Essay On Maharana Pratap Speech In Hindi महाराणा प्रताप की आज 482वीं जयंती मनाई जा रही है। भारत के सबसे वीर योद्धा महारणा प्रताप सिंह का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ और 19 जनवरी 1587 में महाराणा प्रताप का निधन हुआ। महाराणा प्रताप को सन 1572 में मेवाड़ का शासक बनाया गया। महाराणा प्रताप राजपूत राजा राणा सांगा के पोते और राजा उदय सिंह द्वितीय और जयवंता बाई सोंगारा के पुत्र थे। मेवाड़ को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने कई युद्द लड़े और जीते। लेकिन सबसे प्रसिद्द युद्ध उन्होंने तत्कालीन मुगल बादशाह अकबर के खिलाफ हल्दीघाटी का युद्द लड़ा। वह युद्द पर जाने से पहले 208 किलो का सुरक्षा कवच पहनते थे। उनके सबसे प्रिये घोड़े का नाम चेतक था, जो बड़ी बड़ी नदियों और बहुमंजिला इमारतों से भी छलांग लगा देता था। उदय पुर के सिटी पैलेस में महाराणा प्रताप से जुड़ी कई चीजों को सभागार में रखा गया है। महाराणा प्रताप ने अपना पूरा जीवन मेवाड़ की रक्षा और राष्ट्र को समर्पित किया। महाराणा प्रताप की पूण्यतिथि और जयंती पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूल आदि में महाराणा प्रताप पर निबंध, क्विज कॉम्पीटिशन और भाषण प्रतियोगिता आयोजित किए जाते हैं। ऐसे में यदि आपको भी महाराणा प्रताप के बारे में पता होना चाहिए।

महाराणा प्रताप पर निबंध हिंदी में | Essay On Maharana Pratap Speech In Hindi
9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में जन्मे महाराणा प्रताप को जालोर की उनकी मां महारानी जयवंता बाई सोंगारा ने युद्ध कौशल सिखाया था। हल्दीघाटी युद्ध पर जाने से पहले महाराणा प्रताप ने एक बार कहा था कि मैं देवताओं के सामने शपथ लेता हूं कि मैं एक भूसे के बिस्तर पर सोऊंगा और पत्तल पर खाऊंगा और अपने महल को जंगलों में रहने के लिए छोड़ दूंगा जब तक कि मैं चित्तौड़ की महिमा वापस नहीं लाऊंगा। 18 जून 1576 को लड़ा गया हल्दीघाटी का युद्ध महाभारत के युद्ध जितना ही विनाशकारी माना गया है। युद्ध स्थल गोगुन्दा के पास हल्दीघाटी में एक संकरा पहाड़ी, जो वर्तमान राजस्थान में उदयपुर के पास स्थित एक छोटा सा गांव में हुआ था। मेवाड़ सेना ने मुगलों को इस युद्ध में कड़ी टक्कर दी थी, जिसमें महाराणा प्रताप गंभीर रूप से घायल हुआ। इस युद्ध के दो साल बाद 19 जनवरी 1587 को महाराणा प्रताप का निधन हो गया। वह जब तक जीवित रहे अकबर से समजौता नहीं किया।
हल्दीघाटी युद्ध
मेवाड़ राज्य के खिलाफ मुगल साम्राज्य की चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी 1567 में शुरू हुई। अकबर मेवाड़ के माध्यम से गुजरात के समृद्ध बंदरगाहों पर कब्जा करना चाहता था। जब महाराणा प्रताप ने कई अन्य राजपूतों की तरह अकबर को अधीन होने से इनकार कर दिया, तब यह युद्ध हुआ। हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप की 3000 और 400 भील धनुर्धारियों की घुड़सवार सेना, अकबर की 2 लाख सेना के खिलाफ खड़ी थी। राजस्थान में हल्दीघाटी का ऐतिहासिक युद्ध 18 जून 1576 को आमेर के राजा मान सिंह प्रथम के नेतृत्व में महाराणा प्रताप सिंह और अकबर की सेना के बीच लड़ा गया था। हालांकि मुगलों ने मेवाड़ के राणा का समर्थन करने वाले घुड़सवार सेना और धनुर्धारियों से कड़ी लड़ाई के बाद लड़ाई जीती, लेकिन वे कभी भी राजपूत शासक को पकड़ने में सक्षम नहीं हुए। कई लेखकों और कवियों ने उनके साहस की कहानी को कविताओं में पिरोया है। महाराणा प्रताप युद्ध लड़ रहे थे और उनका घोड़ा चेतक घायल हो गया था। लेकिन वह उसकी पीठ पर बैठे और पहाड़ी से छलांग लगा दी। उनकी इसी वीरता पर श्यामनारायण पांडे की 'चेतक की वीरता' नामक कविता में घोड़े के साहस को अमर कर दिया गया। उन्होंने लिखा है कि
पड़ी अचानक नदी अपार
घोड़ा कैसे उतरे पार
राणा ने सोचा इस पार
तब तक चेतक था उस पार...
महाराणा प्रताप कौन थे?
महाराणा प्रताप सिंह का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में राणा उदय सिंह द्वितीय और रानी जीवन कंवर के घर हुआ था। उनकी वीरता और बलिदान के लिए हर साल उनकी जयंती और पूण्यतिथि मनाई जाती है। जब वीर मेवाड़ी राजा महाराणा प्रताप अपने शत्रुओं के विरुद्ध खड़े होते थे, तब बड़े से बड़े योद्धा भी उसकी एक झलक मात्र से भयभीत हो जाते थे। महाराणा प्रताप 7 फीट 5 इंच लंबे थे और उनके पास 80 किलोग्राम का भाला और दो तलवारें थीं, जिनका वजन सामूहिक रूप से 208 किलोग्राम था। वह जो कवच पहनते थे उसका वजन 72 किलोग्राम था। वह राजपूत राजाओं के वंश से थे, राणा हम्मीर सिंह, राणा कुंभा, राणा सांगा जैसे राजस्थानी राजा अपनी वीरता और गौरव के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक मेवाड़ के समर्थन में लड़ाई लड़ी, लेकिन अपनी भूमि के गौरव को कभी कम नहीं होने दिया।
महाराणा प्रताप के बारे में तथ्य
1. महाराणा प्रताप के पिता उदय सिंह द्वितीय मेवाड़ वंश के 12वें शासक और उदयपुर के संस्थापक थे। राजा प्रताप परिवार में सबसे बड़े थे, उनके तीन भाई और दो सौतेली बहनें थीं।
2. महाराणा प्रताप हल्दीघाटी के अलावा, देवर की लड़ाई के लिए भी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 1577, 1578 और 1579 में मुगल बादशाह अकबर को तीन बार हराया था।
3. महाराणा प्रताप की 11 पत्नियां और 17 बच्चे थे। उनके सबसे बड़े पुत्र महाराणा अमर सिंह थे जो उनके उत्तराधिकारी बने और मेवाड़ वंश के 14वें राजा बने थे।
4. हल्दीघाटी युद्ध के दो साल बाद जब महाराणा प्रताप जंगल में शिकार कर रहे थे, वह उस समय घायल हो गए और 19 जनवरी 1597 को 56 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
5. इतिहासकारों के अनुसार हल्दीघाटी की लड़ाई में महाराणा के पास 81 किलो वजन का भाला और 72 किलो का कवच था। उनके भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों का वजन भी लगभग 208 किलो था।