G-20 Summit 2023: भारत पर होंगी ये जिम्मेदारियां

दिसंबर से औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता भारत के हाथों आ गई है। वैश्विक समुदाय के लिए तीपूर्ण समय में यह एक असाधारण जिम्मेदारी है। जी-20 अध्यक्षता भारत के लिए ऐतिहासिक है।

दिसंबर से औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता भारत के हाथों आ गई है। वैश्विक समुदाय के लिए तीपूर्ण समय में यह एक असाधारण जिम्मेदारी है। जी-20 अध्यक्षता भारत के लिए ऐतिहासिक है। भारत पहली बार वड़े एवं महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम की मेजवानी कर है। मौजूदा समय के मजबूत भू-राजनीतिक ध्रुवीकरण को ते हुए अध्यक्ष के तौर पर भारत के समक्ष वड़ी चुनौतियों के ही असामान्य अपेक्षाएं भी होंगी। अध्यक्षता संभालने से पहले अंडमान और निकोबार द्वीप ह में आयोजित जी-20 राजदूतों की वार्ता में व्यापक रूप से भाव देखने को मिला कि अगर कोई देश मौजूदा दौर की तियों का सामना कर सकता है, तो वह भारत ही है।

G-20 Summit 2023: भारत पर होंगी ये जिम्मेदारियां

भारत और वैश्विक चुनौतियां
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैश्विक निर्णय लेने वाले अंतरराष्ट्रीय मंचों एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार रहे हैं, जिनमें संयुक्त राष्ट्र, जी- 7, व व्यापार संगठन, जलवायु वार्ता, क्वाड, शंघाई सहयोग ठन और व्रिक्स जैसे बड़े मंच शामिल हैं। विकासशील देश, होंने महामारी के प्रतिकूल प्रभाव और यूक्रेन संघर्ष के सकारात्मक परिणामों को महसूस किया है - भोजन और ऊर्जा यात की बढ़ती लागत के कारण, अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को ने और समाधान के लिए भारत की जी-20 अध्यक्षता की ओर देख रहे हैं । इसका स्पष्ट कारण यह है कि भारत में अपेक्षाकृत व्यापक आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता देखी गई है। अपने नागरिकों को समावेशी और त्वरित विकास प्रदान करने में अपने हाल के अनुभवों और उपलब्धियों के आधार पर भारत इन वैश्विक चुनौतियों का समाधान प्रदान करने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में है।

वैक्सीन डिप्लोमेसी मिशन
भारत के लिए प्रौद्योगिकी हमेशा से एक समतामूलक कारक के तौर पर रही है। देश के सभी क्षेत्रों से जुड़े नागरिकों ने सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच स्थापित करने, भुगतान करने और यहां तक कि अपनी सामूहिक शिकायतों को दूर करने के लिए डिजिटल सार्वजनिक विकल्पों के टूलकिट का उपयोग किया है। ध्रुवीकरण और तकनीकी आधार पर वंटी दुनिया में भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि आने वाले वर्षों में दुनिया में एक वेहतर न्यायसंगत माहौल हो। हमने देखा कि कोविड-19 जव अपने चरम पर था, तव भारत ने असाधारण चुनौतियों को पार किया। सरकार ने नागरिकों का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए एक संपूर्ण और कारगर दृष्टिकोण अपनाते हुए महामारी का मुकावला किया। भारत ने एक 'वैक्सीन डिप्लोमेसी मिशन' भी शुरू किया, जिसने विनिर्माण सुविधाओं को अन्य देशों के साथ जोड़ने सहित आपूर्ति श्रृंखलाओं और कच्चे माल तक पहुंच की सुविधा प्रदान की ।

भारत की जी-20 अध्यक्षता
महामारी से निपटने के वैश्विक प्रयासों में भारत सवसे आगे रहा। इस अभूतपूर्व सहयोग का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि राष्ट्रों के एक वैश्विक परिवार के रूप में, हमारा प्रदर्शन अपेक्षाओं से भी कहीं वेहतर देखने को मिला। जव अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वात आती है, तो किसी के फायदे या किसी के नुकसान पर फोकस नहीं किया जाता। जैसा कि पीएम मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था, 'हमारी नियति आपस में जुड़ी हुई है। हमें एक ऐसे युग में प्रवेश करना होगा, जहां समस्या के समाधान के लिए विश्व स्तर पर एकीकृत दृष्टिकोण हो।' उन्होंने इस वात पर जोर दिया है कि भारत की जी-20 अध्यक्षता का फोकस वैश्विक भलाई और विश्व कल्याण पर होगा। भारत सवसे तेजी से आगे बढ़ने वाली वड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसके पास मजबूत और विस्तृत आर्थिक संरचना, मजबूत सार्वजनिक वित्त और मजवूत विनिर्माण और निर्यात वृद्धि का अनुकूल आधार है। यह एक शीर्ष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) गंतव्य है । यह सबसे बड़ा स्मार्टफोन डेटा उपभोक्ता और वैश्विक स्तर पर फिनटेक अपनाने वाला वड़ा देश है, जो डिजिटल स्पेस में और नवाचार के स्रोत के रूप में अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर रहा है। भारत के पास दुनिया का सबसे अच्छा डिजिटल सार्वजनिक वुनियादी ढांचा का मॉडल है, जिसमें जन-धन, आधार और मोवाइल फोन ट्रिनिटी, यूपीआई, कोविन, आयुष्मान भारत और फास्टैग जैसे परिवर्तनकारी स्ट्रक्चर शामिल हैं।

