Independence Day 2022: जानिए झारखंड के योद्धाओं के बारे में जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता योगदान दिया

झारखंड क्षेत्र के अनुसार भारत के राज्यों की लिस्ट में 15वें स्थान पर आता है। इस राज्य की आबादी की बात करें तो आबादी के मामले में ये 14वें स्थान पर है। इस राज्य का गठन 15 नंवबर 2000 में हुआ था। उसी दौरान कुछ ही दिन पहले भारत में एक और नए राज्य उत्तराखंड का गठन हुआ था। झारखंड की राजधानी रांची है। भारत की आजदी के बाद से भारत में कई बार कई राज्यों के अलग किया गया है इन राज्यों को इनकी संस्कृति, भाषा और भौगोलिक क्षेत्र के चलते अलग किया जाता है। कई बार लोगों ने अपने समुदाय को संस्कृति को पहचान दिलाने के लिए अलग राज्य की मांग की है। फिलहाल हम आपको ये बताना चाहते है कि अंग्रजों के राज के दौरान किस प्रकार हर प्रांत और राज्य से स्वतंत्रता की आवाज उठाई गई है। सभी प्रांतों में स्वतंत्रता की नारा लगाया है जिसके लिए कई सेनानियों ने अपनी जान तक दी है। उसी तरह झारखंड से भी कई ऐसे सेनानी आए हैं जो देश भक्ति की मिसालें बने हैं। आज हम आपकों झारखंड राज्य के उन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया है।

Independence Day 2022:  जानिए झारखंड के योद्धाओं के बारे में जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता योगदान दिया

बैद्यनाथ सिंह

बैद्यनाथ सिंह का जन्म 21 मार्च 1770 में हुआ था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए अपनी जान की परवाह भी नहीं की। वह चुआर विद्रोह में शामिल थे। इस विद्रोह के दौरान अंग्रेजों से लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई। चुआर विद्रोह को जंगल आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। 1771 से 1809 तक लगातार किसान आंदोलन चलाए गए थे।

बख्तर सई

अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी बख्तर सई का जन्म झारखंड में हुआ था। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1812 में लड़ाई की थी। ब्रिटिश सरकार ने छोटा नगर के राजा से कर की मांग की थी। जिस पर बख्तर सई ने कर देने से साफ इंकार कर दिया था। जिस व्यक्ति को कर वसुल करने के लिए भेजा गया था उसे बख्तर सई ने मार दिया था। इस घटना के बाद एक युद्ध की शुरूआत हुई जिसकी लड़ाई 2 दिन तक चली और अंग्रेजों को हरा दिया गया। इसके बार एक बार फिर बड़ी तदाद में अंग्रेजी सेना ने नवागढ़ पर हमला किया और ये युद्ध तीन दिन तक चला लेकिन इस बार अंग्रेजी सेना बख्तर सई को पकड़ने में कामियाब रही और उसी दौरान 4 अप्रैल 1812 में उनकी मृत्यु हो गई।

बिरसा मुंडा

आदिवासी नेता बिरसा मुंडा जो अपने समुदाय के लिए और आस पास के लोगों के लिए भगवान बने और अपना एक अलग धर्म बनाया का जन्म 15 नंवबर 1875 में हुआ था। वह मुड़ा आदिवासी जनजाति से थे। इस आदिवासी नेता ने 19वीं सदी के अंत तक में ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठाई थी। मुंडा के नेतृत्व में जिस विद्रोह कि शुरूआत हुई उसे उलगुलान कहा जाता है। ब्रिटिश सरकार के द्वारा धर्मांतरण करने को उन्होंने आदीवासी समाज के लिए खतरा समझा और अपने नए धर्म बिरसैट की शुरूआत की। इस तरह बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश सरकार का लगातार विरोध किया।

बुद्ध भगत

बुद्ध भगत भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने भारतीय सवतंत्रात संग्राम एक महत्वपूर्ण योगदान किया है। बुद्ध भगत जन्म 17 फरवरी 1792 में हुआ था। जन्म के बादे से ही वह ब्रिटिश शासन और जमीदारी को देखा था। मुख्य तौर पर इन्हें 1832 में हुए लरका विद्रोह के लिए जाना जाता है। इसी विद्रोह के दौरान 13 फरवरी 1832 में उनकी मृत्यु हो गई।

धनंजय महतो

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक धनंजय महतो का जन्म 8 अगस्त 1919 में हुआ था। धनंजय महतो अपने स्कूल के दिनों में ही स्वतंत्रता सेनानियों से प्रभावित हुए। 16 साल की उम्र में वह स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में शामिल हुए। स्वतंत्रता अंदोलन में भाग लेने की वजह से उन्हें कई बार गिरफ्तार भी किया गया। भारत के आजाद होने के बाद उन्होंने भारत की राजनीति में भी अहम भूमिका निभाई।

For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

English summary
This Independence Day lets remember all the freedom fighters who have given their life for Bharat. Know the List of Indian Freedom Fighters of Jharkhand.
--Or--
Select a Field of Study
Select a Course
Select UPSC Exam
Select IBPS Exam
Select Entrance Exam
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X