Gandhi Jayanti 2022 महात्मा गांधी ने आज से 100 साल पहले ही नई शिक्षा नीति के सिद्धांतों और प्रणाली का सपना देखा था, जिसे आज के समय में पूरा किया जा रहा है। महात्मा गांधी ने शिक्षा के माध्यम से ही सच, शान्ति और अहिंसा का मार्ग प्रसस्थ किया। महात्मा गांधी ने शिक्षा के साथ साथ पर्यावरण पर भी जोर दिया। नई शिक्षा नीति और पर्यावरण पर महात्मा गांधी के सिद्धांत आज सफल हो रहे हैं। इन्हीं सफलता से भारतीय समाज गतिशील बन रहा है और तकनिकी में रोज नई नई उपलब्धियों को हासिल कर रहा है। आइये जानते हैं महात्मा गांधी द्वारा दिखाया गया नई शिक्षा नीति और पर्यावरण का मार्ग...
हाल के दशकों के बाद, भारत को एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मिली। नई शिक्षा नीति 2020, आधुनिक शैक्षिक विचारधाराओं और विचार प्रक्रिया के कई पहलुओं के अलावा शिक्षा पर गांधीवादी विचारों की याद दिलाती है। गांधीजी एक ऐसे प्रयोगवादी थे, जिन्होंने जीवन भर सत्य का साथ दिया। वह प्राचीन संस्कृति से बहुत अधिक प्रभावित थे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुभाषावाद और भाषा, जीवन कौशल, नैतिकता और मानव संवैधानिक मूल्यों, रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच, बहुविषयक, समग्र शिक्षा आदि की शक्ति को बढ़ाने की क्षमता है।
गांधी जी ने कहा था कि नई शिक्षा निति से व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। साक्षरता केवल शिक्षा प्रदान करने का साधन नहीं है, शिक्षा अपने आपको को बनाने का साधन है। शिक्षा में गांधीजी ने सबसे पहले व्यक्तिगत चरित्र के गठन पर जोर दिया। गांधी जी ने कहा था कि एक मजबूत चरित्र के बिना कोई भी जीवन के किसी भी क्षेत्र में विशिष्टता हासिल नहीं कर सकता है। चरित्र के निर्माण में व्यवहार, अहिंसा और सत्यता बहुत महत्वपूर्ण घटक होते हैं।
इसलिए नई शिक्षा निति में मातृभाषा भाषा और कौशल पर अधिक जोर दिया गया है। गांधी जी का मानना था कि एक छात्र को पहले उसकी मातृभाषा में पढ़ाया जाना चाहिए और उसके बाद राष्ट्रभाषा का परिचय दिया जाना चाहिए और जब वह रुचि और बुद्धिमत्ता का विकास करता है तो वह अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी सीख सकता है। उनका मानना था कि अंग्रेजी भाषा हमें दूसरों से जोड़ने का काम करती है, जिसपर विवाद नहीं किया जा सकता है।
गांधी जी का मानना था कि स्कूल या कॉलेज में छात्र क्या सीखता है और घर पर क्या अभ्यास करता है, इसके बीच वास्तव में कोई संबंध नहीं है। ये दोनों चीजें पैमाने के विपरीत हैं। इसके बजाय शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे छात्र जीवन की लड़ाई को सफलता प्राप्त करे।
एनईपी के माध्यम से छात्रों के लिए व्यावसायिक एवं उच्च शिक्षा पर जोर देना है, ताकि छात्रों के लिए रोजगार को आसान बनाया जा सके। वह जीवन और दुनिया की समस्याओं के बारे में स्पष्ट और आलोचनात्मक तरीके से सोचने में सक्षम होना चाहिए और इसके समाधानों को विकसित करने में सक्षम होना चाहिए।
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