Ambedkar Essay Speech 2024 डॉ भीमराव अंबेडकर पर निबंध भाषण कैसे लिखें?

DR BR Ambedkar Essay Speech On Ambedkar Jayanti 2024: भारतीय इतिहास निश्चित रूप से कई देशभक्त, स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सुधारकों से भरा हुआ है। उन्हीं में से एक प्रसिद्ध नाम भीमराव रामजी अंबेडकर का है। आज बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती मनाई जा रही है।

Ambedkar Essay Speech 2024 डॉ भीमराव अंबेडकर पर निबंध भाषण कैसे लिखें?

14 अप्रैल 1891 में उनका जन्म तब के केंद्रीय प्रांत के महू जिले में रामजी मालोजी सकपाल के घर हुआ था। उनकी मां का नाम भीमाबाई था। बाबा साहब अंबेडकर की जयंती भारत के निर्माण में उनके अतुलनीय योगदान के लिए मनाई जाती है। बीआर अंबेडकर कौन थे? बीआर अंबेडकर एक राजनीतिज्ञ, न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने पिछड़ी जाति और वंचित समुदायों के लोगों के उत्थान के लिए कई आंदोलन चलाए। उनके इन्हीं कार्यों और भारत में दलित और अल्पसंख्यक अधिकार आंदोलन के प्रमुख चेहरा बनने के लिए लोग उन्हें स्नेह के साथ बाबा साहेब कह कर पुकारने लगे। मराठी भाषा में बाबा साहेब का अर्थ आदरणीय पिता है।

अम्बेडकर ने लोगों को बौद्ध आंदोलन से जोड़ा और बौद्ध धर्म अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। अछूतों के समर्थन में अंबेडकर ने अन्याय के खिलाफ कई अभियानों का नेतृत्व किया। वर्ष 1956 में उन्होंने जातिगत व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन के दौरान बौद्ध धर्म को अपना लिया। इस बीच उन्होंने बड़े पैमाने पर दलितों के धर्मांतरण की शुरुआत भी की। वह स्वतंत्रत भारत के पहले कानून मंत्री भी थे। अंबेडकर ने भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। इसलिए उन्हें भारतीय संविधान का निर्माता या शिल्पकार भी कहा जाता है।

कैसे अंबेडकर ने गुजारी जिंदगी

बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की कहानी काफी लंबी है और हर पढ़ा लिखा हिंदुस्तानी जानता है या उसने ये कहानी सुन रखी है कि किस तरह बाबा साहब का शुरुआती जीवन घोर नारकीय स्थितियों से गुजरा। फिर कैसे वह अपनी लगन और मेधा की बदौलत अपने दौर में सर्वाधिक शिक्षित लोगों में से एक बनें और कैसे-कैसे उनका सामाजिक व राजनीतिक प्रभाव स्थापित हुआ।

गांधी जी के बारे में कभी आइंस्टीन ने लिखा था कि एक दौर आयेगा, जब लोगों को यकीन ही नहीं होगा कि कभी महात्मा गांधी जैसा शख्स इस धरती में जीवित इंसान के रूप में मौजूद रहा है। ऐसा ही डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में भी कहा जा सकता है। खुद गांधी जी कहा करते थे कि डॉ अंबेडकर की उपलब्धियां दृढ़ हौसेल का चमत्कारिक नतीजा है। जिन बाबा साहब अंबेडकर को प्राइमरी पढ़ाई के दौरान इसलिए पूरे-पूरे दिन प्यासे रहना पड़ता था क्योंकि वह स्कूल के किसी बर्तन से पानी नहीं पी सकते थे।

स्कूल में झेली छुआ-छूत

स्कूल प्रशासन मानता था कि अगर वह स्कूल के बर्तन में पानी पी लेंगे तो बर्तन अशुद्ध हो जायेगा। जिन बाबा साहब अंबेडकर को इसलिए सिर्फ संस्कृत की पढ़ाई से वंचित रहना पड़ा, क्योंकि संस्कृत के अध्यापक ने उन्हें संस्कृत पढ़ाने से मना कर दिया और शायद इसके पीछे अवधारणा यह थी कि किसी अछूत को संस्कृत नहीं पढ़ायी जानी चाहिए। उन्हीं बाबा साहब अंबेडकर ने दो-दो पीएचडी, दो-दो परास्नातक डिग्रियों सहित अपने जीवन में कुल 27 अकादमिक डिग्रियां हासिल की थीं।

