उत्तर पूर्वी परिषद क्या है, जानिए इसके कार्य और उपलब्धियों बारे में

उत्तर पूर्वी परिषद का गठन पूर्वोत्तर राज्यों में तीव्र विकास लाने के लिए किया गया था। अभी उत्तर पूर्वी परीषद यानी एनईसी ने उत्तर पूर्वी राज्यों में सामान्य विकास के रास्ते में आने वाली बुनियादी बाधाओं को दूर किया है और साथ ही नए आर्थिक विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शुरुआती समय में उत्तर पूर्व के राज्यों पर उतना ध्यान नहीं दिया गया था लेकिन बाद श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभालने के बाद उन्हें इन राज्यों का प्राथमिकता दी और राज्यों का विकास करने के लिए अग्रसर हुए। आपको बता दें कि उत्तर पूर्वी परीषद भारत सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र मेंत्रालय के सहयोग से कार्य करता है और मुख्य रूप से विकास में आने वाली बुनियादी बाधाओं को दूर कर सबसे पहले कनेक्टिवीटी पर कार्य कर रहा है। आइए आपको इस लेख के माध्यम से उत्तर पूर्वी परिषद और उसकी उपलब्धियों के साथ इसके विकास में केंद्र सरकार की भूमिका के बारे में बताएं।

उत्तर पूर्वी परिषद क्या है, जानिए इसके कार्य और उपलब्धियों बारे में

उत्तर पूर्वी परिषद क्या है?

उत्तर पूर्वी परीषद (एनआईसी) का गठन 1971 में उत्तर पूर्वी परिषद द्वारा किया गया था। ये एक वैधानिक सलाहकार निकाय है जो स्थापित होने के बाद 7 नवंबर 1972 में शिलांग में अस्तित्व में आया। भारत के उत्तर पूर्व में आठ राज्य हैं जिसमें अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम शामिल है। ये आठों राज्य उत्तर पूर्वी परिषद के सदस्य राज्य हैं। आपको बता दें कि शुरुआती समय में सिक्किम इसका सदस्य नहीं था, इस राज्य को वर्ष 2002 में परिषद में शामिल किया गया है। इसके साथ ये भी जानना आवश्यक है कि ये परिषद भारत सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और इसका मुख्यालय शिलांग में स्थित है।

उत्तर पूर्वी परिषद (एनईसी) की उपलब्धियां

उत्तर पूर्वी परिषद ने 1971 में गठित होकर 1972 में अस्तित्व में आन के बाद से आज (2022) तक यानी पिछले 50 सालों में निरंतर विकास उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास के लिए कार्य किया है और कई उपलब्धियां भी हासिल की है, आइए जाने -

1. अपनी स्थापना के बाद के एनआईसी ने क्षेत्रीय कनेक्टिवीटी के सुधार पर ध्यान केंद्रीत किया, क्योंकि विकासात्मक गतिविधियों में ये प्रमुख बाधा जी जिसका निपटान महत्वपूर्ण था। इसके माध्यम से परिषद ने अंतर राज्य कनेक्टिविटी की दिशा में अधिक ध्यान और योगदान दिया।

2. एनईसी फंडिंग के माध्यम से कुल 10,500 किमी सड़कों का निर्माण किया गया जिसके रखरखाव कार्य राज्यों को सौंपा गया। इसके साथ ही सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 2001 में सड़क के बुनियादी ढांचे के विकास को ध्यान में रखा गया।

3. एनईसी द्वारा अब तक में 695.6 मेगावाट बिजली संयंत्रों की स्थापना की गई है। साथ ही 2540.41 किलोमीटर पारेषण और वितरण लाइनों के निर्माण का समर्थन किया है।

4. लोगों के लिए अंतर राज्यीय आवाजाही को आसान करने के लिए विभिन्न राज्यों में 11 अंतर-राज्य बस टर्मिनस का निर्माण की परियोजना शुरु की गई है। इसके साथ आपको बता दें कि तीन इंटर राज्य ट्रक टर्मिनस का भी बनाई जा रही है ताकि वस्तुओं की आवाजाही की सुविधा को आसान बनाया जा सके। तीन में से दो टर्मिनस जो कि नागलैंड और मणिपुर में है उनके निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है और त्रिपुरा के इंटर राज्य टर्मिनस का कार्य अभी प्रगति पर है।

5. एनईसी द्वारा मौजुद हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के कार्य किया गया है। पूर्वोत्तर में 5 प्रमुध हवाई अड्डे हें जो गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, जोरहाट, इंफाल और उमरोई में स्थित है, इन सभी के बुनियादी ढांचों में बदलाव भारतीय विमानपत्तन के सहायोग से 60:40 के अनुपास से किया गया है, जिसमें 60 एनईसी और 40 एएआई द्वारा है। इनमें से एलजीबीआई एयरपोर्ट, गुवाहाटी में 3 हैंगर और एप्रन के निर्माण और जोरहाट एयरपोर्ट पर एप्रन के विस्तार का काम पूरा हो चुका है, जबकि अन्य तीन एयरपोर्ट पर काम कार्यान्वयन के उन्नत चरण में है। इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के तेजू में एक नए हवाई अड्डे के निर्माण का 60% काम एनईसी फंडिंग के तहत पूरा किया जा चुका है।

