Teachers Day 2020 / टीचर्स डे भाषण निबंध आर्टिकल इन हिंदी: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में 5 सितंबर को मनाया जाता है। कोरोना के कारण शिक्षा व्यवस्था और शिक्षा प्रणाली दोनों ही बदल गई है, ऐसे में अगर आपको शिक्षक दिवस पर भाषण, शिक्षक दिवस पर निबंध या शिक्षक दिवस पर लेख लिखना तो आप नीचे दिए गए शिक्षक दिवस भाषण निबंध लेख का ड्राफ्ट देख सकते हैं और स्कूल, कॉलेज या किसी मंच से शिक्षक दिवस पर भाषण निबंध लेख लिख पढ़ सकते हैं।
शिक्षक दिवस पर भाषण निबंध लेख
कुछ बदलाव इतनी तेजी से होते हैं कि हम दंग रह जाते हैं। कोरोना संकट की वजह से कुछ ऐसा ही एक झटके में बदलाव हुआ है। शैक्षिक दुनिया में अब शैक्षणिक के तरीकों में तकनीकी इतनी हावी हो गई है कि पारंपरिक शिक्षकों पर टेक्नास्मार्ट टीचर बनने का भी दबाव आ गया है। जाहिर है अब शिक्षकों को अपनी भूमिका बदली हुई स्थितियों में निभाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
टीचर्स पर हावी टेक्नोलॉजी
हालांकि कोरोना ने न केवल छात्रों को बल्कि शिक्षकों को भी यह घरों में कैद कर दिया है। वह अब मोबाइल, लैपटॉप, टेबलेट या डेक्सटॉप कंप्यूटर के साथ व्यस्त हैं। कोरोना ने एक झटके में दुनिया भर के अध्यापकों को वर्चुअल टीचर में बदल दिया है। राजधानी दिल्ली में कई हजार शिक्षकों ने सोशल मीडिया और दूसरे माध्यमों से यह बात कही है कि उन्होंने कोरोना के पहले भी कभी भी घंटों तो छोड़िए कुछ मिनट तक भी कैमरे सामना नहीं किया था। वह कैमरे की एबीसीडी नहीं जानते थे, लेकिन एक झटके में देश ही नहीं दुनिया के अधिकतर टीचरों को कैमरे फ्रेंडली होना पड़ा। इस समय लाखों-करोड़ों टीचर दुनिया के किसी ना किसी कोने में हर समय ऑनलाइन रहते हैं। क्योंकि एक झटके में वर्चुअल दुनिया स्कूल और कॉलेज की कक्षाओं में बदल गई है।
बदल गया टीचर का रोल
सवाल है क्या इससे शिक्षकों की भूमिका में भी कुछ बदलाव आया है ? क्या इससे शिक्षकों के प्रति छात्रों की भावनाओं में भी कुछ परिवर्तन हुआ है ? इस सवाल का सटीक जवाब तो आसान नहीं है लेकिन इस बात को तो महसूस कर ही सकते हैं कि अब पढ़ने और पढ़ाने वालों के बीच तकनीकी महत्वपूर्ण भूमिका में आ गई है। भविष्य की पीढ़ियां अब शिक्षकों से कहीं ज्यादा शैक्षिक तकनीक से शिक्षित होंगे। दूसरे शब्दों में अब विज्ञान एक माउस क्लिक प्रक्रिया का हिस्सा है। शिक्षक को बदलना होगा, क्योंकि शिक्षकों के हिस्से की बड़ी भूमिका तकनीकी के खाते में चली गई है। देर सवेर कोरोना खत्म तो होगा ही लेकिन अब पढ़ने पढ़ाने की नई भूमिका आने वाली है।
बदलनी होगी शिक्षा व्यवस्था
यह अब एक कड़वा सच है कि भविष्य की पीढ़ियों को शिक्षित करने के लिए मौजूदा शिक्षा व्यवस्था को बदलना होगा। दरअसल एक दौर था जब छात्रों और शिक्षकों के बीच सिर्फ उम्र का ही अंतराल नहीं होता था, बल्कि शैक्षिक ज्ञान का ज्ञान और समझदार भी एक अंतराल होता था। इसलिए शिक्षक जो कुछ पढ़ाते थे, जो कुछ बताते थे, या जो कुछ सिखाते थे, छात्र उस पर आंख मूंदकर भरोसा करते थे। क्योंकि उनके पास अपने शिक्षक से ज्यादा कोई प्रभावशाली स्त्रोत ज्ञान का अपनी पढ़ाई के लिए नहीं होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है, क्योंकि छात्र तकनीक के इस्तेमाल में उनसे कहीं ज्यादा स्मार्ट हैं।
