Pitru Paksha 2020 Date Time/Sarva Pitru Amavasya Muhurat Kab Hai: पितृ पक्ष कब है 2020 में ? अगर आपको नहीं पता तो बता दें कि पितृ पक्ष 2020 में 2 सितंबर से शुरू हो रहे हैं, जो 17 सितंबर को समाप्त होंगे। पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से शरू होकर सर्वपितृ अमावस्या तक होते हैं। पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों का श्राद्ध कर्म पिंडदान तर्पण करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या कब है 2020 में? पितृ पक्ष में अंतिम श्राद्ध को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। पितृ पक्ष का अंतिम श्राद्ध सबसे महत्वपूर्ण होता है, सर्वपितृ अमावस्या का महत्व बहुत अधिक होता है क्योंकि जिन्हें अपने पितरों का श्राद्ध का दिन याद नहीं होता, वह इस दिन अपने पितरों का श्राद्ध कर्म कर उन्हें तर्पण कर सकते हैं।
पितृ पक्ष 16 दिन का होता है; विशेष रूप से भोजन प्रसाद के माध्यम से जब हिंदू अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। हिंदुओं द्वारा पितृ पक्ष को अशुभ माना जाता है, जिसे श्राद्ध या तर्पण के नाम से जाना जाता है। पितृ पक्ष के अंतिम दिन को सर्वपितृ अमावस्या के रूप में जाना जाता है। इसे पितृ अमावस्या, पेद्दाला अमावस्या, महालया अमावस्या या केवल महालया के नाम से भी जाना जाता है। यह पितृ पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। सर्वपितृ अमावस्या के एक महीने बाद शारदीय नवरात्रि शरू हो जाते हैं। शारदीय नवरात्रि कब है 2020 में ? आपको बता दें कि शारदीय नवरात्रि 2020 में 17 अक्टूबर से शरू होकर 25 अक्टूबर 2020 को नवमी के दिन समाप्त होंगे।
पितृ पक्ष 2020 श्राद्ध तिथि समय: Pitru Paksha 2020 Start Date And Time
पहला श्राद्ध तिथि: 2 सितंबर 2020: समय सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक
Sarva Pitru Amavasya 2020 Date And Time / Sarva Pitru Amavasya Muhurat / Sarva Pitru Amavasya Importance / Sarva Pitru Amavasya Shradh Vidhi
पितृ पक्ष में पित्तरों का अंतिम श्राद्ध कर्म को किया जाता है, जिसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है।सर्व पितृ अमावस्या कब है 2020 में अगर आपको नहीं पता तो बता दें कि सर्व पितृ अमावस्या 2020 में 17 सितंबर को है। सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म करने से सभी पितरों का आशीर्वाद मिलता है। तो आइये जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या का मुहूत, सर्व पितृ अमवास्या का महत्व और सर्व पितृ अमावस्या की श्राद्ध विधि।
सर्व पितृ अमावस्या 2020 तिथि मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya 2020 Date Time Muhurat)
अमावस्या प्रारम्भ तिथि: 16 सितंबर को शाम 07:56
अमावस्या समाप्त तिथि: 17 सितंबर को शाम 04:29
कुतुप मूहूर्त: सुबह 11:51 से 12:40 तक
रौहिण मूहूर्त: दोपहर 12:40 से 1:29 तक
अपराह्न काल: दोपहर 1:29 से 3:56 तक
सर्व पितृ अमावस्या कैलेंडर 2020 (Sarva Pitru Amavasya Calendar 2020)
Sarva Pitru Amavasya 2020 Calendar : सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर 2020 (Sarva Pitru Amavasya 17 September 2020) को है। यह दिन पितृ पक्ष का अखिरी और सबसे महत्वपूर्म दिन माना जाता है। यदि आपको अपने किसी मृत परिजन की तिथि नहीं पता है तो आप इस दिन उसका श्राद्ध कर सकते हैं। इसके अलावा आप इस दिन अपने सभी पितरों का श्राद्ध कर्म (Pitra Sharad Karma) करके उनका आशीर्वाद भी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन आपको इसके सर्व पितृ अमावस्या का कैलेंडर अवश्य ही जान लेना चाहिए। जिससे आप सभी समय पर अपने पितरों का श्राद्ध करके उन्हें तृप्त कर सकें और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
तिथि: अमावस्या
दिन: मंगलवार
माह: आश्विन मास
शुभ योग: सुबह 11 बजकर 53 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से दोपहर 03 बजकर 7 मिनट तक
नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
योग: शुभ
करण: नाग
