पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एडहॉक पर कार्यरत ग्रुप-सी और डी के 35 हजार कर्मचारियों को पक्का करने की घोषणा कर दी है। इसके बाद हरियाणा में भी हलचल तेज हो गई है। क्योंकि प्रदेश में भी कर्मचारी लंबे समय से यह मांग उठा रहे हैं। प्रदेश में ग्रुप-सी और डी करीब 70 हजार कच्चे कर्मचारी हैं। ये कर्मचारी अब सरकार पर दबाव बनाएंगे। इनमें 14 हजार गेस्ट टीचर, 15 हजार बिजली कर्मचारी, 10 हजार स्वास्थ्य कर्मचारी, 10 हजार के करीब नगर निकाय कर्मचारी और 15 हजार एनएचएम कर्मचारी हैं। इन्हें औसत 20 हजार रुपए मानदेय मिल रहा है। ये पक्के हुए तो औसत 30 हजार रुपए मासिक मानदेय मिलेगा।
सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा का कहना है कि पंजाब की तर्ज पर प्रदेश सरकार को भी कर्मचारियों को नियमित करना चाहिए। इसके लिए वे आगे भी संघर्ष करते रहेंगे। हरियाणा सरकार ने पिछले 7 सालों में करीब 85 हजार युवाओं को नौकरी दी है, जबकि हर साल 8 से 10 हजार कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं। यानी पक्के कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हुई है।
प्रदेश में 1980 के दशक में करीब 4 लाख कर्मचारी कार्यरत थे, लेकिन जनसंख्या बढ़ने के साथ कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है। प्रदेश में अभी 2.85 लाख नियमित कर्मचारी हैं। बाकी करीब 70 हजार कर्मचारी कच्चे हैं, जो आउटसोर्सिंग पाॅलिसी-1 व 2 के तहत लगे थे।
पंजाब में आप के सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री द्वारा नौकरी से संबंधित यह दूसरी घोषणा है। पहली कैबिनेट बैठक में आप सरकार ने कुल 25 हजार सरकारी नौकरी देने का प्रस्ताव पारित किया है। इनमें से कुल 10 हजार रिक्तियां पंजाब पुलिस में हैं और बाकी बची हुई 15 हजार अन्य विभागों के लिए निर्धारित रखी गई है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने 19 मार्च को कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय एक पारदर्शी और योग्यता आधारित तंत्र के माध्यम से युवाओं को सरकारी क्षेत्र में रोजगार प्रदान करके उनके लिए रोजगार के नए रास्ते खोलेगा।
कुल 25 हजार सरकारी नौकरियों में से 10 हजार पंजाब पुलिस में विभिन्न पदों के लिए रखी जाएगी, जबकि शेष 15 हजार नौकरियों को अन्य विभागों में दिया जाएगा। इन नौकरियों के विज्ञापन और अधिसूचना की प्रक्रिया एक महीने के भीतर शुरू कर दी जाएगी।
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