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राणा सांगा की कहानी

आज मेवाड़ के राजा महाराजा संग्राम सिंह की 538वीं जयंती मनाई जा रही है। संग्राम सिंह का जन्म 12 अप्रैल 1484 को राजस्थान के मालवा मेवाड़ जिले में हुआ था। महाराणा संग्राम सिंह को राणा सांगा के नाम से भी जाना जाता है।
मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के दादा महाराजा संग्राम सिंह एक साहसी राजपूत योद्धा थे।
महाराणा संग्राम सिंह की आज 538वीं जयंती मनाई जा रही है।
संग्राम सिंह का जन्म 12 अप्रैल 1484 को राजस्थान के मालवा मेवाड़ जिले में हुआ।
महाराणा संग्राम सिंह के दादा का नाम राणा कुंभा था, जो अपने समय के सबसे शक्तिशाली राजपूत राजा रहे थे।
महाराणा संग्राम सिंह के पिता राजपूत शासक राणा रायमल थे। वह राजपूतों के सिसोदिया वंश के राजा थे।
महाराणा संग्राम सिंह को राणा सांगा के नाम से भी जाना जाता है। महाराणा प्रताप राणा सांगा के पोते थे।
राणा सांगा का विवाह रानी कर्णावती से हुआ था। राणा सांगा के चार पुत्र थे, भोज राज, रतन सिंह द्वितीय, विक्रमादित्य सिंह और उदय सिंह द्वितीय।
राणा सांगा ने 1528 तक शासन किया। वह मेवाड़ के राजा थे, जिन्हें कई राजपूत कुलों एक किया।
राणा सांगा ने अपने जीवन काल में 100 से अधिक लड़ाई लड़ी थी, जिसमें वह 99 बार जीते थे और केवल एक बार हार गए थे।
विभिन्न संघर्षों में उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे। राणा सांगा ने इन युद्ध में अपनी एक कलाई और एक पैर भी गंवा दिया था।
राणा संग्राम सिंह
43 वर्ष की आयु में 30 जनवरी 1528 को उनका निधन हो गया। उनको खाने में जहर दिया गया था।
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