Explained: भारत चीन के संबंध क्यों हुए खराब, समझौते एवं चुनौतियां

India-China Relations Essay: अक्टूबर माह की 23 तारीख को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अगले पांच सालों के कार्यकाल के लिए लगातार तीसरी बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) का महासचिव चुन लिया गया। यह विशेष उपलब्धि है

India-China Relations UPSC: अक्टूबर माह की 23 तारीख को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अगले पांच सालों के कार्यकाल के लिए लगातार तीसरी बार कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) का महासचिव चुन लिया गया। यह विशेष उपलब्धि है क्योंकि जिनपिंग सीपीसी के संस्थापक माओ त्से तुंग के बाद सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के पहले नेता हैं‚ जिन्हें राष्ट्रपति पद का लगातार तीसरा कार्यकाल प्राप्त हुआ है।

उनकी सफलता के बाद आशंका जताई जा रही है कि जिनपिंग अब जीवन भर चीन की सत्ता पर काबिज रहेंगे। यह स्थिति भारत के लिए हमेशा चिंतनीय बनी रहेगी क्योंकि उनकी जो नीतियां रही हैं‚ वे भारत के लिए ठीक नहीं रहीं। उनके ही कार्यकाल में मई 2020 से सीमा पर तनाव बरकरार है।

Explained: भारत चीन के संबंध क्यों हुए खराब, समझौते एवं चुनौतियां

भारत चीन युद्ध
1962 की लड़ाई के 60 साल पूरे हो गए हैं। इस अवधि में चीन से लगने वाली सीमा पर सामरिक चुनौतियां बढ़ गई हैं। तिब्बत में उसके सैन्य तंत्र में काफी इजाफा हुआ है। यहां पर चीन पहले की आठ डिवीजनों की तुलना में तीन दर्जन डिवीजनों को बनाए रखने की स्थिति में है। इस इलाके में लड़़ाकू हवाई विमानों और मिसाइलों के अड्डों की संख्या काफी बढ़ाई जा चुकी है। इन सभी अड्डों पर सेना की समस्त जरूरतों वाली लॉजिस्टिक क्षमताएं स्थापित की जा चुकी हैं।

चीन तिब्बत में दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर हवाई अड्डे का निर्माण कर चुका है‚ जो रणनीतिक दृष्टि से विशेष हवाई अड्डा है। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास चीनी सेना अपनी छावनी को मजबूत कर रही है। चीनी सैनिक गतिरोध के बाद जब यहां से पीछे हटे तो वे रुटोग काउंटी में मौजूद अपनी छावनी में गए थे। चीनी सेना इसी छावनी में लॉजिस्टिक सपोर्ट बेस बढ़ा रही है। यहां पर 85 से ज्यादा शेल्टर तैयार कर लिए गए हैं। चीनी सेना ने इन्हें 2019 के बाद विकसित करना शुरू किया था। यहां 250 से ज्यादा अस्थायी शेल्टर भी हैं।

भारत को रहना होगा सतर्क
1962 के युद्ध के बाद से दुनिया बहुत बदल चुकी है‚ लेकिन चीन जिस तरह की कूटनीतिक चालें चलता है‚ उससे भारत को अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहना होगा। दूसरा आपसी संबंध बेहतर बनाने और विवादित मुद्दों को हल करने के लिए चीन कितना गंभीर है। इसके लिए बीते 60 वर्षों के भारत-चीन संबंधों पर चिंतन एवं मनन की जरूरत है। 1962 की लड़ाई के बाद 1965 तक चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया।

इसी वर्ष जब भारत ने पाकिस्तान को लड़ाई में शिकस्त दी तो चीन की समझ में आ गया कि भारत के साथ सीधी लड़ाई में कोई फायदा नहीं होगा और संबंध सामान्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की लेकिन 1967 में चीन ने नाथुला पोस्ट पर गोलीबारी करके अतिक्रमण करने का प्रयास किया जिसका मुंहतोड़ जवाब 2 ग्रेनेडियर्स के जवानों ने दिया जिससे चीन को कड़ा संदेश मिला।

