टूरिज्म में एम.फिल कैसे करें (Career in M.Phil. Tourism)

मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन टूरिज्म 1 साल की अवधि का पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च स्तर का कोर्स है। एम.फिल इन टूरिज्म कोर्स छात्रों को एक क्षेत्र के रूप में और एक सामाजिक घटना के रूप में पर्यटन का उपयुक्त ज्ञान देता है और साथ ही उत्पादन, विज्ञापन और उपभोग के जंक्शन के साथ-साथ समाज और प्रकृति में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यह कोर्स इस बात पर विशेष जोर देता है कि एक जिम्मेदार उद्योग द्वारा प्राकृतिक दुनिया और समाज का उपयोग कैसे किया जा सकता है। यह विज्ञापन, घटना संगठन, समाजशास्त्र और भूगोल के सिद्धांतों को एक साथ रखता है। इस कोर्स में छात्रों को यात्रा और पर्यटन की वैज्ञानिक समझ भी प्रदान की जाती है जिसे मास्टर थीसिस में निष्पादित किया जाता है।

चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको एम.फिल इन टूरिज्म से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी से अवगत कराएंगे कि आखिर टूरिज्म में एम.फिल करने के लिए एलिजिबिलिटी क्या होनी चाहिए। इसका एडमिशन प्रोसेस क्या है, इसके लिए प्रमुख एंट्रेंस एग्जाम कौन से हैं, इसे करने के बाद आपके पास जॉब प्रोफाइल क्या होंगी और उनकी सैलरी क्या होगी। भारत में टूरिज्म में एम.फिल करने के लिए टॉप कॉलेज कौन से हैं और उनकी फीस क्या है।

टूरिज्म में एम.फिल कैसे करें

• कोर्स का नाम- मास्टर ऑफ फिलॉसफी इन टूरिज्म
• कोर्स का प्रकार- पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च
• कोर्स की अवधि- 1 साल
• एलिजिबिलिटी- मास्टर डिग्री
• एडमिशन प्रोसेस- एंट्रेंस एग्जाम
• कोर्स फीस- 20 से 50 लाख तक
• अवरेज सैलरी- 3 से 5 लाख तक
• जॉब फील्ड- आतिथ्य, नौवहन, विमानन और पर्यटन आदि।

एम.फिल टूरिज्म: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
• इच्छुक उम्मीदवार के पास टूरिज्म से संबंधित विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
• एम.फिल इन टूरिज्म में एडमिशन लेने के लिए उम्मीदवार के पास मास्टर डिग्री में न्यूनतम 55% अंक होना आवश्यक है।
• आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए 5% अंकों की अतिरिक्त छूट दी जाती है।
• इसके साथ ही, उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम में भी विश्वविद्यालय के मानकों तक स्कोर करना होता है, जो या तो विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं या यूजीसी-नेट जैसी राष्ट्रीय परीक्षाओं द्वारा आयोजित की जाती हैं।

एम.फिल टूरिज्म: एडमिशन प्रोसेस
किसी भी टॉप यूनिवर्सिटी में एम.फिल टूरिज्म कोर्स में एडमिशन लेने के लिए, उम्मीदवारों को एंट्रेंस एग्जाम देने की आवश्यकता होती है। एंट्रेंस एग्जाम में पास होने के बाद पर्सनल इंट्रव्यू होता है और यदि उम्मीदवार उसमें अच्छा स्कोर करते हैं, तो उन्हें स्कोलरशिप भी मिल सकती है।

एम.फिल टूरिज्म के लिए भारत के टॉप कॉलेजों द्वारा अपनाई जाने वाली एडमिशन प्रोसेस निम्नलिखित है

चरण 1: रजिस्ट्रेशन

  • उम्मीदवार ऑफिशयल वेबसाइट पर जाएं।
  • ऑफिशयल वेबसाइट पर जाने के बाद आवेदन फॉर्म भरें।
  • आवेदन फॉर्म को भरने के बाद ठीक तरह से जांच लें यदि फॉर्म में गलती हुई तो वह रिजक्ट हो सकता है।
  • मांगे गए दस्तावेज अपलोड करें।
  • आवेदन पत्र सबमिट करें।
  • क्रेडिट कार्ड या डेबिट कार्ड से ऑनलाइन फॉर्म की फीस जमा करें।

चरण 2: एंट्रेंस एग्जाम
यदि उम्मीदवार एम.फिल टूरिज्म में एडमिशन लेने के लिए टॉप यूनिवर्सिटी का लक्ष्य रखते हैं, तो उनके लिए एंट्रेंस एग्जाम क्रेक करना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद एडमिट कार्ड जारी किए जाते हैं। जिसमें की एंट्रेंस एग्जाम से संबंधित सभी जानकारी दी जाती है जैसे कि एग्जाम कब और कहां होगा, आदि।

चरण 3: एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट
एंट्रेंस एग्जाम हो जाने के कुछ दिन बाद उसका रिजल्ट घोषित किया जाता है जिसके लिए, छात्रों को नियमित रूप से विश्वविद्यालय की वेबसाइटों और सोशल मीडिया हैंडल की जांच करके खुद को अपडेट रखना चाहिए।

चरण 4: इंट्रव्यू एंड एनरोलमेंट

  • एंट्रेंस एग्जाम में पास होने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी द्वारा इंट्रव्यू में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा - या तो ऑनलाइन (स्काइप, गूगल मीट, ज़ूम) या ऑफ़लाइन छात्रों को यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाकर।
  • इस दौरान, अन्य सभी एलिजिबिली क्राइटेरिया को क्रॉस चेक किया जाता है और यदि छात्र इंटरव्यू में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें एम.फिल टूरिज्म का अध्ययन करने के लिए एडमिशन दिया जाता है।

एम.फिल टूरिज्म: टॉप कॉलेज

  • बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी
  • मदर टेरेसा महिला विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
  • क्राइस्ट यूनिवर्सिटी (सीयू), बैंगलोर
  • अन्ना आदर्श कॉलेज फॉर विमेन, चेन्नई

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English summary
Master of Philosophy in Tourism is a post graduate research level course of 1 year duration. The M.Phil in Tourism course gives students an appropriate knowledge of tourism as a sector and as a social phenomenon as well as an insight into society, ethnicity and nature at the junction of production, advertising and consumption .
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