चंद्रमा: सिंह राशि
सूर्य: कन्या राशि
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6 बजकर 11 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक
निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 52 मिनट से अगले दिन रात 12 बनतक 39 मिनट तक
राहुकाल: दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से शाम 03 बजकर 19 मिनट तक
सूर्योदय: 06:07 ए एम
सूर्यास्त: 06:23 पी एम
सर्व पितृ अमावस्या के दिन ग्रह स्थिति (Sarva Pitru Amavasya Ke Din Grah Stithi)
सर्व पितृ अमावस्या के दिन यदि ग्रह स्थितियों की बात करें तो इस दिन चंद्रमा सिंह राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा। इसके अलावा सूर्य कन्या राशि में, बुध कन्या राशि में, मंगल मेष राशि में व्रकी, बृहस्पति और केतु धनु राशि में वक्री, शनि मकर राशि में वक्री,शुक्र कर्क राशि में और राहु मिथुन राशि में रहेंगे। इस दिन ज्यादातर ग्रह अपनी राशि या अपनी मित्र राशि में हैं।इसलिए इस दिन आपको अपने पितरों के श्राद्ध और तर्पण का कई गुना फल मिल सकता है और साथ ही आप उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व (Sarva Pitru Amavasya Importance)
सर्व पितृ अमावस्या महात्म्य इस से और अधिक हो जाता है, क्योंकि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पूर्णिमा, अमावस्या या चतुर्दशी' पर मरने वालों का श्राद्ध किया जाता है। इतना ही नहीं सर्व पितृ अमावस्या पर आप उन सभी का श्राद्ध कर सकते हैं, जिनके मरने की तिथि आपको नहीं पता हो। पितृ पक्ष की अमावस्या पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तिथि है। पूरे वर्ष पितृ पक्ष की अन्य तिथियों पर श्राद्ध करना संभव नहीं है; इसलिए, सभी को इस तिथि को अपनाने का सुझाव दिया गया है, क्योंकि यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है। श्राद्ध उसी तिथि में किया जाना चाहिए जिस दिन आपके पूर्वज की मृत्यु हुई हो। यदि आप तारीख नहीं जानते हैं या आप किसी कारण से उस तिथि पर श्राद्ध नहीं कर सकते हैं तो आप इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं। इसीलिए अमावस्या श्राद्ध को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
पितृ अमावस्य पर पितृ अपने पोते, और बेटों पर प्यार, देखभाल और समृद्धि बरसाते हैं। वे अपने उन्हें वरदान और आशीर्वाद देते हैं और उन्हें अच्छे स्वास्थ्य, फिटनेस और लंबे जीवन के लिए आशीर्वाद देते हैं। घर से सभी नकारात्मक ऊर्जा निकल जाती है और वास्तु दोष गायब हो जाता है। पितृ दोष के अंतर्गत पूर्वजों के पिछले पाप या गलत कर्म उनके बच्चों की कुंडली में परिलक्षित होते हैं। इस वजह से, अपने जीवनकाल में मूल निवासी पीड़ित होते हैं। श्राद्ध कर्मकाण्ड का अवलोकन करके इस दोष को भी दूर किया जा सकता है। कहा जाता है कि पूर्वजों की आत्माओं को राहत देने और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने में मदद करने के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं। सर्व पितृ अमावस्या के अनुष्ठान को समृद्धि, कल्याण और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। पर्यवेक्षकों को भगवान यम के दिव्य आशीर्वाद से सम्मानित किया जाता है और परिवार के सदस्यों को किसी भी तरह की बुराइयों या बाधाओं से भी बचाया जाता है।
सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध विधि (Sarva Pitru Amavasya Sharad Vidhi)
1. सर्व पितृ अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत शुभ होता है।
2. सर्व पितृ अमावस्या पर नदी में खड़े होकर सूर्य देव को जल देना चाहिए।
3. सर्व पितृ अमावस्या पर गाय को हरा चारा जरूर खिलाना चाहिए।
4. सर्व पितृ अमावस्या पर कौए और चीटियों को मीठा भोजन डालना चाहिए।
5. सर्व पितृ अमावस्या पर पर पितरों के नाम यग्य कर खीर का भोग लगाना चाहिए।
6. सर्व पितृ अमावस्या पर दक्षिणा दिशा की तरफ मुख कर के अपनी गलित की माफ़ी मांगे।
7. अंत में कन्या पूजन, ब्राह्मण पूजन करने के बाद ही खुद भोजन करें।
