जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कैसे करें (Career in PHD in Geotechnical Engineering)

डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग 3 साल की अवधि का डॉक्टरेट लेवल का फुल टाइम डिग्री कोर्स है। पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग कोर्स के अध्ययन के दौरान, छात्र उपसतह सामग्री और स्थितियों की जांच और अध्ययन में मिट्टी और रॉक मैकेनिक सिद्धांतों का उपयोग करना सीखते हैं। इस कोर्स के अध्ययन का उद्देश्य नींव डिजाइनिंग, अस्थायी उत्खनन सहायता, राजमार्गों और रेलवे के लिए मार्ग चयन, लैंडफिल निपटान, भूजल संदूषण जैसे क्षेत्र में उम्मीदवारों को काम करने योग्य बनाना है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में पीएचडी करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में पीएचडी कैसे करें

• कोर्स का नाम- डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग
• कोर्स का प्रकार- डॉक्टरेट डिग्री
• कोर्स की अवधि- 3 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम या मेरिट बेस्ड
• कोर्स फीस- 10,000 से 2 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 2 से 10 लाख तक
• जॉब प्रोफाइल- सिविल इंजीनियर, साइट सिविल इंजीनियर, स्ट्रक्चरल इंजीनियर, टेकनीकल ऑफिसर, बिजनेस एनालिस्ट, क्वालिटी एशयोरेंस ऑफिसर आदि।
• जॉब फील्ड- एलएंडटी, यूनिटेक, टाटा प्रोजेक्ट्स, शोभा डेवलपर्स लिमिटेड, हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनियां आदि।

पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन या एम.फिल की डिग्री होनी चाहिए।
• पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 60% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में पीएचडी जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम

  • यदि उम्मीदवार पीएचडी जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।
  • बता दें कि पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन प्रोसेस यूजीसी नेट / डीयूईटी / एलपीयू एनईएसटी / गेट आदि जैसे एंट्रेंस एग्जाम पर निर्भर करती है। योग्य उम्मीदवारों का चयन आगे इंट्रव्यू के आधार पर किया जाता है।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें डॉक्टरेट स्तर पर जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग: सिलेबस
फर्स्ट ईयर

  • बिल्डिंग टेक्नोलॉजी
  • इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक एंड इंस्ट्रयूमेंटेशन
  • स्ट्रक्चरल एनालिसिस
  • फ्लूयड मकेनिक्स
  • इंजीनियरिंग जियोलॉजी

सेकेंड ईयर

  • सिविल इंजीनियरिंग ड्राइंग
  • ओपन चेनल हाइड्रोलिक मशिनरी
  • जियोटेक्नीकल इंजीनियरिंग
  • ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग
  • फ्लयूड लेबोरेट्री

थर्ड ईयर

  • एनवायमेंटल इंजीनियरिंग
  • इरिगेशन इंजीनियरिंग
  • इंजीनियरिंग इकॉनोमिक्स एंड प्रिसिंपल्स ऑफ मैनेजमेंट
  • डिजाइन ऑफ हाइड्रॉलिक स्ट्रक्चर
  • डिजाइन एंड ड्रॉइंग ऑफ आरसी स्ट्रक्चर

कॉलेज फक्लटी आमतौर पर छात्रों को उनके स्वतंत्र शोध कार्य में सहायता करते हैं, जबकि अधिक अनुभव प्राप्त करने के लिए छात्र सहायक के रूप में अपने प्रोफेसरों के अधीन काम करना चुन सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें इस बात की बेहतर समझ होगी कि पीएचडी पूरी करने के बाद अगर वे प्रोफेसर बनना चाहते हैं तो उन्हें किस तरह का काम करना होगा।

पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग: टॉप कॉलेज और उनकी फीस

  • भारत विश्वविद्यालय- फीस 2,00,000
  • एसआरएम विश्वविद्यालय- फीस 3,00,000
  • जोधपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय- फीस 1,34,000
  • जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय- फीस 60,000
  • सीईटी- फीस 31,225
  • सीयूएसएटी- फीस 1,03,000
  • लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी- फीस 3,16,000
  • जेपी सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय- फीस 46,000
  • थेजस इंजीनियरिंग कॉलेज- फीस 1,68,000
  • प्रशांत विश्वविद्यालय- फीस 70,000
  • शारदा विश्वविद्यालय- फीस 1,80,000
  • जीएनडीईसी- फीस 1,95,000
  • एमआरईसी- फीस 56,000
  • श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल तिबरेवाला विश्वविद्यालय- फीस 1,81,000

पीएचडी इन जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग: जॉब प्रोफाइल और सैलरी

  • सिविल इंजीनियर- सैलरी 3.25 लाख
  • साइट सिविल इंजीनियर- सैलरी 2.40 लाख
  • टेक्निकल ऑफिसर- सैलरी 6.14 लाख
  • मैनेजर- सैलरी 7.75 लाख
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English summary
Doctor of Philosophy in Geotechnical Engineering is a doctoral level full time degree course of 3 years duration. During the study of the PhD in Geotechnical Engineering course, students learn to use soil and rock mechanic principles in the investigation and study of subsurface materials and conditions. The objective of this course is to make the candidates work in the field like foundation designing, route selection for railways.
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