Independence Day 2022: जानिए स्वतंत्रता संग्राम सें जुड़ी वाराणसी के योगदान की कहानी

वाराणसी उत्तर भारत का एक शहर है जिसे बनारस या काशी के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है जो कि न केवल भारत की आध्यात्मिक राजधानी है, बल्कि हिंदू धर्म के सात पवित्र शहरों में सबसे पवित्र है। बता दें कि वाराणसी ने बौद्ध धर्म के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

हालांकि, वाराणसी को स्वतंत्रता संग्राम का भी एक अहम स्थान बताया जाता है। वाराणसी भारत का एकमात्र ऐसा शहर था जो कि शिक्षा से लेकर युद्ध तक हर क्षेत्र में आगे था। वर्तमान में पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी क्षेत्र के सांसद है। तो चलिए आज के इस आर्टिकल में हम आज़ादी की लड़ाई में वाराणसी के योगदान के बारे में बताते हैं।

जानिए स्वतंत्रता संग्राम सें जुड़ी वाराणसी के योगदान की कहानी

स्वतंत्रता संग्राम में वाराणसी के योगदान से जुड़े 5 प्रमुख तथ्य

1. 1828 (रानी लक्ष्मीबाई)
वाराणसी भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध में से एक - रानी लक्ष्मीबाई का जन्मस्थान है। वाराणसी के अस्सी घाट के पास एक पड़ोस में जन्मी, रानी लक्ष्मीबाई जिनका बचपन का मणिकर्णिका तांबे था। उन्होंने अपना बचपन वाराणसी में बिताया, जब तक कि 1844 में झांसी के राजा से उनकी शादी नहीं हुई।

2. 1898 (सेंट्रल हिंदू कॉलेज)
1898 में, एनी बेसेंट ने वाराणसी में सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की, जहां भारतीय छात्रों को हिंदू सभ्यता के मूल्यों पर शिक्षित किया जा सकता था, और भारतीय होने पर गर्व की भावना विकसित की जा सकती थी।
1910 में, उन्होंने एक विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रस्ताव रखा, और जबकि ऐसा नहीं हुआ, 1911 में, पंडित मदन मोहन मालवीय और अन्य लोगों के सहयोग से, सेंट्रल हिंदू कॉलेज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए केंद्र बन गया।

3. 1920 (आज)
शिव प्रसाद गुप्ता द्वारा 1920 में स्थापित, आज एक हिंदी भाषा दैनिक पत्र है जो आज भी प्रचलन में है। आज ने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के दशकों के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस पत्र की स्थापना के पीछे दो मुख्य कारण थे - पहला, हिंदी में गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता का निर्माण करना जो पाठकों को अपनी मातृभाषा के बारे में गर्व की भावना महसूस करने में मदद करे, और दूसरा, स्वराज या स्वशासन के विचार पर पाठकों को शिक्षित करना।

4. 1921 (काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय)
1921 में शिव प्रसाद गुप्ता, डॉ भगवान दास और महात्मा गांधी द्वारा स्थापित, काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय पूर्वी संयुक्त प्रांत में स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र था। जो कि बाद में भारतीय आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया, क्योंकि यह उन मुट्ठी भर विश्वविद्यालयों में से एक था जो ब्रिटिश भारत सरकार द्वारा शासित नहीं थे, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं द्वारा शासित थे। काशी विद्यापीठ के शिक्षक और छात्र भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करने और संगठित करने के लिए अक्सर पूर्वी संयुक्त प्रांत के गांवों का दौरा करते थे।

5. 1936 (भारत माता मंदिर)
भारत माता मंदिर वाराणसी के मंदिरों में सबसे अनोखा है। ये मंदिर किसी एक देवता को समर्पित नहीं, बल्कि भारत माता को समर्पित है, जिसका उद्घाटन 1936 में महात्मा गांधी ने किया था। इस मंदिर के अंदर विभिन्न भारतीय लिपियों को चित्रित करने वाले पैनलों से सजाया गया है, और केंद्रीय 'मंदिर' में भारतीय उपमहाद्वीप के अविभाजित मानचित्र की संगमरमर की मूर्ति है, जिसे आज भी गेंदे की माला से सजाया और अभिषेक किया जाता है। भारत माता को समर्पित इस मंदिर में हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाता है।

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English summary
Varanasi is a city in North India also known as Banaras or Kashi. The city is one of the oldest cities in the world and is not only the spiritual capital of India, but also the holiest of the seven holy cities of Hinduism. Let us tell you that Varanasi is said to be an important place associated with the freedom struggle. It was the only city in India which was ahead in every field from education to war. Presently PM Narendra Modi is the MP of Varanasi region.
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