6. विकास को और बढ़ाने के लिए रोजगार बहुत आवश्य है, जिसके लिए एनईसी ने एक प्रमुख कार्यक्रम शुरु किया जिसका नाम उत्तर पूर्वी क्षेत्र सामुदायिक संसाधन प्रबंधन परियोजना जो कि एक स्थायी आजीविका परियोजना है। इसी अजीविका परियोजना ने 1999 में करीब 1,19,000 से अधिक ग्रामीण महिलाओं के जीवन को बदल दिया है। आपको बता दें कि इस परियोजना के दो चरण है जिसमें से असम, मेघालय और मणिपुर में 6 सबसे दुर्गम दूरदराज के पहाड़ी जिलों में 1326 गांवों को शामिल किए गए। इसकी सफलता को देखते हुए तीसरी परियोजना की शुरुआत जनवरी 2014 में की गई। जिसमें पांच पिछड़े जिलों तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग (अरुणाचल प्रदेश) और चंदेल और चुराचंदपुर (मणिपुर) में 1177 गांवों कवर करने के लिए शुरू किया गया था।

7. एनईसी ओलंपिक, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और राष्ट्रीय खेलों में पदक जीतने वाले पूर्वोत्तर क्षेत्र के 207 खिलाड़ियों को "पूर्वोत्तर के खिलाड़ियों/महिला खिलाड़ियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्टता के लिए अध्यक्ष का खेल पुरस्कार" नामक नकद पुरस्कार भी प्रदान कर रहा है।

8. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में फुटबॉल सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला खेल है और इन राज्यों में इस खेल के लिए प्रतिभा का विशाल संसाधन भी है।

9. एनईसी द्वारा डॉ. टी एओ की याद में एक प्रमुख अंतर क्षेत्रीय वार्षिक फुटबॉल टूर्नामेंट प्रायोजित किया जा रहा है। डॉ. टी एओ नागालैंड से थे और लंदन ओलंपिक में खेल रही भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान थे। क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए अब तक 6 संख्या में "एनईसी डॉ. टी. एओ मेमोरियल फुटबॉल टूर्नामेंट" का आयोजन किया जा चुका है।

10. एनईसी ने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, बागवानी, पर्यटन, उद्योग आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्य भी किया है। संबंधित क्षेत्रों के तहत परियोजनाओं का विवरण उपलब्ध है।

एनईसी ने कई संस्थानों को स्थापना की और ये सब उसने 9वीं पंचवर्षीय योजना तक में प्राप्त की। आइए जाने -

• नेपा - 1978 में शिलांग में पूर्वोत्तर पुलिस अकादमी की स्थापना की गई
• नीपको - नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिकल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना 1976 में शिलांग में हुई थी
• NERAMAC - गुवाहाटी में पूर्वोत्तर क्षेत्र कृषि विपणन निगम की स्थापना 1982 में हुई थी
• NERIST - नॉर्थ ईस्टर्न रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ईटानगर, 1986 में शुरू हुआ
• RIPAN - रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल एंड नर्सिंग साइंसेज, आइजोल की स्थापना 1995 में हुई थी
• NERIWALM - तेजपुर, असम में जल और भूमि प्रबंधन का उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय संस्थान 1989 में स्थापित किया गया
• रिम्स - क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स), इम्फाल की स्थापना 1972 में हुई थी
• LGBRIMH - लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (LGBRIMH), तेजपुर, असम 1976 में स्थापित)
• NESAC - उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, शिलांग 1983 में स्थापित किया गया
• बीबीसीआई - भुवनेश्वर बरुआ कैंसर संस्थान की स्थापना 1974 में हुई थी
• आरडीसी - रीजनल डेंटल कॉलेज, गुवाहाटी की स्थापना 1985 में हुई थी
• आरएनसी - रीजनल नर्सिंग कॉलेज, गुवाहाटी की स्थापना 1977 में हुई थी
• RIPSAT - रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी, अगरतला, त्रिपुरा, 1979 में स्थापित।
• CBTC - क्षेत्र में बेंत और बांस प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए 2004 में गुवाहाटी में बेंत और बांस प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की गई।
• एनईटीडीसी - क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 2016 में शिलांग में उत्तर पूर्व पर्यटन विकास परिषद की स्थापना की गई।

उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास में प्रधानमंत्री का योगदान

- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर पूर्वी परिषद की स्वर्ण जंयती समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान एनईसी की बैठक में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले 50 वर्षों के दौरान काम की सराहना की इसके साथ एनईसी को उत्तर पूर्व में विकास के विभिन्न आयामों का ब्ल्यूप्रिंट तैयार करके अगले 25 वर्षों में अपने लक्ष्यों को निर्धारित करने का भी निर्देश दिया। जब से नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया है उन्होंने उत्तर पूर्वी राज्यों के राज्यों की प्राथमिकता दी है, उन्होंने करीब 50 बार से अधिक बार उत्तर पूर्व के राज्यों का दौरा किया है।