जिन बाबा साहब को एक संस्कृत जानने से वंचित रखे जाने की कोशिश की गई, उन डॉ अंबेडकर ने दुनियाभर की तकरीबन 14 भाषाओं में महारत हासिल की थी। उन्होंने अपने स्वयं के प्रयास से संस्कृत का गहन अध्ययन भी किया था। वाकई ये सब कुछ चमत्कार के जैसा ही है। लेकिन ये चमत्कार नहीं था, यह उनके दृढ़ निश्चय, अटूट हौसले और अपमान की उस पीड़ा को परिवर्तन के परिणाम में बदल देने जिद का नतीजा था। जिस अपमान और पीड़ा को उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में बहुत लंबे समय तक झेला था।

बहुत सुंदर है बाबा साहब की जीवनी

बाबा साहब अंबेडकर की जिंदगी की पटकथा की खूबसूरती यही थी कि उन्होंने अपने जीवन में तमाम अपमानों से कहीं ज्यादा सम्मान हासिल किया बल्कि जिन स्थितियों से उन्हें गुजरना पड़ा, बाद में उन स्थितियों के उन्मूलन का उन्हें ही जरिया बनने का गौरव भी हासिल हुआ। यह महान उपलब्धि है और दुनिया में गिनेचुने महापुरुषों को ही उनके जीते जी हासिल हुई हैं। डॉ अंबेडकर की अपने दौर में ही इतनी प्रतिष्ठा हो चुकी थी कि गोलमेज सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जब वह पहुंचते थे तो तमाम अंग्रेज अपनी कुर्सियों से उठकर उनका अभिनंदन किया करते थे। वह अपने दौर में अकेले ऐसे शख्स थे, जो महात्मा गांधी के जैसी प्रतिष्ठा हासिल कर चुके थे।


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करंसी नोट पर अंबेडकर!

आज भी माना जा रहा है कि अगर गांधीजी के बाद भारतीय मुद्रा में किसी शख्स की तस्वीर छप सकती है तो वह डॉ अंबेडकर ही हैं। कहने का मतलब यह है कि अगर डॉ अंबेडकर को बहुत-बहुत अपमान झेलना पड़ा, जो किस्से कहानियों तक को शर्मसार करता है, तो उन्हें बहुत-बहुत सम्मान भी मिला, जो उनकी प्रतिष्ठा तो दर्शाता है, उनकी प्रतिष्ठा को चमत्कार की हद तक ले जाता है। डॉ अंबेडकर ने यह तमाम सम्मान और प्रतिष्ठा अपनी विद्वता, अपनी वैचारिकता और अपनी नैतिकता के चलते हासिल की थी।

आजादी के बाद सिर्फ दो लोगों की प्रतिष्ठा न सिर्फ निरंतर बढ़ी है बल्कि हर गुजरते दिन के साथ ये दोनो और ज्यादा महान और तकरीबन अकल्पनीय होते जा रहे हैं।

लोकतंत्र का प्रतीक है उनका व्यक्तित्व

ये दोनो महापुरुष हैं- महात्मा गांधी और डॉ अंबेडकर। लेकिन यह भी एक चिंता का विषय है कि जिस तरह से अतिशय सम्मान की चादर उढ़ाकर महात्मा गांधी को धीरे-धीरे देव प्रतिमा में बदल दिया गया है, ठीक वही काम अब पूरे जोरशोर के साथ बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर को लेकर भी हो रहा है। डॉ भीमराव अंबेडकर लोकतंत्र के प्रतीक पुरुष हैं और आज सभी राजनीतिक पार्टियां तुष्टिकरण के खेल में डॉ अंबेडकर को ही अर्थहीन बना देना चाहती हैं।

आज डॉ अंबेडकर की पूजा, अर्चना और उनकी भक्ति इसलिए की जा रही है; क्योंकि न सिर्फ देश के 20 करोड़ दलितों में बल्कि देश के तमाम दबे, कुचले, वंचित, पराजित और हांशिये पर खड़े लोगों की डॉ अंबेडकर पर घोर आस्था है। वह अपनी मुक्ति का रास्ता डॉ अंबेडकर के संविधान और उनकी वैचारिक रोशनी में ही देख रहे हैं।

अंबेडकर के नामप र वोट की राजनीति

सभी राजनीतिक पार्टियां जानती हैं कि आज की वोट की राजनीति के लिए डॉ अंबेडकर कितने अपरिहार्य हो गये हैं। यह अकारण नहीं है कि कल जब ये पंक्तियां छपकर पाठकों के हाथ में होंगी, उस समय पूरे देश में डॉ अंबेडकरमय माहौल होगा। छोटे-बड़े मिलाकर कोई 400 तो सिर्फ सरकारी कार्यक्रम ही कल पूरे देश में हो रहे हैं। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से लेकर हर राजनीतिक पार्टी का मुखिया कल उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण करने में व्यस्त रहेगा और हजारों-लाखों नहीं बल्कि करोड़ों-अरबों शब्दों से उनका स्तुतिगान होगा।

