ज्यादातर माता-पिता को अपने बच्चे के भविष्य को लेकर काफी चिंता में रहते हैं कि को वो बड़े होकर क्या करेंगे या क्या नहीं। इसलिए वो अपने बच्चे को बचपन से पढ़ाई की और ध्यान देने के लिए जोर ढालने लगते हैं लेकिन हर बच्चे का अपना एक अलग इंटरेस्ट होता है कुछ बच्चों को पढ़ना पसंद होता है तो कुछ बच्चों को नहीं। जिसके बाद माता-पिता अपने उन बच्चों पर पढ़ाई के लिए जोर डालने लगते हैं जिन्हें पढ़ना पसंद नहीं होता।
तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं बिना जोर ढाले आप अपने बच्चे में पढाई को लेकर रूचि कैसे बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आपको बस कुछ निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना होगा।
बच्चें की पढ़ाई में रुचि बढ़ाने के लिए फॉलो करें ये टिप्स
1. अपने बच्चे के साथ बैठें
अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए माता-पिता के रूप में आप सबसे अच्छी बात यह कर सकते हैं कि जब वह पढ़ाई के लिए बैठे तो आप भी उनके साथ बैठें। ध्यान रहें कि, आप उस दौरान मोबाइल या लैपटॉप का यूज न करें बल्कि आप भी कोई किताब पढ़ें। जिससे आपका बच्चा आपको देखकर प्रेरित हो और वो भी पढ़ने में मन लगा सके।
2. सीखने पर जोर दें और ग्रेड पर नहीं
अक्सर माता-पिता अपने बच्चों पर अच्छे ग्रेड हासिल करने करने के लिए जोर डालते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि शिक्षा ज्ञान के लिए की जाती है न कि ग्रेड के लिए। इसलिए अपने बच्चों पर सीखने के लिए जोर दें ताकि उसका ज्ञान भविष्य में उसकी साहयता कर सकें।
3. अपने बच्चे के पक्ष में रहें
अपने बच्चे पर अच्छा स्कोर करने या बेहतर ग्रेड प्राप्त करने का दबाव न डालें। उसके साथ अच्छे और सौम्य रहें और चीजों को उसके नजरिए से समझने की कोशिश करें। अपने बच्चे को उसकी पढ़ाई के प्रति सकारात्मक तरीके से जिम्मेदार बनाने की कोशिश करें, क्योंकि किसी भी तरह की नकारात्मकता उसे विद्रोही बना सकती है और यह उसे शांत कर सकता है और आपकी अवहेलना कर सकता है।
4. बच्चे से उसके दिन के बारे में पूछे
रोजाना अपने बच्चे से बात करें कि उसने पूरे दिन कक्षा में प्रत्येक विषय में क्या किया। जिससे की आपको ये पता चलेगा कि आपका बच्चा किस ट्रेक पर चल रहा है और उसे क्या करना पसंद है और क्या नहीं।
5. स्टडी प्लान बनाएं
जो कुछ भी व्यवस्थित तरीके से किया जाता है वह हमेशा सकारात्मक परिणाम देता है। इसलिए पढ़ने के लिए भी एक शेड्यूल बनाएं और उसे फॉलो करें। क्योंकि ज्यादा पढ़ने से ज्यादा ज्ञान प्राप्त नहीं होता बल्कि सही तरीके से मन लगाकर पढ़ने से चीजें समझ आती है।
6. पढ़ाई के लिए माहौल बनाएं
सुनिश्चित करें कि जहां आपका बच्चा पढ़ाई के लिए बैठता है, उसके आस-पास जोर से शोर, टेलीविजन, और अन्य भाई-बहनों का खेल आदि जैसे कोई ध्यान भंग न हो। क्योंकि एक बच्चे का ध्यान बहुत कमजोर होता है और वह आसानी से विचलित हो सकता है और पढ़ाई में रुचि खो सकता है।
7. टीचर से बात करें
यदि आप देखते हैं कि आपके बच्चे के किसी विशेष विषय में खराब ग्रेड हैं या वह किसी विषय का अध्ययन करने में संकोच कर रहा है, तो आप संबंधित टीचर से संपर्क कर सकते हैं। और फिर शिक्षक के साथ मिलकर उस विषय में बच्चे की रुचि विकसित करने या ग्रेड सुधारने के लिए रणनीति बना सकते हैं।
8. बच्चे की रूचि अनुसार उससे पढ़ने दें
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप समझें की आपका बच्चा किस तरह का शिक्षार्थी है। उसे क्या पढ़ना पसंद है और उसकी किस तरफ ज्यादा रुचि है उसके बाद आप अपने बच्चे की पसंद के आधार पर उसके लिए स्टडी प्लान कर सकते हैं।
9. लक्ष्य निर्धारित करें
लक्ष्य निर्धारित करना एक अच्छा विचार है जिसे समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ प्राप्त किया जा सकता है। आप अपने बच्चे के साथ शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म स्टडी गोल्स सेट कर सकते हैं ताकि बच्चा प्रेरित रहे और अपने गोल्स को हासिल करने के लिए सही ट्रैक पर चल सके।
