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जानिए कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत

हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को श्रमिक दिवस के नाम नाम भी जाना जाता है।
मजदूर दिवस
19वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमेरिका में श्रमिक संघ आंदोलन में सभी मजदूर दिन में आठ घंटे काम की मांग के लिए एकत्रित हुए।
मजदूर दिवस
सन 1889 में मार्क्सवादी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने एक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन में मांग की कि श्रमिकों को दिन में 8 घंटे से अधिक काम नहीं करना चाहिए।
मजदूर दिवस
इसके बाद यह एक वार्षिक आयोजन बन गया और 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
मजदूर दिवस
14 जुलाई 1889 को यूरोप में सोशलिस्ट पार्टियों की पहली अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा घोषित किए जाने के बाद, मई दिवस पहली बार 1 मई 1890 को मनाया गया था।
मजदूर दिवस
पेरिस में श्रमिकों के लिए हर साल 1 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय एकता श्रमिक दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।
मजदूर दिवस
यूरोप में 1 मई को ग्रामीण पारंपरिक किसान त्योहारों के साथ जोड़ा गया है, लेकिन बाद में इसे मई दिवस के साथ जोड़ दिया गया।
अमेरिका के शिकागो में 1886 में श्रमिकों द्वारा एक शांतिपूर्ण रैली में पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई, जिसमें 38 नागरिकों और 7 पुलिस अधिकारी की मौत हो गई। तब इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में चुना गया।
मजदूर दिवस
भारत में मई दिवस या मजदूर दिवस या 'अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस', तमिल में 'उझोपलार नाल' और मराठी में 'कामगार दिवस' जैसे कई नामों से जाना जाता है।
मजदूर दिवस
भारत ने अपना पहला मजदूर दिवस 1923 में मद्रास (चेन्नई) में मनाया था।
मजदूर दिवस
विश्व में 80 से अधिक देशों (भारत सहित) में मजदूर दिवस पर छुट्टी रहती है।
मजदूर दिवस
लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा भारत में पहली बार मई दिवस समारोह का आयोजन किया गया था।
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