Rabindranath Tagore Jayanti 2023: रवींद्रनाथ टैगोर भारत के महान कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार थे। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोराशाको ठाकुरबारी में हुआ था। इस वर्ष रवींद्रनाथ टैगोर की 162वीं जयंती मनाई जा रही है। जबकि बंगाली कैलेंडर के अनुसार, रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 1268 में बैसाख महीने में 25वें दिन दिन हुआ था। इसलिए पश्चिम बंगाल में लोग ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती 7, 8 या 9 मई को मनाते हैं।
वर्ष 2019 में 7 मई, वर्ष 2020 में 8 मई, वर्ष 2021 में 9, और वर्ष 2022 में 7 मई को रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाई गई थी। इसके अलावा वर्ष 2023 में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती 9 मई को मनाई गई। सन 1861 में उनका जन्म बैसाख मास में हुआ था, उस समय की तिथि 7 मई थी। यही वजह है कि पश्चिम बंगाल में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती के उपलक्ष्य पर छुट्टी होती है। आइए जानें कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे-
1. भारत की आजादी से ठीक 6 वर्ष पहले रवींद्रनाथ टैगोर का निधन 7 अगस्त 1941 को हुआ। रवींद्रनाथ टैगोर ब्रह्म समाज के नेता देवेंद्रनाथ टैगोर के सबसे छोटे पुत्र थे। उनकी शिक्षा घर पर ही हुई थी और मात्र 17 वर्ष की आयु में टैगोर को आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया था। लेकिन उन्होंने वहां अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की और अपनी रुचि सामाजिक सुधारों की तरफ बढ़ा ली। उन्होंने शांतिनिकेतन में एक प्रायोगिक स्कूल भी शुरू किया, जहां उन्होंने शिक्षा के अपने उपनिषदिक आदर्शों को आजमाया। इसके साथ-साथ उन्होंने भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में भी भाग लिया।
2. रवींद्रनाथ टैगोर ने मार्च 1875 में अपनी मां को खो दिया था। जिसके बाद वह वह अपने पिता के साथ पूरे भारत के दौरे पर गए। यात्रा के दौरान, उन्होंने कवि कालिदास सहित कई प्रसिद्ध लेखकों के बारे में पढ़ा। लौटने पर उन्होंने मैथिली शैली में एक लंबी कविता की रचना की।
3. टैगोर ने अपने कॉलेज के वर्षों में शेक्सपियर के कार्यों का अध्ययन करना शुरू किया। 1880 में जब वह बिना डिग्री के बंगाल लौटे, तो उन्हें बंगाली और यूरोपीय परंपराओं के तत्वों को मिलाकर अपनी एक रचना तैयार की। 1882 में निर्झरेर स्वप्नभंगा नामक उनकी सबसे प्रशंसित कविताओं में से एक प्रकाशित हुई।
4. टैगोर को अपने मूल बंगाल में एक लेखक के रूप में शुरुआती सफलता मिली थी। नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय-टैगोर पहले गैर-यूरोपीय कवि थे जिन्हें उनके संग्रह 'गीतांजलि' के लिए 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
5. रवींद्रनाथ टैगोर महात्मा गांधी के प्रसंशक थे। मोहनदास करमचंद गांधी को 'महात्मा' नाम रवींद्रनाथ ने ही दिया था। कवि रवींद्रनाथ टैगोर और वैज्ञानिक आइंस्टीन वर्ष 1931 में चार बार मिले। उन्होंने संगीत और अन्य चीजों में अपनी समान रुचियों को साझा किया।
6. रवींद्रनाथ टैगोर ने 2000 से अधिक गीत लिखे जिन्हें सामूहिक रूप से 'रवींद्र संगीत' के नाम से जाना जाता है। उनका मानना था कि संगीत के बिना, दुनिया खाली है। रवींद्रनाथ टैगोर लोक धुनों से अत्यधिक प्रेरित थे।
7. रवींद्रनाथ टैगोर को घूमने का काफी शौक था। वह देश के साथ साथ विदेश यात्रा पर जाना काफी पसंद करते थे। उन्होंने 5 दशकों में लगभग 30 देशों की यात्रा की। हर बार जब भी वह यात्रा करते थे, तो वह उस देश की संस्कृति और लोगों से प्रेरित होते थे। जिससे उन्हें अधिक गीत लिखने, कविताएं और उपन्यास लिखने के लिए प्रेरणा मिली।
8. रवींद्रनाथ टैगोर वर्ष 1913 में वे साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय बने। रवींद्रनाथ टैगोर को 1915 में नाइट की उपाधि दी गई थी, लेकिन उन्होंने चार साल बाद जलियांवाला बाग हत्याकांड का विरोध करने के लिए इस पुरस्कार को वापस कर दिया था।
9. 'गीतांजलि' रवींद्रनाथ टैगोर की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है। जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर ने रवींद्र संगीत के रूप में 2,230 गीतों की रचना की। उन्हें गोरा, घरे-बैरे और योगयोग जैसे कार्यों सहित लघु कथाएं और उपन्यासों के कई खंड लिखने का भी श्रेय दिया जाता है।
10. रवींद्रनाथ टैगोर एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने दो अलग-अलग देशों के लिए राष्ट्रगान लिखा है भारत के लिए उन्होंने जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान लिखा और बांग्लादेश का राष्ट्रगान अमर सोनार बांग्ला लिखा।
11. कुछ इतिहासकारों के अनुसार, हालांकि, श्रीलंका का राष्ट्रगान भी मूल रूप से टैगोर द्वारा 1938 में लिखे गए एक बंगाली गीत पर आधारित था। इसका सिंहली में अनुवाद किया गया था और 1951 में राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था।
12. रवींद्रनाथ टैगोर ने 60 साल की उम्र में ड्राइंग और पेंटिंग करनी शुरू की। 7 अगस्त 1941 को रवींद्रनाथ टैगोर का निधन हुआ। वर्ष 2011 में रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती पर भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित करने के लिए पांच रुपए का एक सिक्का उनके नाम से जारी किया।
13. रवींद्रनाथ टैगोर को दिया गया नोबेल पुरस्कार शांति निकेतन में उत्तरायण परिसर के एक संग्रहालय से मार्च 2004 में चोरी हो गया था। इसके बाद टैगोर की जयंती पर एक नया पदक फिर से जारी किया गया।
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