Pitru Paksha Date In 2020 : पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध (Pitra Shradh) और उनका तर्पण किया जाता है। पितरों के श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। लेकिन ब्राह्मणों को भोजन कराते समय आपको कुछ नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए नहीं तो आपका श्राद्ध पितरों (Pitru) तक नहीं पहुंचेगा और न हीं आपको पितरों की कृपा प्राप्त हो पाएगी।
पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने के नियम (Brahman Ko Shradh Ka Bhojan Karne Ke Niyam)
1.ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन कराने से पहले आदर पूर्वक निमंत्रण देना चाहिए।
2. जब ब्राह्मण आपके घर आ जाएं तो उन्हें श्राद्ध का भोजन खाली जमीन पर बैठाकर न कराएं बल्कि जमीन पर कुछ न कुछ अवश्य बिछाएं।
3.पितृ पक्ष में श्राद्ध का भोजन वैसे तो चांदी के बर्तनों में कराया जाता है। लेकिन यदि आपके पास चांदी के बर्तन नहीं है तो आप ब्राह्मणों को पत्तलों में भोजन कराएं।
4. ब्राह्मणों को श्राद्ध का भोजन परोसते समय अपने दोनों हाथों का प्रयोग करें। एक हाथ से भोजन बिल्कुल भी न परोसें।
5.आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जब भी आप ब्राह्मणों को भोजन कराएं। उस समय पूरी तरह से शांति रहनी चाहिए।
6.श्राद्ध में भोजन के लिए आए ब्राह्मणों को दक्षिण दिशा में बैठाएं।
7.श्राद्ध के भोजन में आपको पित्तरों की पसंद को भोजन बनाना चाहिए और वही ब्राह्मणों को परोसना चाहिए।
8.ब्राह्मणों को भोजन कराने से पहले थोड़ा सा भोजन गाय, कुत्ते, चीटी और कौए के लिए अवश्य निकाले।
9.जब आपके ब्राह्मण श्राद्ध का भोजन कर लें तो उन्हें यथाशक्ति दक्षिणा अवश्य दें।
10.दक्षिणा देने के बाद ब्राह्मणों के पैर अवश्य छुएं और उनका आशीर्वाद लें।
पितृ पक्ष में ऐसे करें घर पर पितरों का तर्पण (Pitru Paksha Mein Aise Kare Ghar Per Pitru Tarpan)
पितृ पक्ष 1 सितंबर 2020 से प्रारंभ हो रहे हैं और इसकी समाप्ति 17 सिंतबर 2020 (Pitru Paksha Starting And Ending Date) को होगी। लेकिन इस बार पितरों का तर्पण घर से बाहर नहीं किया जा सकता है। यदि आपको भी इस बात की चिंता है कि आप इस बार पितृ पक्ष में अपने पितरों का तर्पण (Pitra Tarpan) कैसे करेंगे तो आपको बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आज हम आपको बताएंगे की आप अपने घर पर ही पितरों का तर्पण करके उनकी कृपा कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपने पूर्वजों के प्रति श्राद्ध कर्मं करना अनिवार्य होता है। श्राद्ध कर्म पूर्वजों के मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। श्राद्ध पक्ष की अवधि सोलह दिनों की होती है। ऐसे में विद्वानों के अनुसार पूर्णिमा तिथि के दिन स्नान और दान का विशेष महत्व होता है। श्राद्ध पक्ष में नवमी तिथि के दिन माताएं, बहनों और महिलाओं का श्राद्ध और सर्व पितृ अमावस्या के दिन घर के सभी पितरों का तर्पण किया जाता है।
इससे सात पीढ़ियों के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन इस बार कोरोना की वजह से किसी भी पवित्र नदी के आस पास पितृ तर्पण नहीं किया जाता है। ऐसे में आप घर पर ही अपने पितरों का तर्पण कर सकते हैं।इसके लिए आपको जब भी अपने पितरों को तर्पण करना हो। उस दिन आप तिल और कुशा से जलांजलि, तिलाजंलि आदि कार्य करें। सौभाग्यवती स्त्रियों का नवमी तिथि, सन्यासी लोगो का द्वादशी और अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगो का चतुर्दशी तिथि के दिन तर्पण करें।
सामान्य दिनों में नदी और सरोवर के पानी में खड़े होकर सूर्य को तर्पण किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के कारण यह संभव नही है। इसलिए घर पर ही बड़े भगोने में जल भरकर उसे सरोवर मानें और सूर्य का तर्पण करें। ज्योतिष आचार्यों की माने तो दोपहर 12 बजे जब सूर्य पृथ्वीं के ऊपर हो ऐसे समय में ब्राह्मणों को पकवान और दान दक्षिणा से तृप्त करें। इसके साथ ही आपको जरूरत मंद लोगो को भी दान अवश्य करना चाहिए।
