विश्व बाल श्रम दिवस हर साल 12 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा वर्ष 2002 में बाल श्रम के खिलाफ इस दिन को मनाने की शुरुआत की गई।
जनगणना 2011 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाल श्रमिकों की संख्या 10.1 मिलियन है, जिसमें 56 लाख लड़के और 45 लाख लड़कियां हैं।
Child Labour Day
विश्व स्तर पर कुल 152 मिलियन बच्चे बाल श्रम करते हैं। जिसमें 64 मिलियन लड़कियां और 88 मिलियन लड़के शामिल हैं।
Child Labour Day
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वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो दुनिया में हर 10 में से एक बच्चा बाल श्रम कर रहा है। भारत में अस्सी प्रतिशत बाल श्रम ग्रामीण इलाकों मे होता है।
वर्ष 1919 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना सामाजिक समानता को बढ़ाने और अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को स्थापित करने के लिए की गई थी।
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भारत सरकार ने बाल श्रम को खत्म करने के लिए कई योजनाएं चलाई हुई हैं। जिसमें विधायी उपाय, पुनर्वास रणनीति, मुफ्त शिक्षा का अधिकार, और सामान्य सामाजिक-आर्थिक विकास शामिल है।
भारत में बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 अधिनियमित है, जिसे 2016 में संशोधित किया गया था। जिसमें उल्लंघन के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 के अनुसार किसी भी प्रकार का बाल श्रम निषिद्ध है।
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अनुच्छेद 24 में कहा गया है कि 14 साल से कम उम्र के बच्चे को कोई खतरनाक काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद 39 में कहा गया है कि श्रम के लिए कम उम्र के बच्चों का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
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बाल श्रम अधिनियम (निषेध और विनियमन) 1986 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को खतरनाक श्रम कराने से रोकता है।
बाल श्रम निषेध दिवस पर हमें अपने दायित्वों को निभाते हुए अपने आस-पास हो रहे बाल श्रम को रोकने का प्रयास करना चाहिए।