Crypto: क्रिप्टोकरेंसी क्या है, मौजूद परिसतिथि और मौद्रिक नीति

यह साल क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों के लिए सबसे बुरा साल रहा है। इन दिनों दुनिया का दूसरा बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स (FTX) बैंकरप्सी से दौर से गुजर रहा है। मई 2022 में स्टेबलकॉइन टेरा की दुर्गति देखी थी।

यह साल क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों के लिए सबसे बुरा साल रहा है। इन दिनों दुनिया का दूसरा बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स (FTX) बैंकरप्सी से दौर से गुजर रहा है। मई 2022 में स्टेबलकॉइन टेरा की दुर्गति देखी थी। हालांकि इससे पहले भी कई बार गिरावट के कई दौर आए, लेकिन उन गिरावटों से निकलते हुए बाद में इसमें तेजी देखी गई। परंतु मौजूदा संकट पहले की तुलना में काफी निराशाजनक है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब क्रिप्टोकरेंसी का दौर खत्म होने वाला है।

क्रिप्टोकरेंसी क्या है, मौजूद परिसतिथि और मौद्रिक नीति

क्या है क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है, जिसे वर्चुअल करेंसी भी कहा जाता है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से वर्चुअल करेंसी बनी है, जो क्रिप्टोग्राफी के सिद्धांत पर काम करती है। इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी कहा जाता है। किसी भी देश की सॉवरिन करेंसी यानी रुपए-डॉलर आदि को सेंट्रल बैंक जारी करती है। सॉवरिन करेंसी को फिएट करेंसी भी कहा जाता है। कितनी मात्रा में इसकी छपाई होगी, यह देश की आर्थिक परिसतिथियों पर निर्भर है।

क्रिप्टोकरेंसी मौजूदा स्थिति
दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत पिछले साल 10 नवंबर को 69,000 डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी। लेकिन उसके बाद से इसमें काफी गिरावट आई है और 16 नवंबर 2022 को इसमें तकरीबन 16,600 डॉलर के आसपास कारोबार हो रहा था। इस तरह से देखें तो एक साल में बिटकॉइन की कीमतें 72 फीसदी से ज्यादा टूटी हैं। क्रिप्टोकरेंसी पर नजर रखने वाली वेबसाइट कॉइनमार्केटकैप डॉट कॉम के मुताबिक मार्केट कैप के हिसाब से क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में बिटकॉइन की हिस्सेदारी तकरीबन 37 फीसदी है। दूसरी बड़ी और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी ईथरियम (ईथर) की क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में हिस्सेदारी तकरीबन 17 फीसदी है। इसकी कीमतें भी पिछले एक साल में 70 फीसदी से ज्यादा लुढ़की हैं। पिछले साल 10 नवंबर को यह अपने 4,878.26 डॉलर के ऑल टाइम हाई तक पहुंच गई थी, जबकि अभी यह 1,215 डॉलर के आस-पास है। हाल ही में ट्विटर को खरीदने वाले एलन मस्क की पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी डॉजकॉइन की हालत भी अच्छी नहीं है। पिछले एक साल में इसमें भी तकरीबन 64 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि पिछले एक महीने में इसमें तकरीबन 44 फीसदी की तेजी देखी गई है।

बिटकॉइन में निवेश
जब से खासकर 2020 से संस्थागत निवेशकों ने क्रिप्टो मार्केट खासकर बिटकॉइन में निवेश करना शुरू किया, क्रिप्टोकरेंसी के दाम रॉकेट की तरह ऊपर चढ़ने लगे। क्रिप्टो की बढ़ती कीमतों और रातों-रात अमीर होने के लालच में उन लोगों ने भी क्रिप्टो में पैसे लगाए, जिन्हें क्रिप्टो की बेसिक समझ भी नहीं थी। कोरोना संकट के दौरान क्रिप्टो मार्केट में आए उछाल की वजह थी नरम मौद्रिक नीति यानी पर्याप्त नकदी की उपलब्धता। उस समय ब्याज दरों में गिरावट का भी दौर था, साथ ही अर्थव्यवस्था और अन्य एसेट क्लास (रिस्की और रिस्क-फ्री दोनों) को लेकर अनिश्चितता भी बनी हुई थी, जिससे संस्थागत निवेशकों के साथ आम निवेशकों की रुचि भी क्रिप्टोकरेंसी में बढ़ी। परिणामस्वरूप क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक चली गईं। वैसे क्रिप्टो मार्केट सिर्फ इस संभावना पर आगे बढ़ता है कि आने वाले समय में कीमतें और बढ़ेंगी। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भी पिछले साल नवंबर में क्रिप्टोकरेंसी की तुलना अनरेगुलेटेड चिट-फंड से की थी। उन्होंने कहा था कि अगर किसी भी चीज की वैल्यू सिर्फ इस वजह से है कि आने वाले समय में वैल्यू बढ़ सकती है तो यह वास्तव में एक बबल (बुलबुला) है।

मौद्रिक नीति में नरमी
कोरोना से रिकवरी के बाद वैश्विक स्तर पर महंगाई तेजी से बढ़ने लगी। नतीजतन विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति में नरमी की जगह सख्ती की जाने लगी। ब्याज दरों में तेजी का सिलसिला शुरू हो गया। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2 नवंबर को न सिर्फ लगातार चौथी बार ब्याज दरों में 0.75 फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की, बल्कि मौद्रिक नीति को लेकर रुख में सख्ती बरकरार रखने के संकेत भी दिए। अन्य देशों के केंद्रीय बैक भी ब्याज दरों में लगातार इजाफा कर रहे हैं। इस वजह से क्रिप्टो और अन्य रिस्की एसेट क्लास के बजाय रिस्क फ्री एसेट क्लास मसलन सरकारी बॉन्ड में संस्थागत निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। मंदी की आशंका भी गहरा रही है। तो महंगाई व मंदी ने क्रिप्टो मार्केट को बेदम कर दिया है।

क्रिप्टो मार्केट को झटका
वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को लेकर विभिन्न देश जिस तरह से सख्ती बरत रहे हैं, उससे भी क्रिप्टो मार्केट को लेकर निवेशकों का उत्साह ठंडा हुआ है। चीन ने तो अपने यहां किप्टोकरेंसी की माइनिंग और लेन-देन पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है, जबकि भारत में प्रतिबंध जैसी चीज तो नहीं है लेकिन पिछले बजट में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली इनकम पर 30 फीसदी टैक्स का प्रावधान किया गया। साथ ही 10 हजार रुपए से ज्यादा की किप्टोकरेंसी की खरीद-बिक्री पर एक फीसदी टीडीएस भी लगा दिया गया है, जिससे क्रिप्टो मार्केट को तगड़ा झटका लगा है।

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English summary
Cryptocurrency is a digital currency, also known as virtual currency. Virtual currency is made of blockchain technology, which works on the principle of cryptography. That's why it is called cryptocurrency. The central bank issues the sovereign currency of any country i.e. rupee-dollar etc. Sovereign currency is also called fiat currency. In what quantity it will be printed, it depends on the economic conditions of the country.
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