इस्लामिक स्टडीज में पीएचडी कैसे करें (Career in PHD Islamic Studies)

डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन इस्लामिक स्टडीज 3 से 4 साल तक की अवधि का एक शोध आधारित डॉक्टरेट स्तर का कोर्स है। इस्लामी स्टडीज में पीएचडी दो दृष्टिकोणों में किया जाता है; एक धर्मनिरपेक्ष परिप्रेक्ष्य में और दूसरा पारंपरिक इस्लामी परिप्रेक्ष्य में। यह अध्ययन इस्लाम के अकादमिक अध्ययन को संदर्भित करता है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर इस्लामिक स्टडीज में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में इस्लामिक स्टडीज में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

इस्लामिक स्टडीज में पीएचडी कैसे करें

• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन इस्लामिक स्टडीज
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 से 4 साल तक
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 50,000 से 1,00,000 तक
• अवरेज सैलरी- 3 से 8 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- समाज कल्याण अधिकारी, शिक्षक, ऑपरेटर, अनुवादक, पर्यटक गाइड, लेखक, क्षेत्रीय योजनाकार, आदि।
• टॉप रिक्रूयर्ट- गैर सरकारी संगठन, धार्मिक केंद्र, यात्रा और पर्यटन, विश्वविद्यालय, पत्रकारिता, मदरसा, आदि।

पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास इस्लामिक स्टडीज से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट, गेट जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर इस्लामिक स्टडीज का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज: सिलेबस

  • हिस्ट्री ऑफ इस्लाम
  • मॉर्डन प्रैक्टिस ऑफ इस्लाम
  • रिसर्च मैथेडलॉजी
  • डेवलेपमेंट ऑफ मुस्लिम सेक्ट्स एंड फिलॉसफी
  • मुस्लिम रिफॉर्म मूवमेंट्स
  • इस्लाम इन द मॉर्डन ऐज
  • डिसर्टेशन/ थिसिस
  • सेमिनार
  • प्रोजेक्ट

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • एएमयू, अलीगढ़- फीस 8,980
  • मौलाना आजाद कॉलेज, कोलकाता- फीस 54,780
  • मानू, हैदराबाद- फीस 18,300
  • आलिया विश्वविद्यालय - पुराना परिसर, कोलकाता- फीस 3,300
  • कालीकट विश्वविद्यालय, कालीकट- फीस 54,640
  • केरल विश्वविद्यालय, केरल- फीस 25,600
  • एम.वी. कॉलेज, वीर कुंवर सिंह, बक्सर- फीस 78,960

पीएचडी इन इस्लामिक स्टडीज: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • रिलिजियस गाइड- सैलरी 3.75 लाख
  • ट्रांसलेटर- सैलरी 5.20 लाख तक
  • रिसर्च- सैलरी 6 लाख
  • सोशल वर्कर- सैलरी 2.80 लाख
  • लैंगुएज गाइड- सैलरी 3.38 लाख
  • जर्नलिस्ट- सैलरी 7 लाख

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English summary
Doctor of Philosophy in Islamic Studies is a research based doctoral level course of 3 to 4 years duration. The PhD in Islamic Studies is undertaken in two approaches; One in the secular perspective and the other in the traditional Islamic perspective. This study refers to the academic study of Islam.
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