अटल बिहारी बाजपेई की चीन यात्रा
1971 में संबंध सुधारने के प्रयासों के तहत भारत ने संयुक्त राष्ट्र में चीन का समर्थन किया। जुलाई 1976 में कूटनीतिक संबंध बहाल हुए और राजदूतों ने एक दूसरे के देश की यात्रा की। 1978 में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल एक दूसरे के यहां गए और न्यूयार्क में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मुलाकात की। फरवरी 1979 में विदेश मंत्री अटल बिहारी बाजपेई चीन की यात्रा पर गए। जून 1981 में चीन के विदेश मंत्री हुआंगहू ने भारत यात्रा की। 1986 में चीन ने वीजिंग में वार्ता करने का नाटक किया और दूसरी तरफ समुदोरोंग चू घाटी में अतिक्रमण का प्रयास किया लेकिन सेनाध्यक्ष के. सुंदरजी ने करारा जवाब दिया जिससे चीन को पीछे हटना पड़ा।

भारत चीन के समझौते
19 दिसम्बर 1988 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए जिसमें सीमा विवाद का हल निकालने के लिए एक कार्यदल बना। 1990 में चीनी राष्ट्रपति भारत आए और दिसम्बर 1991 में चीन के प्रधानमंत्री ली पेंग ने भारत की यात्रा की। 1992 में तत्कालीन रक्षा मंत्री शरद पवार और राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन द्वारा चीन की यात्राएं की गई, जिनमें सीमा विवाद पर वार्ता हुई।

सितम्बर 1993 में प्रधानमंत्री नरसिंह राव की चीन यात्रा हुई और 7 सितम्बर को दोनों देशों के बीच सीमा विवाद हल होने तक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखे जाने‚ एक दूसरे के खिलाफ बल प्रयोग नहीं करने‚ अपने-अपने सैनिक अभ्यासों की पूर्व सूचना देने‚ वायु सीमा का उल्लंघन न करने‚ व्यापार‚ पर्यावरण संरक्षण तथा रेडियो व टेलीविजन के मुद्दों पर समझौता हुआ। 29 नवम्बर 1996 को चीन के राष्ट्रपति जियांग झेमीन भारत की सद्भावना यात्रा पर आए। 1997 में दोनों देशों के मध्य सीमा सुरक्षा‚ नियंत्रण रेखा व सैन्य मुद्दों पर विश्वास बढ़ाने की सहमति बनी।

जारी रहा सीमा विवाद
मई-जून 2000 में भारतीय राष्ट्रपति के.आर.नारायणन चीन की यात्रा पर गए। 13 जनवरी 2002 को चीन के प्रधानमंत्री झू रोंगजी भारत आए। 12 मार्च 2002 को दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद निपटाने की सहमति बनी। एक अप्रैल 2003 को रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस चीन गए और विभिन्न मुद्दों सहित सीमा विवाद पर बातचीत की।

31 मई 2003 को भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ सेंट पीटर्सबर्ग में मिले। 22 जून 2003 को प्रधानमंत्री बाजपेई चीन गए और सीमा विवाद पर बातचीत को आगे बढ़ाने पर जोर दिया लेकिन 23 जून को चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ कर दी जिससे संबंध तनावपूर्ण हो गए। अप्रैल 2004 में चीनी प्रधानमंत्री बेन जिया बाओ भारत आए और ड़ॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की। इस यात्रा में 12 समझौतों पर सहमति हुई।

