Coronavirus Symptoms Precautions Vaccine Side Effects Prevention Treatment In Hindi: पूरा विश्व पिछले एक साल से कोविड-19 से जूझ रहा है। करोड़ों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, लेकिन अभी भी खतरा कम नहीं हुआ है। अक्टुबर 2020 में दी लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर के वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि कोविड-19 तीन स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है; पहला, इससे संक्रमित होने का खतरा तो बना ही हुआ है, लेकिन जो लोग ठीक हो चुके हैं उनमें से लगभग 15 प्रतिशत मरीजों में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद दोबारा संक्रमण के संकेत दिखाई दे रहें हैं, दूसरा उपचार कराने के बाद भी लगभग 75 प्रतिशत लोग सामान्य महसूस नहीं कर रहे हैं। तीसरा, संक्रमित लोगों में कुछ महीनों बाद कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में पोस्ट कोविड केयर बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। डॉ रमन कुमार आपको बता रहे हैं कोरोनावायरस से होने वाले साइड इफेक्ट्स और उनसे बचाव के तरीके।
तो उपचार के बाद भी ठीक नहीं हैं आप
कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी के इंफेक्शन कंट्रोल एंड हॉस्पिटल एपिडेमियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कोविड-19 एक अत्यधिक संक्रामक वायरस है, इसलिए उपचार के बाद भी लोग पूरी तरह सामान्य और स्वस्थ्य महसूस नहीं कर रहे हैं। एक बार संक्रमित हो चुके लोग संक्रमण के आसान शिकार हैं, ऐसे में वार्निंग साइंस/चेतावनी भरे संकेतों को नज़रअंदाज़ न करें।
• सांस लेने में परेशानी होना।
• तेज बुखार।
• छाती में तेज दर्द होना।
• भ्रम की स्थिति।
• अत्यधिक कमजोरी महसूस होना।
• पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं।
• त्वचा पर रैशेज़ पड़ जाना या बाल झड़ना।
• मांसपेशियों में दर्द या सिरदर्द।
• हृदय का तेजी से धड़कना।
• याददाश्त कमजोर पड़ जाना, ध्यानकेंद्रित करने में परेशानी होना या सोने में परेशानी होना।
बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों में ही नहीं, युवा और स्वस्थ्य लोगों में भी संक्रमण से ठीक होने के कई सप्ताह या महीनों तक ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
कोविड-19 साइड इफेक्ट्स
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि अभी भी नहीं कहा जा सकता कि कोविड-19 लंबे समय में लोगों को क्या नुकसान पहुंचाएगा।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार,कोविड-19 का प्राथमिक रूप से प्रभाव फेफड़ों पर पड़ता है, लेकिन यह कई और अंगों को भी क्षतिग्रस्त कर सकता है। इन अंगों का क्षतिग्रस्त होना, गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा बढ़ा देता है। कोविड-19 के लंबे और सीमित समय के लिए पड़ने वाले प्रभावों को पोस्ट कोविड सिंड्रोम नाम दिया गया है।
थकान और सांस लेने में परेशानी
कोरोना का संक्रमण फेफड़ों तक ही सीमित नहीं रहता, दूसरे अंगों तक भी पहुंच जाता है। इटली से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में से लगभग 87 प्रतिशत मरीज थकान और डिस्पनोइया (सांस लेने में मेहनत करना) की शिकायत कर रहे हैं। कई मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अगले ही दिन फिर से भर्ती करना पड़ता है, क्योंकि उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाता है।
किडनियों से संबंधित समस्याएं
इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी (आईएसएन) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही हैजिन्हें कोविड-19 के कारण किडनियों से संबंधित समस्याएं हो रही हैं। इन समस्याओं में एक्यूड किडनी इंजुरी (एकेआई) और किडनी फेलियर प्रमुख हैं। अमेरिकन जनरल ऑफ किडनी डिसीज (एजेकेडी) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार गंभीर रूप से संक्रमित मरीज जो आईसीयू में भर्ती होते हैं उनमें से लगभग 27 प्रतिशत में किडनी फेलियर के मामले सामने आए हैं।
हृदय से संबंधित समस्याएं
कोविड-19 से ठीक हुए कई मरीजों में हृदय से संबंधित समस्याओं के मामले सामने आ रहे हैं। यह वायरस हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे भविष्य में हार्ट फेलियर या हृदय से संबंधित दूसरी जटिलताओं का खतरा बढ़ा सकता है। यह समस्या गंभीर संक्रमण के शिकार लोगों में ही नहीं, उन लोगों में भी हो रही है जिनमें मामूली लक्षण दिखाई दिए थे।
फेफड़ों से संबंधित समस्याएं
न्युमोनिया और डीप वेन थ्रोम्बोसिस के कारण फेफड़ों में सूजन कोविड-19 के कारण फेफड़ों से संबंधित सबसे प्रमुख स्वास्थ्य जटिलताएं हैं। इनके कारण फेफड़ों के उतकों को नुकसान पहुंच सकता है. जिससे आगे चलकर सांस लेने में तकलीफ की समस्या हो सकती है।
मस्तिष्कसे संबंधित समस्याएं
व्यस्कों और बुजुर्गों में ही नहीं, युवा लोगों में भी, कोविड-19 के कारण स्ट्रोक, दौरे पड़ना और गुलैन-बैर्रे सिंड्रोम - एक स्थिति जिसके कारण अस्थायी रूप से लकवा मार सकता है, की समस्या हो रही है। कोविड-19 पर्किंसन्स और अल्जाइमर्स रोग विकसित होने का खतरा बढ़ा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य
अमेरिकन साइकोलॉजिकल असोसिएशन के अनुसार, कोविड-19 संक्रमण का मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन द्वारा किए सर्वे में हर चार में से एक व्यक्ति किसी न किसी मानसिक समस्या जैसे एंग्जाइटी, अवसाद, क्रॉनिक फटिक सिंड्रोम का शिकार है।
इन बातों का रखें ध्यान
विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ ही भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से ठीक हुए मरीजों के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मास्क पहनने, बार-बार हाथ धोने और सामाजिक दूरी का पालन करने के अलावा कोविड फ्री पैशेंट कुछ सप्ताह तक निम्न बातों का ध्यान रखें।
• संतुलित, पोषक और सुपाच्य भोजन का सेवन करें। अपने डाइट चार्ट में फलों, सब्जियों, अंडों, दालों, चिकन और साबुत अनाजों को शामिल करें।
• शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए पानी, जूस इत्यादि पीते रहना आवश्यक है. गुनगुना पानी गले के लिए लाभकारी होता है।
• रोजाना 20-30 मिनिट तक अपना पसंदीदा वर्कआउट करें; आप वॉकिंग, जॉगिंग, एअरोबिक्स या योग कर सकते हैं।
• 6-8 घंटे की पूरी नींद लें; दिन में थोड़ी देर आराम भी करें।
• तनाव से दूर रहें। मानसिक शांति के लिए प्रतिदिन 10-20 मिनिट ध्यान करें।
• नियत समय पर अपनी जांच कराते रहें।शरीर में ऑक्सीजन के स्तर, तापमान, पल्स रेट और रक्त दाब को नियमित रूप से मापते रहें।
विशेष नोट
शरीर के साथ किसी भी तरह की समस्या होने पर उसकी अनदेखी न करें।सेल्फ मेडिकेशन से बचें, कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर को दिखाएं। फोन और विडियो कॉलिंग के द्वारा लगातार अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें।