अटल बिहारी वाजपेयी: भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत नाजुक बनी हुई है। उन्हें दिल्ली स्थित एम्स में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। 93 वर्षीय अटल बिहारी वाजपेयी को किडनी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, पेशाब आने में दिक्कत और सीने में जकड़न की शिकायत के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स ने पिछली रात एक बयान जारी कर कहा है कि 'दुर्भाग्यवश, उनकी हालत बिगड़ गई है। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है।' फिलहाल डॉक्टरों की तरफ से अटल जी की हालत में सुधार के बारे में कोई बयान जारी नही किया गया है। लेकिन हम प्रार्थना करते है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जल्द ही स्वस्थ्य हो जाएं। आज इस नाजूक स्थिति में अटल जी की कविता 'ठन गई! मौत से ठन गई!' उन पर चरितार्थ होती है।
ठन गई! मौत से ठन गई!
ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई।
-अटल बिहारी वाजपेयी