नई शिक्षा नीति से विद्यार्थियों को कौशल प्रशिक्षण का मौका मिल रहा है: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आज 4 जनवरी 2022 में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के रजत जयंती समारोह को ऑनलाइन संबोधित किया। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने डॉ अंबेडकर के प्रतिमा का अनावरण किया, अटल

By Careerindia Hindi Desk

भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आज 4 जनवरी 2022 में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के रजत जयंती समारोह को ऑनलाइन संबोधित किया। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने डॉ अंबेडकर के प्रतिमा का अनावरण किया, अटल बिहारी वाजपेई भवन और चंद्रशेखर आजाद छात्रावास का लोकार्पण किया और विश्वविद्यालय के रजत जयंती स्मृति चिन्ह का अनावरण किया। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि नई शिक्षा नीति, मातृभाषा के संदर्भ में महात्मा गांधी की "नई तालीम" का अनुकरण करती है। महात्मा गांधी ने मातृभाषा को स्वराज से जोड़ा। हमारी भाषाई विविधता हमारी शक्ति है, हमारी भाषाएं हमारी सांस्कृतिक एकता को अभिव्यक्त करती हैं। लेकिन हम अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी को भाषा की मर्यादा और समाज के अनुशासन में रहकर प्रयोग करें।

नई शिक्षा नीति से विद्यार्थियों को कौशल प्रशिक्षण का मौका मिल रहा है: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपत एम वेंकैया नायडू ने कहा कि विदेशों में फैले हिंदी भाषी प्रवासी भारतीय समुदाय और हिंदी भाषी देशों को भारत से जोड़े रखने में, भारतीय भाषाओं की अहम भूमिका निभा रहे हैं। नई शिक्षा नीति में भी प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा रखने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि विद्यार्थियों के कौशल प्रशिक्षण पर जोर दिया जा सके।

नायडू ने कहा कि हमारी संविधान सभा ने लंबी बहस के बाद हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया और साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं को भी आठवीं अनुसूची में संवैधानिक दर्जा दिया। हर भारतीय भाषा का गौरवशाली इतिहास है, समृद्ध साहित्य है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे देश में भाषाई विविधता है। हमारी भाषाई विविधता हमारी शक्ति है क्योंकि हमारी भाषाएं हमारी सांस्कृतिक एकता को अभिव्यक्त करती हैं।

भाषा के विषय में महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी के लिए भाषा का प्रश्न, देश की एकता का सवाल था। उनका मानना था कि राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा होता है। इस क्रम में उन्होंने हिंदी को आम जनता के लिए सरल और सुगम बनाने का आग्रह किया जिससे हिंदी का बहुतायत प्रचलन बढ़ सके। हिंदी के प्रति आग्रह के बावजूद भी महात्मा गांधी हर नागरिक के लिए उसकी मातृभाषा की संवेदनशीलता समझते थे। उन्होंने मातृभाषा को स्वराज से जोड़ा। महात्मा गांधी मानना था कि स्वराज का अर्थ ये नहीं है कि किसी पर कोई भाषा थोपी जाए। सबसे पहले मातृभाषा को ही महत्व दिया जाना चाहिए। असली अभिव्यक्ति तो मातृभाषा में ही हो सकती है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक सभ्य समाज से यही अपेक्षित है कि उसकी भाषा सौम्य, सुसंस्कृत और सृजनशील हो। उन्होंने विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की कि वे यह संस्कार डालें कि साहित्य लेखन से समाज में सभ्य संवाद समृद्ध हो, ना कि विवाद पैदा हो। "हम अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी को भाषा की मर्यादा और समाज के अनुशासन में रह कर प्रयोग करें। उपराष्ट्रपति ने संविधान के निर्माता, बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि डॉ अंबेडकर, आजीवन शिक्षा और समता के लिए प्रतिबद्ध रहे। उनके जीवन संघर्ष में शिक्षा ने ही उनका मार्गदर्शन किया।" उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि डा. अंबेडकर की प्रतिमा, विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों के लिए प्रेरणा-स्तंभ रहेगी।

उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर भाषा को राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक मानते थे। विदेशों में फैले प्रवासी भारतीय समुदाय तथा विश्व के अन्य हिंदी भाषी देशों को, मातृभूमि भारत से जोड़े रखने में हमारी भारतीय भाषाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों से आग्रह किया कि वे हिंदी भाषी देशों और प्रवासी भारतीय समुदाय के लेखकों की साहित्यिक कृतियों को अपने बौद्धिक विमर्श में शामिल करें।

रजत जयंती के अवसर पर विश्वविद्यालय में अटल बिहारी वाजपेयी भवन तथा चंद्रशेखर आज़ाद छात्रावास का लोकार्पण भी उपराष्ट्रपति के करकमलों से हुआ। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की हिंदी सेवा को याद करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि श्रद्धेय अटल जी ने विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को पहली बार हिंदी में संबोधित किया था। उन्होंने संतोष जताया कि पिछले कुछ वर्षों में उस परंपरा का नियमित रूप से अनुसरण किया गया है। अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद छात्रावास का लोकार्पण करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की युवा पीढ़ी को स्वाधीनता संग्राम के युवा क्रांतिकारियों के साहस से परिचित होना चाहिए।

नोट यह खबर पीआईबी से ली गई है, करियर इंडिया हिंदी का इससे कोई सरोकार नहीं है।

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English summary
Vice President M Venkaiah Naidu said that the new education policy follows Mahatma Gandhi's "Nai Talim" in terms of mother tongue. Indian languages ​​are playing an important role in keeping the Hindi-speaking overseas Indian community spread abroad and Hindi-speaking countries connected with India. In the new education policy also it has been proposed to keep mother tongue as the medium of instruction in primary and secondary classes, so that emphasis can be given on skill training of students.
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