Chhattisgarh: कभी लगाते थे फेरी, दोस्तों के साथ शुरू ये काम - आज 2 करोड़ का टर्नओवर

छतीसगढ़ के रायपुरा स्थित अपेरल ट्रेनिंग एंड डिजाइन सेंटर में कमजोर वर्ग के लोगों को भी बेहतर करियर बनाने का अवसर मिल रहा है। यहां हजार से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

छतीसगढ़ के रायपुरा स्थित अपेरल ट्रेनिंग एंड डिजाइन सेंटर में कमजोर वर्ग के लोगों को भी बेहतर करियर बनाने का अवसर मिल रहा है। यहां हजार से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इनमें से 1800 लोग कपड़ा इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं और बाकी के स्टूडेंट्स खुद का बिजनेस चला रहे हैं। कई ऐसे भी हैं जिनका कारोबार अब करोड़ा का है। रायपुर के राजेश देवांगन, दीपक साहू और हर्ष कुंभलकर भी इनमें शामिल हैं। राजेश फेरी लगाते थे। दोस्तों के साथ कपड़े का बिजनेस शुरू किया। आज सालाना टर्नओवर 2 करोड़ है।

Chhattisgarh: कभी लगाते थे फेरी, दोस्तों के साथ शुरू ये काम - आज 2 करोड़ का टर्नओवर

हजारों लोग ले चुके ट्रेनिंग
एटीडीसी रायपुर सेंटर के प्रिंसिपल राजा गिरी गोस्वामी ने बताया कि अपेरल ट्रेनिंग एंड डिजाइन सेंटर (एटीडीसी) रायपुर के साथ राज्य के कई जिलों में 2008 से संचालित है। यहां अब तक 7500 स्टूडेंट्स ट्रेनिंग ले चुके है। इनमें से लगभग 5536 को अलग-अलग अपेरल इंडस्ट्रीज में जॉब भी मिली है। बाकी स्टूडेंट्स खुद का काम जैसे बुटीक और टेलरिंग शुरू कर चुके हैं। यहां फैशन और गारमेंट इंडस्ट्री की जरूरत के अनुसार स्किल डेवलपमेंट किया जाता है।

इन शहरों में कर रहे सप्लाई
राजेश ने बताया, 'अभी हम अहमदाबाद, लुधियाना, दिल्ली से कपड़ा लेकर आते हैं और रायपुर में स्टिच करके रिटेलर्स को बेचते हैं। शुरुआत के दो साल बिना कंपनी नाम के कपड़ा बेचा। पहले 3 साल हमने एक भी रुपए नहीं निकाला। जो पैसा आता था उसे सामान लाने और काम बढ़ाने में लगाते। दीपक काम खत्म कर अपने घर में सिलाई रातभर करता था। उसी से अपना खर्च चलाता था। मैंने फेरी वाला काम जारी रखा। अभी हमारे पास 12 प्रकार की 35 मशीनें हैं। पहले छोटी दुकानों पर कपड़ा सेल के लिए गए तो उन्होंने मना किया। फिर रिटेल में गए तो वहां रिस्पॉन्स अच्छा रहा। रायपुर में कुछ रिटेलर्स शॉप में कपड़ा दे रहे हैं। दिल्ली और अहमदाबाद में भी सामान भेज रहे हैं।'

ऐसे हुई बिजनेस की शुरुआत
राजेश देवांगन, दीपक साहू और हर्ष कुंभलकर पिछले 5 साल से रेडीमेड कपड़े का काम कर रहे हैं। राजेश ने बताया, 'मैं पापा के साथ बाजार जाकर कपड़ा बेचता था। एटीडीएस में कोर्स किया। कोर्स करने के बाद फिर से अपना काम करने लगा। लेकिन कुछ नया करना है। दो साल बाद हम दोस्तों ने 10-10 हजार रुपए मिलाए और कपड़े का काम शुरू किया। हमने पहले कपड़े खरीदे और सिलाई की मशीन अपने परिचितों से ली। हम खुद सिलते और बेचते थे। पहले पेटीकोट का काम किया लेकिन प्रॉफिट नहीं हुआ तो शॉर्ट चड्‌डा का काम शुरू किया। बिजनेस बढ़ाने के लिए बैंक गए वहां बहुत घूमना पड़ा। अभी 50 महिलाओं की टीम है। चड्‌डा, टी-शर्ट, शर्ट बना रहे हैं। रोजाना 1000 कपड़ा बनाते है। सालाना टर्नओवर 2 करोड़ का है।

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English summary
In the Apparel Training and Design Center located in Raipura, Chhattisgarh, people from weaker sections are also getting an opportunity to make a better career. More than thousand people have been trained here. Out of these 1800 people are working in the textile industry and rest of the students are running their own business. There are also many whose business is now worth crores. Rajesh Dewangan, Deepak Sahu and Harsh Kumbhalkar of Raipur are also included in these. Rajesh used to ply. Started a clothing business with friends. Today the annual turnover is 2 crores.
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