पांच तरह के पत्तलों में सभी तरह का भोजन रखें पहले पत्तल में पितर देवता की फोटो के समक्ष, दूसरा ब्राह्मणों, तीसरा गाय, चौथा, कौआ, और पांचवां तितलियों,मछलियों और चीटियों के लिए रखें।
सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध विधि (Sarva Pitru Amavasya Shradh Vidhi)
Sarva Pitru Amavasya 2020 Date : सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर 2020 (Sarva Pitru 17 September Amavasya 2020 ) को पड़ रही है। इस दिन पितरों का श्राद्ध (Pitru Shradh) और तर्पण किया जाता है।लेकिन आपको अपने पितरों का श्राद्ध इस दिन करने से पहले श्राद्ध की विधि अवश्य ही जान लेनी चाहिए तो आइए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या किस विधि से करें पितरों का श्राद्ध।
1. सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह स्नान करके गायत्री मंत्र का जाप करके सूर्य को जल देना चाहिए।
2. आपको सर्व पितृ अमावस्या पर किसी ब्राह्मण को श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने के लिए निमंत्रण अवश्य देना चाहिए।
3. इसके बाद श्राद्ध के बनाए गए भोजन से पंचबलि यानी गाय,कुते, कौए,चीटियों और देवताओं का भोजन अवश्य निकाल लें।
4.पंचबलि भोजन निकालने के बाद अपने सभी पितरों को याद करें और उनका एक साथ श्राद्ध करें।
5. इसके बाद ब्राह्मण को भोजन अवश्य कराएं और उन्हें वस्त्र,दक्षिणा आदि देकर ही विदा करें।
6.ब्राह्मण को विदा करते समय आपको उनके पैर अवश्य छूने चाहिए और उनका आर्शीवाद प्राप्त करना चाहिए।
7.इसके बाद किसी गरीब या जरूरत मंद को भी भोजन कराना चाहिए और उसे सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए।
8.सर्व पितृ अमावस्या के दिन आपको अपने भांजे को भी भोजन अवश्य कराना चाहिए और उसे समार्थ्य के अनुसार दक्षिणा देनी चाहिए।
9. इस दिन आप पितरों के प्रति जो भी दान कर सकते हैं उसे अवश्य करें। क्योंकि इस दिन किया गया दान पितरों तक पहुंचता है।
10. सर्व पितृ अमावस्या के दिन शाम के समय में आपको अपने घर में पितरों के नाम से 16 दीपक अवश्य जलाने चाहिए।
सर्व पितृ अमावस्या के उपाय (Sarva Pitru Amavasya Remedies)
Sarva Pitru Amavasya 2020: सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर 2020 (Sarva Pitru 17 September Amavasya 2020) को पड़ रही है। यदि आप इस दिन पितरों का आशीर्वाद और पितृ दोष (Pitra Dosh) से मुक्ति चाहते हैं तो आप इस दिन कुछ कार्यों को अवश्य करें और यदि आप इन कार्यों के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या पर किए जाने वाले कार्य और उपाय।
1.सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर पितरों के निमित्त तर्पण करें। पितरों को तर्पण के दौरान जो, तिल अर्पण करना चाहिए। इससे व्यक्ति को दीर्घायु,यश, तथा धन धान्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितरों की कृपा से व्यक्ति को सब प्रकार के सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
2.इस दिन घर में बनाए भोजन में से सबसे पहले कौवे,गाय, चीटियों और कुत्तों को भोजन अर्पित करना चाहिए। शास्त्रों में मान्यता है की पितृ किसी भी रूप में आकर भोज ग्रहण करने आते हैं।
3.सर्व पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर गायत्री मंत्र जपते हुए सूर्य को जल चढ़ाने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे पितरों के निमित्त दीपक जलाकर रखें इससे आपको पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
4.जो व्यक्ति पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध न कर पाए वह सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण करके पूरे पितृ पक्ष के दिनों का पुण्य और पितरों को तृप्त कर सकते हैं। इसलिए अमावस्या तिथि को ब्राह्मणों को भोजन और दान दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए।
5.सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए चौमुखी दीपक जलाना चाहिए। इस दिन सूर्यास्त के बाद घर की दक्षिण दिशा में पितरों के नाम का चौमुखी दीपक जलाकर रख दें। इससे व्यक्ति को पितरों के आशीर्वाद के साथ सभी सुख वैभव की प्राप्ति होती है।