डिजिटल इंडिया विकास
इंडोनेशिया के वाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने वताया कि पिछले साल दुनिया के 40 प्रतिशत से अधिक रीयल-टाइम भुगतान लेन-देन यूपीआई के माध्यम से हुए थे। उन्होंने कहा कि भारत के डिजिटल परिवर्तन ने डिजिटल पव्लिक गुड्स विकसित किया है, जिसकी वुनियादी संरचना में लोकतांत्रिक सिद्धांत शामिल हैं। उन्होंने कहा था कि अफसोस की वात है कि ज्यादातर विकासशील देशों के नागरिकों के पास किसी तरह की डिजिटल पहचान नहीं है। भारत के अनुभव ने दिखाया है कि अगर डिजिटल आर्किटेक्चर को व्यापक रूप से सुलभ वनाया जाता है, तो यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन ला सकता है। गरीवी के खिलाफ लड़ाई में डिजिटल तकनीकों का उचित उपयोग काफी कारगर सावित हो सकता है। भारत की स्वास्थ्य संरचना अनूठी, कम लागत वाली, समावेशी और विश्वस्तरीय है। इसकी कुछ प्रमुख पहल में आयुष्मान भारत, एक बड़ा वैक्सीन उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र, कोविन, वैक्सीन मैत्री, वैश्विक स्तर पर जेनरिक दवाओं का उत्पादन और आपूर्ति करने की क्षमता के साथ ही राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन शामिल हैं। भारत आयुर्वेद और योग के माध्यम से स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में भी अग्रणी है । आज की जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया को नये और इनोवेटिव तरीकों की जरूरत है। डिजिटल इंडिया विकास और कल्याण के साथ-साथ विकास को सुगम बनाने के लिए वैश्विक समाधान का एक तकनीकी मॉडल प्रदान कर सकता है । इसके साथ ही भारत के सफल टीकाकरण कार्यक्रम में 'कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म' का अहम योगदान रहा है। इस तरह यह उम्मीद की जा सकती है कि भारत की जी-20 अध्यक्षता दुनिया भर के देशों और लोगों के लाभ के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करेगी।

जी-20 मॉडल का अंतरराष्ट्रीयकरण
'डेटा फॉर डवलपमेंट' का सिद्धांत भारत की अध्यक्षता के दौरान समग्र विषय का एक अभिन्न अंग होगा। हमारी अध्यक्षता के दौरान हम अन्य जी-20 भागीदारों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के प्रयास करेंगे, ताकि ऐसे तंत्र तैयार किए जा सकें, जो विकासशील देशों की क्षमता को मजबूत कर पाएं। मसलन, हम कोविड- 19 महामारी जैसे स्वास्थ्य संकटों से निपटने के लिए बेहतर तंत्र विकसित करने पर फोकस करेंगे। हमें स्वास्थ्य संकटों के लिए अधिक समावेशी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए वौद्धिक संपदा, नवाचार और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के सह- विकास के लिए नये दृष्टिकोण की आवश्यकता है। जव स्वास्थ्य तक पहुंच बढ़ाने की वात आती है, तो हमें उन लाभों पर भी ध्यान देना चाहिए जो हमें तकनीकी प्रगति और साक्ष्य- आधारित नीति प्रदान कर सकते हैं। जी-20 में, इस मॉडल का अंतरराष्ट्रीयकरण किया जा सकता है। हमें डिजिटल इंडिया को वैश्विक स्तर पर लेकर जाना चाहिए। जी-20 ऐसा समूह है, जो दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 75 प्रतिशत और दुनिया की दो-तिहाई आवादी का प्रतिनिधित्व करता है। जी-20 में लागू किए गए निर्णयों का राष्ट्रों पर अंतर- पीढ़ीगत प्रभाव पड़ेगा। चूंकि इस वार भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है, यह समय इसे परीक्षा की घड़ी को समग्र और समावेशी तरीके से नेविगेट करने का है।

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English summary
Since December, the chairmanship of G-20 has formally come in the hands of India. This is an extraordinary responsibility for the global community at a critical time. The G-20 chairmanship is historic for India. India is hosting a big and important international event for the first time. Given the strong geopolitical polarization currently in place, there will be unusual expectations of the enormous challenges facing India as Chair. The G-20 ambassadors' talks held in the Andaman and Nicobar Islands before taking over the presidency reflected a widespread sentiment that if any country can rise to the occasion, it is India.
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