Speech On International Nurses Day Essay Article: अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस प्रतिवर्ष 12 मई को मनाया जाता है। 12 मई को नर्स दिवस मनाने के लिए इसलिए चुना गया, क्योंकि यह आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक दार्शनिक फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2023 की थीम 'हमारी नर्सें हमारा भविष्य' रखी गई है। नर्सिंग मानव समाज को देखभाल और स्नेह के बंधन से बांधती है। नर्सिंग देखभाल के साथ साथ मार्मिक कहानियों और चुनौतियों के बीच एक सेतु का कार्य करती है। नर्सिंग का दायरा केवल अस्पताल तक सीमित नहीं है। एक नर्सें पूरी दुनिया में मानव जीवन को बचाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देती है।
दुनिया के सभी स्वास्थ्य कर्मियों में आधे से अधिक नर्सें हैं। पूरे नर्स समुदाय और जनता को नर्सिंग फील्ड के बारे मे जागरूक करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नार्सेस दिवस मनाया जाता है। इस दिन नर्सिंग पेशे से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है। मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी हर समस्या में उच्च गुणवत्ता उपचार और महामारी जैसे महाबीमारियों से लड़ने में नर्स सबसे आगे रही हैं। कोविड -19 महामारी में नर्सों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के बिना, महामारी के प्रकोपों से यह लड़ाई जितना संभव नहीं था। इस जीत का श्रेय नर्स और डॉक्टर को जाता है।
विश्व स्तर पर, प्रति 10 हजार लोगों पर लगभग 36.9 नर्सें हैं। अफ्रीकी क्षेत्र की तुलना में अमेरिका में लगभग 10 गुना अधिक नर्सें हैं। जबकि पूर्व में प्रति 10 हजार जनसंख्या पर 83.4 नर्स हैं। 2030 तक, दुनिया भर में 5.7 मिलियन से अधिक नर्सों की कमी होगी। निरपेक्ष संख्या में सबसे बड़ी कमी दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में है, जबकि अमेरिका और यूरोप में समस्या अलग है, क्योंकि वह वृद्धावस्था में नर्सिंग कार्यबल का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, यूरोप, पूर्वी भूमध्यसागरीय और अमेरिकी क्षेत्रों में कई उच्च आय वाले देश प्रवासी नर्सों पर 'विशेष रूप से' निर्भर हैं।
नर्सों के कार्यों की मान्यता की आवश्यकता है। नर्सों का काम स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोगों, आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया से संबंधित राष्ट्रीय और वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करना है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नर्सों की अहम भूमिका होती है। उनकी भूमिका विशेष रूप से वर्तमान स्वास्थ्य संकट (कोरोनावायरस महामारी) के दौरान सर्वोपरि रही है। कुल मिलाकर एक मरीज को दी जाने वाली देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, संक्रमण को रोकने और नियंत्रित करने और रोगाणुरोधी प्रतिरोध का मुकाबला करने में नर्स की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है।
वर्ष 2018 तक भारत में 1.56 मिलियन से अधिक नर्स और 772,575 नर्सिंग सहयोगी थे। इसमें से पेशेवर नर्सों की हिस्सेदारी 67 फीसदी है, जिसमें हर साल 322,827 स्नातक और चार साल की न्यूनतम प्रशिक्षण अवधि होती है। स्वास्थ्य कार्यबल के भीतर नर्सों में 47 प्रतिशत चिकित्सा कर्मचारी शामिल हैं। इसके बाद डॉक्टर (23.3 प्रतिशत), दंत चिकित्सक (5.5 प्रतिशत) और फार्मासिस्ट (24.1 प्रतिशत) की भागीदारी है। इसके अलावा भारत में 88 प्रतिशत नर्सों में भारी संख्या में महिलाएं हैं। यह विश्व स्तर पर देखी जाने वाली नर्सिंग की संरचना के अनुरूप है, जहां 90 प्रतिशत महिलाएं हैं।
व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों तक पहुंच सहित सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रदान करना भी नर्स की जिम्मेदारी होती है। नर्सों और सभी स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता, समय पर वेतन, बीमारी पर छुट्टी और बीमा समेत विभिन्न सुविधाएं दी जानी चाहिए। भविष्य के लिए नर्सों को वित्तीय सहायता और अन्य संसाधन दिए जाने चाहिए। लगभग सभी स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में, नर्सें ऐसी भूमिकाएं निभाती हैं, जिनका कोई मोल नहीं होता। क्योंकि उनके पास अपनी निजी जिंदगी जीने तक का समय नहीं बच पाता।
नर्सिंग से जुड़े लोग अब अपने कार्य के अलावा, बिलिंग, रिकॉर्ड कीपिंग, इन्वेंट्री, लॉन्ड्री, डाइट और फिजियोथेरेपी समेत अन्य काम भी कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण, कोरोना काल समाप्त होने के बाद नर्सों को अवकाश रद्द करने और वेतन में कटौती आदि रहे हैं। सरकारों को नर्सिंग शिक्षा, नौकरियों और नेतृत्व में निवेश करना चाहिए। इनमें से कुछ उपायों में प्रचलित स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय श्रम बाजार स्थितियों के अनुसार नर्सों को पारिश्रमिक देना शामिल है। नर्सों की जरूरतों को पूरा करने और उनकी चुनौतियों का मुकाबला करने से नर्सों को सशक्त, प्रोत्साहित किया जा सकता है।
" />International Nurses Day 2023: जानिए दुनिया की उन 10 फेमस नर्सों के बारे में जिन्होंने रचा इतिहास