Hindi Diwas 2020: 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है, इन दिनों सोशल मीडिया पर हिंदी का साम्राज्य काफी तेजी से बढ़ रहा है। आरती कुमारी (शोध अध्येता) बता रही हैं, कैसे हिंदी ने सोशल मीडिया पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है, लोग अब सोशल मीडिया पर हिंदी में लिखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भारतीय भाषाओं की प्रभावकारिता को लेकर संस्था स्टोरीनोमिक्स ने एक अध्ययन किया था। 8.70 लाख संदेशों का अध्ययन करने पर पाया था कि अंग्रेजी की तुलना में सोशल मीडिया पर हिन्दी संदेश/कंटेंट सबसे अधिक शेयर किए जा रहे हैं।
मीडिया ने आज के समय में हर किसी को प्रसारक बना दिया है। इसने बड़ा प्लेटफॉर्म दिया है‚ लोगों को अपनी बात कहने और अपने विचार साझा करने को। सोशल मीडिया पर सूचनाओं का बहाव और प्रभाव इतना तेज है कि सुदूर गांव के किसी छोटे से टोले की घटना के भी अंतरराष्ट्रीय समाचार बनने की संभावना रहती है। हिन्दी ने सोशल मीडिया की प्रभावकारिता को और ज्यादा मजबूती दी है।
फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के हिन्दी में उपलब्ध होने और हिन्दी भाषा और फॉन्ट समÌथत मोबाइल ने आम लोगों को इसके व्यापक इस्तेमाल की सुविधा दी है। इन्हीं वजहों से सोशल मीडिया पर लोगों की पहुंच अप्रत्याशित गति से बढ़ी है। कनाडाई प्रोफेसर एवं मीडियाविद् मार्शल मैक्लुहान ने दशकों पहले जिस ग्लोबल विलेज यानी वैश्विक गांव की परिकल्पना की थी‚ सही मायने में देखा जाए तो सोशल मीडिया ने ही इसे पूरी तरह से साकार किया है।
दुनियाभर में 250 से ज्यादा सोशल नेट्वर्किंग साइटें हैं, लेकिन ट्विटर‚ लिंक्डइन‚ फ्लिकर‚ इंस्टाग्राम आदि की तुलना में फेसबुक सबसे अग्रणी है। ग्लोबल वेब इंडेक्स के मुताबिक‚ दुनियाभर में 4.58 बिलियन यानी 45.4 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं। इनमें से 38 करोड़ ऐसे हैं‚ जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। भारत की बात करें तो डिजिटल 2020 रिपोर्ट के मुताबिक‚ साल 2023 तक देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 10.8 करोड़ हो जाएगी। जाहिर है कि देश में भी इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या अप्रत्याशित गति से बढ़ती जा रही है और इसमें हिन्दी की बड़ी महती भूमिका है।
दरअसल‚ इंटरनेट की दुनिया ने हिन्दी के बढ़ते वर्चस्व को आज से 17 साल पहले ही भांप लिया था। आज से १७ साल पहले विकीपीडिया के हिन्दी वर्जन की शुरु आत हुई थी। साल 2003 में ही हिन्दी लिनक्स सिस्टम आया‚ जिसमें भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया था। इसी साल माइक्रोसॉफ्ट ने हिन्दी में ऑफिस सुइट जारी किया और ओपन ऑफिस ने भी हिन्दी संस्करण जारी किया।
ऑफिसवर्क से लेकर डीटीपी और प्रकाशन आदि कार्यों में इन दोनों ही एप्लिकेशनों का बहुतायत प्रयोग होता है। गूगल ने हिन्दी की ताकत भांपते हुए साल २००७ में गूगल की हिन्दी समाचार सेवा की शुरु आत की। हिन्दी में ब्लॉग सेवाओं की शुरु आत के साथ ही सोशल मीडिया में हिन्दी के प्रादुर्भाव हुआ। ॥ भारतीयकरण को मजबूर किया॥ प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भले ही विदेशी हों‚ लेकिन हिन्दी ने इन प्लेटफॉर्मों के भारतीयकरण को मजबूर किया है। ये तमाम कंपनियां अब नियामक संस्थाओं के मानकों का ध्यान रखते हुए भारतीय उपयोगकर्ताओं के मुताबिक कंटेंट और सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं।
अब तो सोशल मीडिया के कई भारतीय एप्लिकेशन भी खूब इस्तेमाल किए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भारतीय भाषाओं की प्रभावकारिता को लेकर संस्था स्टोरीनोमिक्स ने एक अध्ययन किया था। हिन्दी‚ अंग्रेजी‚ बंगाली‚ कन्नड़ और अन्य भारतीय भाषाओं के १३५ शीर्ष मीडिया संस्थानों की ओर से साझा किए गए 8.70 लाख संदेशों का अध्ययन करने पर पाया था कि अंग्रेजी की तुलना में सोशल मीडिया पर हिन्दी संदेश/कंटेंट सबसे अधिक शेयर किए जा रहे हैं। ॥ कुछ साल पहले तक हिन्दीभाषी लोग इतने सहज तरीके से सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर पाते थे।
उनके लिए अंग्रेजी भाषा बाधा थी‚ जो दूर हो चुकी है। करीब डेढ़ दशक पहले जो धारणा बनी थी कि सोशल मीडिया के आने से हिन्दी का वर्चस्व कम हो जाएगा‚ उस धारणा के उलट प्रचलित सोशल मीडिया साइटों फेसबुक‚ ट्विटर‚ इंस्टाग्राम‚ ट्विटर आदि पर प्रयुक्त होने वाली विभिन्न भाषाओं में हिन्दी ने अपना विशिष्ट स्थान बना लिया है। सोशल मीडिया पर हिन्दी को जिस तरह से स्वीकृति मिली है‚ इसकी पूरी संभावना है कि भविष्य में सोशल मीडिया पर हिन्दी अपना साम्राज्य और बुलंद करेगी।