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रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन से जुड़े 10 रोचक तथ्य

रवींद्रनाथ टैगोर भारत के महान कवि, लेखक, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक और चित्रकार थे। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोरशाको ठाकुरबारी में हुआ था।
आज रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती मनाई जा रही है। जबकि बंगाली कैलेंडर के अनुसार, रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 1268 में बैसाख महीने में 25वें दिन दिन हुआ था।
रवींद्रनाथ टैगोर ब्रह्म समाज के नेता देवेंद्रनाथ टैगोर के सबसे छोटे पुत्र थे। मात्र 17 वर्ष की आयु में टैगोर को वकालत की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया था। रवींद्रनाथ टैगोर ने मार्च 1875 में अपनी मां को खो दिया था। जिसके बाद वह अपने पिता के साथ पूरे भारत के दौरे पर गए।
टैगोर ने अपने कॉलेज के वर्षों में शेक्सपियर के कार्यों का अध्ययन करना शुरू किया। उन्होंने बंगाली और यूरोपीय परंपराओं के तत्वों को मिलाकर अपनी एक रचना तैयार की। 1882 में निर्झरेर स्वप्नभंगा नामक उनकी सबसे प्रशंसित कविताओं में से एक प्रकाशित हुई।
टैगोर को अपने मूल बंगाल में एक लेखक के रूप में शुरुआती सफलता मिली थी। नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय-टैगोर पहले गैर-यूरोपीय कवि थे जिन्हें उनके संग्रह 'गीतांजलि' के लिए 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
रवींद्रनाथ टैगोर महात्मा गांधी के प्रसंशक थे। मोहनदास करमचंद गांधी को 'महात्मा' नाम रवींद्रनाथ ने ही दिया था। कवि रवींद्रनाथ टैगोर और वैज्ञानिक आइंस्टीन वर्ष 1931 में चार बार मिले।
रवींद्रनाथ टैगोर ने 2000 से अधिक गीत लिखे जिन्हें सामूहिक रूप से 'रवींद्र संगीत' के नाम से जाना जाता है। उनका मानना था कि संगीत के बिना, दुनिया खाली है।
रवींद्रनाथ टैगोर को घूमने का काफी शौक था। उन्होंने 5 दशकों में लगभग 30 देशों की यात्रा की। जिससे उन्हें अधिक गीत लिखने, कविताएं और उपन्यास लिखने के लिए प्रेरणा मिली।
रवींद्रनाथ टैगोर को 1915 में नाइट की उपाधि दी गई थी, लेकिन उन्होंने चार साल बाद जलियांवाला बाग हत्याकांड का विरोध करने के लिए इस पुरस्कार को वापस कर दिया था।
रवींद्रनाथ टैगोर एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने दो अलग-अलग देशों के लिए राष्ट्रगान लिखा है भारत के लिए उन्होंने जन गण मन, भारत का राष्ट्रगान लिखा और बांग्लादेश का राष्ट्रगान अमर सोनार बांग्ला लिखा।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, हालांकि, श्रीलंका का राष्ट्रगान भी मूल रूप से टैगोर द्वारा 1938 में लिखे गए एक बंगाली गीत पर आधारित था। इसका सिंहली में अनुवाद किया गया था और 1951 में राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था।
रवींद्रनाथ टैगोर ने 60 साल की उम्र में ड्राइंग और पेंटिंग करनी शुरू की। 7 अगस्त 1941 को रवींद्रनाथ टैगोर का निधन हुआ। वर्ष 2011 में रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती पर भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित करने के लिए पांच रुपए का एक सिक्का उनके नाम से जारी किया।
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