Independence Day 2022: खुदीराम बोस के जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें

खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे युवा क्रांतिकारियों में से एक थे। ब्रिटिश जज डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार, उन्हें 11 अगस्त, 1908 को बिहार के मुजफ्फरपुर जेल में 18 साल की उम्र में फांसी दे दी गई थी।

आइए आज के इस आर्टिकल में हम आपको खुदीराम बोस के जीवन से जुड़ी 10 प्रमुख बातों के बारे में बताते हैं कि उनका जीवन कैसा था, एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्होंने देश के लिए क्या योगदान दिए।

खुदीराम बोस के जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें

खुदीराम बोस के जीवन से जुड़ी 10 बड़ी बातें

1. खुदीराम का जन्म 03 दिसंबर 1889 को हबीबपुर के छोटे से गाँव में हुआ था, जो पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के केशपुर पुलिस स्टेशन का एक हिस्सा है।
2. खुदीराम का जीवन शुरू से ही कठिनाइयों से भरा रहा। उन्होंने अपने माता-पिता को बहुत जल्दी खो दिया था जिसके बाद उनकी तीन उनकी तीन बड़ी बहनों ने उनका पालन-पोषण किया।
3. खुदीराम भारत के सबसे युवा स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे, सन् 1900 में अरबिंदो घोष और सिस्टर निवेदिता के सार्वजनिक भाषण ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
4. 1905 में, बंगाल विभाजन के दौरान, वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय स्वयंसेवक बन गए। खुदीराम ने मात्र 15 साल की उम्र में पहली बार ब्रिटिश प्रशासन के खिलाफ पर्चे बांटने के आरोप में गिरफ्तारी दी थी।
5. 1908 में खुदीराम पूरी तरह से ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में शामिल हो गए थे। उन्होंने न सिर्फ बम बनाना सीखा, बल्कि सरकारी अधिकारियों को निशाना बनाने के लिए बम पुलिस थानों के सामने लगाया था।
6. डगलस एच किंग्सफोर्ड उस समय कलकत्ता के मुख्य प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट थे। वह क्रांतिकारियों के निशाने पर थे क्योंकि उन्हें उनके कठोर व्यवहार और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति प्रतिशोध के लिए जाना जाता था। किंग्सफोर्ड की हत्या के मिशन को अंजाम देने के लिए खुदीराम बोस और प्रफुल्ल कुमार चाकी को नियुक्त किया गया था।
7. किंग्सफोर्ड पर जानलेवा हमला करने के बाद कलकत्ता पुलिस ने खुदीराम बोस को वेनी रेलवे स्टेशन पर पकड़ा जबकि प्रफुल्ल कुमार चक्की ने गिरफ्तार होने से ठीक पहले आत्महत्या कर ली थी।
8. जिसके बाद अठारह वर्ष की आयु में युवा खुदीराम को 11 अगस्त 1908 को फांसी दे दी गई। खुदीराम बोस भारत के सबसे युवा क्रांतिकारियों में से एक थे जिन्हें अंग्रेजों ने फांसी दी थी।
9. खुदीराम बोस फांसी चढ़ते समय मुस्कुरा रहे थे। स्वतंत्रता के लिए उनके बलिदान को स्वीकार करते हुए भारी मात्र में भीड़ उनकी अंतिम यात्रा देखने पहुंची थी।
10. खुदीराम बोस के बलिदान और देश के लिए उनके प्रेम की कहानी कवि पीतांबर दास द्वारा रचित बंगाल के लोकप्रिय लोकगीत में है।

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English summary
Khudiram Bose was one of the youngest revolutionaries of the Indian independence movement. Arrested for the attempted murder of British judge Douglas Kingsford, he was hanged on August 11, 1908 at the age of 18 in Muzaffarpur Jail in Bihar.
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