10. उनकी राय सुनें
अपने बच्चे की राय सुनना और उसका सम्मान करना बहुत महत्वपूर्ण है, भले ही कभी-कभी आपको लगता है कि वह गलत है। अपने बच्चे को विभिन्न विषयों पर अपनी राय रखने देने से उसका आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद मिलती है। अपने बच्चे को उसके तर्कों के लिए भी उचित तर्क देने के लिए कहें।
11. असफलता से सीखने में उनकी मदद करें
असफलताएं जीवन का हिस्सा हैं और ये दुनिया का अंत नहीं हैं। यहां तक कि अगर आपका बच्चा कम ग्रेड प्राप्त करता है, तो उसे डांटने या उसके दोस्तों या साथियों से तुलना करने से बचना चाहिए। बल्कि अपने बच्चे को प्रोत्साहित करें और उसे गलतियों से सीखना सीखाएं।
12. पढ़ाई से संबंधित बच्चों की पसंदीदा चीजें दें
बच्चे को पढ़ने के लिए स्टडी टेबल, स्टेशनरी, टेबल कवर जैसी चीजें दें। जिससे की उन्हें पढ़ने का माहोल मिले और उनके मन में पढ़ने की रुचि बढ़े।
13. बच्चे को लेक्चर देने से बचें
सभी माता-पिता अपने बच्चों के लिए सर्वोत्तम करने की कोशिश करते हैं। लेकिन माता-पिता को ये भी समझना चाहिए की लेक्चर देने से या उन्हें कोसने से अंततः बच्चों में पढ़ने की रुचि नहीं जागृत होती। इसलिए अपने बच्चे को डांटने, हेरफेर करने या धमकी देने के बजाय उन्हें स्पष्ट निर्देश दें।
14. छोटी-छोटी उपलब्धियों को स्वीकार करें
हर कोई समय-समय पर अपनी पीठ थपथपाना पसंद करता है और बच्चे भी ऐसा ही करते हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे की छोटी से छोटी उपलब्धि को भी स्वीकार करें और उसकी सराहना करें। यह न केवल उसे खुश करता है बल्कि उसे अच्छा करने के लिए प्रेरित भी करता है।
15. पढ़ने की आदत डालें
यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे में पढ़ने की आदत डालें। अक्सर देखा गया है कि जिन बच्चों को पढ़ने में मजा आता है वे आमतौर पर पढ़ना भी पसंद करते हैं। पढ़ने की आदत बनाने के लिए आपको अपने बच्चें को सिलेब्स की किताबों के अलावा अन्य किताबें भी पढ़ानी चाहिए ताकि बच्चे की पढ़ने में रूचि बढ़ जाए।
16. दृढ़ और अनुशासित रहें
आपने ये कहावत तो सूनी ही होगी की बच्चा जैसा देखता है वैसा ही करना सिखता है इसलिए यदि आप अपने बच्चे को एक अच्छा इंसान बनाना चाहते हैं तो आपको घर में एक सकारात्मक और अनुकूल अध्ययन का माहौल बनाना चाहिए। जिसके लिए आपको दृढ़ और अनुशासित रहने की आवश्यकता होगी।
17. अपने बच्चे को लालच देने से बचें
अक्सर माता-पिता अपने बच्चे को लालच देते हैं कि यदि तुम अच्छे से पढ़ाई करोगे तो तुम्हें ये गिफ्त मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि ये लालच भविष्य में एक समस्या बन सकता है। इसलिए बच्चे को पढ़ाई के फायदे बताकर उसे पढ़ने के लिए उत्सुक करें न कि गिफ्ट का लालच देकर।
18. कहानी सुनाने का प्रयास करें
आप अपने बच्चे की पढ़ाई में रुचि विकसित करने के लिए उन्हें अच्छी कहानी सुना सकते हैं जो कि जीवन में पढ़ाई और शिक्षा के महत्व पर जोर देती हों।
19. पढ़ाई के समय को मज़ेदार बनाएं
माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को दंडित करके और फिर उन्हें पढ़ने के लिए कह कर गलती करते हैं। बच्चे यह मान लेते हैं कि उन्हें दंडित करने का यह उनके माता-पिता का तरीका है। आप पढ़ाई के समय को एक मजेदार समय बना सकते हैं और अपने बच्चे को इसका आनंद लेने के लिए कह सकते हैं। अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए कमरे में अकेला छोड़ने के बजाय एक साथ पढ़ाई में ज्यादा समय बिताएं।
20. अपने बच्चे की मदद करें
अपने बच्चे की मदद करें जब भी उसे इसकी आवश्यकता हो जैसे कि यदि बच्चा पठते समय कहीं अटक जाता है तो उस पर क्रोधित न हों बल्कि बच्चे की शंकाओं को दूर करें और धैर्य से उसकी समस्या को हल करें।