Narak Chaturdashi 2020 Date Time Muhurat Importance Story: नरक चतुर्दशी कब है ? कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस वर्ष नरक चतुर्दशी 2020 में 13 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। रूप चतुर्दशी का त्योहार दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इसलिए नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहते हैं। इस दिन अभ्यंग स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। नरक चतुर्दशी को रूप चौदस, छोटी दिवाली और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दीप दान करने से अकाल मृत्यु और यमराज के भय से मुक्ति मिलती है तो चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी 2020 की तिथि, नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त,नरक चतुर्दशी का महत्व,नरक चतुर्दशी की पूजा विधि और नरक चतुर्दशी की कथा।
नरक चतुर्दशी 2020 तिथि और शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi Muhurat 2020)
नरक चतुर्दशी तिथि: 13 नबंवर 2020
अभ्यंग स्नान मुहूर्त: सुबह 5 बजकर 23 मिनट से सुबह 6 बजकर 43 मिनट तक (14 नबंवर 2020)
नरक चतुर्दशी के दिन चन्द्रोदय का समय: सुबह 5 बजकर 23 मिनट (14 नबंवर 2020)
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: शाम 5 बजकर 59 मिनट से (13 नबंवर 2020)
चतुर्दशी तिथि समाप्त: अगले दिन दोपहर 2 बजकर 17 मिनट तक (14 नबंवर 2020)
नरक चतुर्दशी का महत्व (Narak Chaturdashi Importance)
दीपावली से एक दिन पहले मनाए जाने वाले पर्व को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, रूप चौदस और काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन विधि विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन शाम के समय दीपदान किया जाता है। ऐसा करने से यमराज का भय समाप्त होता है और साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को कभी भी अकाल मृत्यु का भय भी नहीं सताता है। इस दिन अभ्यंग स्नान को भी अधिक महत्व दिया जाता है। इसे करने से नर्क के दोषों से मुक्ति मिलती है। जो भी व्यक्ति नर्क चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान करता है उसके जीवन के सभी पाप समाप्त होते हैं। इतना ही नहीं नर्क चतुर्दशी के दिन तिल के तेल की मालिस भी की जाती है। वहीं इस दिन लेप करने और उबटन करने का भी विधान है। ऐसा करने से रूप और सौंदर्य में वृद्धि होती है। माना जाता है कि नर्क चतुर्दशी के दिन घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से यमराज घर में प्रवेश नहीं करते।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)
1. नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और शरीर पर तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए।
2. इसके बाद औषधिय पौधे को सिर के चारो और तीन बार घूमाना चाहिए।
3. ऐसा करने के बाद ही स्नान करना चाहिए।इस स्नान को अभ्यंग स्नान कहते है। जो नरक चतुर्दशी के दिन अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
4.इसके बाद शाम को आपको फिर से स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
5. स्नान करने के बाद दक्षिणा हाथ में रखकर यमराज को याद करें और उनसे अपने पापों के लिए क्षमा याचना करें।
6. इसके बाद एक तेल का दीपक यमराज के नाम से जलाएं और उसे अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें।
7. ऐसा करने के बाद दक्षिण दिशा में खड़े होकर अपने पितरों को याद करें और उनके नाम से भी एक तेल का दीपक जलाएं।
8. नरक चतुर्दशी को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इस दिन श्री कृष्ण की पूजा भी अवश्य करें।
9.अंत में किसी निर्धन व्यक्ति को दीपों का दान अवश्य करें।
10. नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में अपने घर का बेकार सामान घर से बाहर फेंक दे ऐसा करने से आपको घर की दरिद्रता दूर हो जाएगी।
नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi Story)
पुराणों के अनुसार एक राज्य में रान्तिदेव नाम का राजा राज किया करता था। वह बहुत ही ज्यादा धार्मिक था। जिस समय उसका अंतिम समय आया उस समय उसे लेने के लिए यमदूत आए और उन्होंने राजा से कहा कि अब तुम्हारा नरक जाने का समय आ चुका है। राजा ने जैसे ही यह सुना वह आश्चर्यचकित रह गया। उसने सोचा कि मैने तो कोई भी पाप नहीं किया फिर ये यमदूत मूझे नरक क्यों ले जा रहे हैं। इस विषय में उस राजा ने यमदूतों से पूछा। इस पर यमदूतों ने कहा कि एक बार तुम्हारे महल में एक निर्धन ब्राह्मण आया था। जो तुम्हारे दरवाजे से भूखा ही लौट गया। यही कारण है कि तुम्हें नर्क जाना पड़ेगा। यह सुनकर राजा को बहुत दुख हुआ और जब वह यमलोक गया तो उसने अपनी भूल को सुधारने के लिए यमराज से एक वर्ष का समय मांगा। यमराज ने राजा की बात मान ली और उसे एक वर्ष का समय दे दिया। जिसके बाद वह राजा फिर से धरती लोक पर आया और ऋषियों से इस समस्या के समाधान के बारे मे पूछा। ऋषियों ने उसे अपने भूल सुधारने के लिए उसे एक उपाय बताया। उन्होंने कहा कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखो और ब्राह्मणों को भोजन कराओं। अगर तुम ऐसा करते हो तो तुम्हें नर्क नहीं जाना पड़ेगा। जिसके बाद राजा ने ऐसा ही किया। जिसके बाद उसे नर्क की जगह स्वर्ग की प्राप्ति हुई।