क्यों खबर हुए भारत चीन के संबंध
13 जनवरी 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन के दौरे पर गए। 21 जून 2009 को चीन के हेलीकॉप्टरों ने चूमार क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा लांघ कर दूषित खाद्य सामग्री गिराई। 31 जुलाई 2009 को चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में डेढ़ किलोमीटर अंदर घुसकर कई चट्टानों पर चाइना और चीन-9 लिख दिया। इसके बाद अक्टूबर 2009 में दक्षिण पूर्वी लद्दाख के देमचोक क्षेत्र में एक सड़क के निर्माण में उसने आपत्ति उठाई। अक्टूबर 2009 में ही चीन ने कश्मीर की विवादित भूमि को अलग देश के रूप में दिखाया। इन घटनाओं से भारत और चीन के संबंध बिगड़ गए।

2010 में चीन ने भारतीय सीमा के कई स्थानों पर अतिक्रमण और घुसपैठ की। 2010 में ही जनवरी से जून माह तक सिक्किम से लगती फिंगर एरिया में चीनी सेना ने 62 बार नियंत्रण रेखा पार करने का प्रयास किया। इस विवेचन से स्पष्ट होता है कि 62 के बाद के 60 वर्षों में दोनों देशों के संबंधों में कोई खास प्रगति नहीं हुई और न ही सीमा विवाद को सुलझाने में चीन की रुचि है। आगे क्या होगा भविष्य में पता चलेगा।

भारत-चीन पर लेटेस्‍ट अपडेट
9 दिसंबर 2022 को मध्यरात्रि में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 300 से अधिक चीनी सैनिक 17 हजार फीट ऊंची चोटी पर कब्जे करने आए थे, लेकिन भारतीय सैनकों ने उन्हें खदेड़ दिया। यह घटना ठीक वैसे ही, जैसे 1999 में करगिल में पाकिस्तानी सेना ने किया था। लेकिन, भारतीय जवानों ने उन्हें वापस चीनी सीमा में धकेल दिया। रक्षा सूत्रों का कहना है कि इस क्षेत्र में भारतीय सेना की 'कवच वॉल' को पीएलए के सैनिक हर गश्त के दौरान पीछे धकेलने की साजिश करते रहते हैं। 9 दिसंबर की झडप के बाद अब यहां सामान्य गश्त बहाल हो चुकी है। हालांकि, सेना पूरे सेक्टर में हाई अलर्ट पर है। सैनिकों को निर्देश है कि चीनी सेना को किसी भी विवादित इलाके में घुसने से बलपूर्वक रोक दिया जाए।

चीनी घुसपैठ के सरकारी आंकड़े
चीन के मंसूबे इस बात से पता चलते हैं कि घुसपैठ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। 2006 से 2010 के बीच चीनी सेना ने घुसपैठ की 300 कोशिशें की थीं। 2015 से 2020 के बीच घुसपैठ की घटनाएं 300 से बढ़कर 600 तक पहुंच गईं।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
झड़प का कथित वीडियो सामने आया है। आर्मी के जम्मू-कश्मीर राइफल्स, जाट रेजिमेंट और सिख लाइट इन्फैंट्री के जवानों ने कंटीले लाठी-डंडे से पीट-पीटकर चीनी सैनिकों को खदेड़ा।

भारत ने जारी किया बयान
गृहमंत्री शाह ने कहा कि भारत की एक इंच जमीन पर भी चीन ने कब्जा नहीं किया। वहीं 9 दिसंबर की घटना के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि चीनी सैनिकों ने एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा रूप से बदलने का प्रयास किया। भारतीय सेना ने बहादुरी से चीनी सैनिकों को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी चौकी पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। इस झड़प में कुछ भारतीय सैनिकों को चोटें आई हैं, लेकिन कोई भी सैनिक गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है।

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English summary
India-China Relations Essay Dispute Agreements Challenges: On July 31, 2009, Chinese soldiers entered one and a half kilometer inside the Indian border and wrote China and China-9 on many rocks. After this, in October 2009, he raised objection to the construction of a road in Demchok area of South Eastern Ladakh. In October 2009 itself, China showed the disputed land of Kashmir as a separate country. These incidents worsened the relations between India and China.
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