लेकिन क्या ठीक उसी समय इस बात पर गौर फरमाया जायेगा कि आखिर देश की आजादी के 7 दशक गुजर जाने के बाद आज भी, दलितों की स्थिति में कोई उल्लेखनीय सुधार क्यों नहीं हुआ? क्यों आज भी 70 फीसदी से ज्यादा दलित गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे हैं? क्यों आज भी किसी भी समुदाय के मुकाबले दलितों के प्रति 200 फीसदी से ज्यादा अत्याचार हो रहा है? क्यों आज भी उनकी आय देश के दूसरे वर्गों और जातियों के मुकाबले 300 फीसदी पीछे है? अगर राजनीतिक पार्टियों को सचमुच डॉ भीमराव अंबेडकर से प्यार है, उनके प्रति इनमें सम्मान की भावना है तो इन सवालों का जवाब देना होगा, वरना यही माना जायेगा कि डॉ अंबेडकर की यह प्रतिष्ठा उन्हें स्टेच्यू बनाने की प्रक्रियाभर है।

डॉ भीमराव अंबेडकर पर लघु निबंध

भारत के इतिहास में महानतम नेताओं में से एक थे बाबा साहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर। उन्हें भारतीय संविधान का जनक माना जाता है। संविधान और कानून निर्माण में उनका अतुलनीय योगदान भुलाया नहीं जा सकता है। आज किस संविधान के अनुसार भारत देश चल रहा है ये उन्हीं की देन हैं। आज भारत में हर बच्चा शिक्षा प्राप्त कर पा रहा है। आर्थिक कारणों और जाति भेदभाव के कारण से अब कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित नहीं है।

जहां एक तरह उन्हें अपने शुरुआती जीवन में कई अपमानों का सामना करना पड़ा वहीं उनके दृढ़ हौसले और संघर्ष ने उन्हें इतनी कामयाबी दी की आज देश का बच्चा-बच्चा उन्हें जानता है। जहां उन्हें एक तरफ संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने दूर रखा गया वहीं दूसरी तरफ उन्होंने संस्कृत समेत 14 भाषाओं में महारत हासिल की। अपने प्रारंभिक जीवन में उन्होंने जिस प्रकार के भेदभावों का अनुभव किया, जिस कारण उन्हें काफी संघर्ष भी करना पड़ा उन्होंने अपने उसी संघर्ष आगे बढ़ाते हुए। उन्हें समाज में बदलाव करने का फैसला लिया।

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FAQ's
  • डॉ. बीआर अम्बेडकर का पूरा नाम क्या है?

    डॉ. बीआर अम्बेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी अम्बेडकर है।

  • डॉ. बीआर अम्बेडकर कौन थें?

    डॉ. बीआर अम्बेडकर एक न्यायविद्, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे।

  • भारतीय संविधान के निर्माण में डॉ. बीआर अंबेडकर ने क्या महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?

    डॉ. बीआर अम्बेडकर भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने इसकी रूपरेखा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

  • डॉ. बीआर अम्बेडकर ने किस राजनीतिक दल की स्थापना की?

    डॉ. बीआर अम्बेडकर ने 1936 में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी की स्थापना की, जो बाद में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के रूप में विकसित हुई।

  • भारत में डॉ. बीआर अंबेडकर का जन्मदिन किस रूप में और कब मनाया जाता है?

    हर साल 14 अप्रैल को डॉ. बीआर अंबेडकर का जन्मदिन, सामाजिक न्याय और समानता में उनके योगदान को याद करते हुए, भारत में अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है।

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English summary
Essay Speech On BR Ambedkar Jayanti 2023: Dr. Bhimrao Ramji Ambedkar was born on 14 April 1891 in the house of Ramji Maloji Sakpal in Mhow district. His mother's name was Bhimabai. BR Ambedkar was a politician, jurist, economist and social reformer. He connected people with the Buddhist movement and inspired people to adopt Buddhism. Ambedkar led many campaigns against injustice in support of the untouchables. He was also the first law minister of independent India. Ambedkar played a key role in drafting the Constitution of India. Today the 131st birth anniversary of Babasaheb Dr. Bhimrao Ambedkar is being celebrated.
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