बार दम घुटने लगता है और आप एक अनजानी सी बेचैनी के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में आपके व्यक्तित्व के पुष्पित, पल्लवित और विकसित होने के चांस कम होने लगते हैं। इससे आपकी तरक्की की राहें भी बंद हो जाती हैं। इसलिए अपने मन की इच्छाओं को दबाने की बजाय उन्हें पूरा करें। जैसी इच्छा हो वैसे कपड़े पहनें, मन-मुताबिक खाना खाएं, अपनी लाइफस्टाइल अपनी रुचि और सेहत के मुताबिक तय करें। यह आजादी आपको आंतरिक खुशी और तृप्ति देगी, जिससे आपका मन प्रफुल्लित रहेगा। साथ ही आपकी वर्किंग एफिशिएंसी और थिंकिंग पावर भी बढ़ेगी।'
अपनी पहचान कायम करें
व्यवहार विशेषज्ञ रेखा श्रीवास्तव कहती हैं, 'स्व की प्राप्ति और खुद के वास्तविक व्यक्तित्व को गढ़ने की दिशा में पहला कदम यह है कि आप सबसे पहले समझ ले कि झुंड में चलने वालों की कोई अलग पहचान नहीं होती। इसलिए अपनी मेंटल, फिजिकल और इमोशनल स्ट्रैंथ को अपने तरीके से प्राप्त करना आपकी जिम्मेदारी है। तभी आप जीवन के लक्ष्य हासिल कर सकेंगे और अपने जीवन साथी व बच्चों के प्रति अपने कर्तव्य का सही ढंग से निर्वाह कर सकेंगे।'
अपने लिए फायदेमंद चीजें चुनें
समाजशास्त्री प्रीति सुराणा कहती हैं, 'आपको हमेशा 'चार लोग क्या कहेंगे सिंड्रोम' से ग्रस्त नहीं रहना चाहिए। ब्रांडेड और लेटेस्ट ट्रेंड वाली एसेसरी, ड्रेसेस, फुटवियर्स खरीदने या विज्ञापनों के प्रभाव में अपनी रुचि या शारीरिक प्रकृति के विपरीत खाने की चीजें अपनाने में पैसे और ऊर्जा बर्बाद नहीं करनी चाहिए। आपके तन-मन को सबसे ज्यादा ऊर्जा अपनी शारीरिक जरूरत का फूड खाने से मिलेगी। आपके मन और शरीर को सुहाने वाले ड्रेसेस आपको एक एनर्जी से भर देंगे।'
आत्मनिर्भर बनने के सूत्र
-वास्तविक बनें।
-इस बात को समझें कि आप वास्तव में किन चीजों से प्रेरित होते हैं।
-नई चुनौतियां स्वीकार करें।
-अपनी क्षमताओं और शक्तियों को समझें।
-कभी किसी से तुलना न करें।
-काम करने का अपना मौलिक तरीका ईजाद करें।
-स्वयं को कमतर न समझें, अपनी महत्ता को स्वीकारें।