- इसके साथ आपको बता दें कि पहले उत्तर-पूर्व पहले बंद, हड़ताल, बम विस्फोट और गोलीबारी के लिए जाना जाता था। लेकिन अब विवादों को सुलझा कर उत्तर पूर्व के राज्य विकास और शांति के पथ पर अग्रसर हैं।

- शुरुआती समय में उत्तर पूर्व के राज्यों द्वारा एएफएसपीए को हटाने की मांग की जाती थी लेकिन अब इसके बारे में सुनने को नहीं मिलता है क्योंकि सरकार द्वारा एएफएसपीए को हटाने की पहल की जा चुकी है।

- शुरुआती समय में उत्तर पूर्वी राज्यों को अवांटित धन नीचे तक नहीं पहुंचता था, लेकिन जब से नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री का पद संभाला गया है तब से इन राज्यों के गांवों तक धन की पहुंच बढ़ी है। ताकि विकास के कार्य आसानी से किए जा सकें।

- प्रधानमंत्री द्वारा उत्तर पूर्व के राज्यों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को एक नया आकार और आयाम प्राप्त हुआ है। जिसके कारण से उत्तर पूर्वी राज्यों में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ीं है और कई छोटे उद्योग, शैक्षणिक संस्थान और खेल से जुड़े कई संस्थान भी खोले जा रहे हैं ताकि यहां के नागरिक विकास से वंचित न रहें।

- प्रधान मंत्री ने सड़क, ट्रेन और हवाई संपर्क से पूर्वोत्तर राज्य की प्रत्येक राजधानी को जोड़ने की परियोजना शुरू की है।

इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव में केंद्र सरकार की भूमिका

केंद्र सरकार के सभी संबंधित मंत्रालयों और विभागों द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचों को कई गतिविधियों की शुरुआत की गई थी, जिसमें रेल कनेक्टिविटी , सडंक कनेक्टिविटी, हवाई कनेक्टिविटी, जलमार्ग कनेक्टिविटी, बिजली कनेक्टिविटी और दूरसंचार कनेक्टिविटी में सुधार शामिल था।

हवाई कनेक्टिविटी - कुल 28 परियोजनाएं 2016-17 से 2021-22 तक 975.58 करोड़ रुपये की स्वीकृत लागत और 979.07 करोड़ रुपये की लागत से पूरी की गई हैं। फिलहाल 2,212.30 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के साथ 15 परियोजनाएं चल रही हैं।

रेल कनेक्टिविटी - रेल मंत्रालय ने 01.04.2022 तक 1,909 किलोमीटर की लंबाई के लिए 77,930 करोड़ रुपये की लागत वाली 19 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में पूरी तरह से/आंशिक रूप से आती हैं, जिनमें 2014 से स्वीकृत परियोजनाएं भी शामिल हैं, जो कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। जिसकी 409 किमी लंबाई चालू की गई है और मार्च, 2022 तक 30,312 करोड़ रुपये का व्यय किया गया है। इसमें शामिल हैं
(i) 1,181 किमी की लंबाई को कवर करने वाली 14 नई लाइन परियोजनाएं शामिल है जिसकी लागत 61,520 करोड़ रुपये की है। जिसमें से 361 किलोमीटर की लंबाई कमीशन की गई है और रुपये का व्यय। मार्च, 2022 तक 27,458 करोड़ रुपये खर्च किए गए;
(ii) 16,410 करोड़ रुपये की लागत से 728 किमी की लंबाई को कवर करने वाली 5 दोहरीकरण/मल्टीट्रैकिंग परियोजनाएं। जिसमें से 48 किमी लंबाई कमीशन की गई है और 2,854 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

जलमार्ग संपर्क- धुबरी (बांग्लादेश सीमा) से सदिया (891 किमी) तक ब्रह्मपुत्र नदी को 1988 में राष्ट्रीय जलमार्ग -2 घोषित किया गया था। जलमार्ग को आवश्यक गहराई और चौड़ाई, दिन और रात नेविगेशन एड्स और टर्मिनलों के उचित मार्ग के साथ विकसित किया जा रहा है।
5 वर्षों (2020-2025) के दौरान निर्मित और नियोजित सुविधाओं पर 461 करोड़ रुपये खर्च होंगे। बराक नदी को वर्ष 2016 में राष्ट्रीय जलमार्ग-16 घोषित किया गया था। यह असम की कछार घाटी में सिलचर, करीमगंज और बदरपुर को भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल (IBP) रूट के माध्यम से हल्दिया और कोलकाता बंदरगाहों से जोड़ता है। निर्मित और नियोजित सुविधाओं पर 5 वर्षों (2020-2025) के दौरान 145 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

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English summary
The North Eastern Council was formed to bring about rapid development in the North Eastern States. At present, the North Eastern Council (NEC) has removed the basic obstacles coming in the way of normal development in the North Eastern States and at the same time has played an important role in accelerating the efforts being made for new economic development. In the initial time the North East states were not given much attention but later after Shri Narendra Modi took over as the Prime Minister, he gave priority to these states and proceeded to develop the states.
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