छात्र हैं ज्यादा टेक्नास्मार्ट
पिछले दिनों सोशल मीडिया में और पारंपरिक मीडिया में भी सैंकड़ों ऐसी शिकायतें उम्र दराज शिक्षकों और शिक्षिकाओं के सामने आई है कि छात्र उन्हें ऑनलाइन पर आते समय काफी परेशान करते हैं। काफी दबाव में रखते हैं क्योंकि छात्र अपने शिक्षकों के मुकाबले इस मीडियम को समझने के मामले में अपने उम्र दराज अध्यापकों से कहीं ज्यादा स्मार्ट है। यही नहीं एक झटके में शिक्षकों और छात्रों के बीच किसी हद तक अनुभव की समस्या खड़ी हो गई है। जिन टीचरों के पास अपने छात्रों को पढ़ाने का एक जबरदस्त और लंबा अनुभव है। लेकिन शिक्षकों के पास आज तकनीकी के इस्तेमाल और उसके जरिए बेहतर परफॉर्मेंस करने का अनुभव अपने छात्रों से कम है। इस वजह से भी मौजूदा छात्रों और शिक्षकों की दुनिया काफी हद तक बदल रही है।
सरकारी अध्यापकों की मजबूरी
शिक्षकों पर बढ़ रहे दबाव ऐसा नहीं है कि यह तमाम बदलाव नहीं होने चाहिए। बदलाव तो होने से थे, चाहे कोरोना आया या न आया होता। लेकिन इतनी तेजी से एक झटके में नहीं होना था, जैसा कोरोना के कारण हुआ है। यही वजह है कि आनन-फानन में अध्यापकों ने छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने का जिम्मा तो ले लिया, लेकिन वह इस बात को जान गए कि आज की एक्स वाई जेड और अल्फा बीटा जेनरेशन को उनके लिए पढ़ाना इतना आसान नहीं है। यह अकारण नहीं है कि बहुत सारे प्राइवेट अध्यापकों ने ऑनलाइन टीचिंग से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। सरकारी अध्यापकों की मजबूरी यह है कि वह इस जोखिम को नहीं ले सकते, लेकिन परेशान वह भी हैं। दरअसल इस परेशानी की वजह से छात्र से ज्यादा तेजी से बदलते टेक्नोलॉजी है। इससे मैसेज स्नैपचैट और व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से हर दिन जो संवाद की नई विधियां सामने आ रही है।
अमेरिका में 85 फ़ीसदी टीचर बदले
छात्र टेक्नोलॉजी के साथ ज्यादा फ्रेंडली हैं और अध्यापकों के लिए यह जटिल पहेली है। सिर्फ देश ही नहीं पूरी दुनिया में इन दिनों नए-नए तरीकों के शिक्षकों की भारी कमी महसूस हो रही है। डेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले 5 सालों में अमेरिका में 85 फ़ीसदी तक टीचर बदल गए। क्योंकि बहुत ही स्मार्ट टीचर्स की जरूरत आन पड़ी। भले ही उनके तरीकों से अपने विषय की जानकारी ना हो, लेकिन तकनीक में उन्हें जेड जेड जेनरेशन से आगे जाना पड़ेगा। अब यह है कि शिक्षक दिवस शिक्षकों के सामने एक नई चुनौती के रूप में सामने आया है। अब शिक्षकों को या तो जल्द से जल्द स्मार्ट टेक्नास्मार्ट होना पड़ेगा या फिर टीचिंग से अलविदा कहना होगा।