ganesh visarjan muhurat/ganesh visarjan time 2020: गणेश विसर्जन कब है ? गणेश महोत्सव का त्योहार 22 अगस्त दिन शनिवार यानि आज से शुरू हो गया है। और गणेश विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन 01 सितंबर 2020 को मंगलवार के दिन किया जाएगा। इन दस दिनों में भगवान गणेश के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी। और प्रतिदिन उनकी मनपसंद चीजों का भगवान गणेश को भोग लगाया जाएगा। और 11वें दिन विधि विधान से पूजा करके उन्हें विसर्जित किया जाता है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मर्ति स्थापना को जितना महत्व दिया जाता है। उतना ही महत्व भगवान गणेश के विसर्जन को भी दिया जाता है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन से डेढ़ दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन या 11वें दिन तक विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं। इसके बाद गणेश भगवान का विसर्जन चतुर्दशी तिथि को कर दिया जाता है। और उनसे प्रार्थना की जाती है कि बाप्पा अगले साल फिर से हमारे घर आना। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश की स्थापना करके उनका विधिवत् पूजन करके विसर्जन करने व्यक्ति की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं। और जीवन में खुशहाली आती है। तो आइए जानते हैं गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त कब है 2020 में (Ganesh Visarjan Muhurat 2020 Date Time)।
गणेश विसर्जन भगवान गणेश को औपचारिक विदाई देने की रस्म होती है, क्योंकि गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद भगवान श्री गणेश स्वर्गीय निवास कैलाश की यात्रा पर निकलते हैं। अपने भक्तों के घरों में कुछ दिन बिताने के बाद, बप्पा अगले साल पृथ्वी पर लौटने का वादा करके अपने घर लौटते हैं। अनंत चतुर्दशी गणेश विसर्जन का समय या शुभ मुहूर्त बहुत अधिक होता है। विसर्जन या उत्तपन समारोह आमतौर पर मध्याह्न या दिन के दूसरे भाग के बाद होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन की विस्तृत समय सारणी देखें। पंचांग के अनुसार, गणेश विसर्जन 2020 मुहूर्त के समय इस प्रकार हैं:
Ganesh Visarjan 2020 Muhurat
गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan 2020 Muhurat)
प्रात:काल का मुहूर्त
सुबह 09:10 बजे से दोपहर 01:56 बजे तक
गणेश विसर्जन का दोपहर का मुहूर्त
दोपहर 15:32 बजे से सांय 17:07 बजे तक
गणेश विसर्जन का शाम का मुहूर्त
शाम 20:07 बजे से 21:32 बजे तक
गणेश विसर्जन का रात्रिकाल मुहूर्त
रात्रि 22:56 बजे से सुबह 03:10 बजे तक है। इस दिन विसर्जन करते समय 02 सितंबर का दिन लग जाएगा।
Method OF Ganesh Visarjan
गणेश विसर्जन पूजन विधि (Method OF Ganesh Visarjan)
गणेश भगवान का विसर्जन चतुर्दशी तिथि के दिन किया जाता है। और विसर्जन से पहले उनका तिलक किया जाता है। इसके बाद उन्हें फूलों का हार, फल, फूल, मोदक आदि का भोग लगाया जाता है। और इसके बाद भगवान गणेश के मंत्रोच्चार के साथ उनका पूजन किया जाता है। और उनकी आरती उतारी जाती है। भगवान गणेश जी की पूजा में हम जो भी सामग्री चढ़ाते हैं उसे एक पोटली में बांध दिया जाता है। इस पोटली में सभी सामग्री के साथ एक सिक्का भी रखा जाता है। इसके बाद गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता है। भगवान गणेश जी के विसर्जन के साथ इस पोटली को भी बहा दिया जाता है।
Ganesh Visarjan Katha Story
गणेश विसर्जन की कथा (Ganesh Visarjan Katha Story)
पौराणिक कथा के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर महाभारत तक की कथा वेद व्यास जी ने भगवान गणेश जी को लगातार सुनाई थी। जिस भगवान गणेश जी ने लगातार लिखा था। दसवें दिन जब भगवान वेद व्यास जी ने अपनी आंखें खोलीं तो उन्होंने देखा कि गणेश जी का शरीर बहुत अधिक गर्म हो रहा था। जिसके बाद वेद व्यास जी ने अपने पास के सरोवर के जल से गणेश जी के शरीर को ठंडा किया। इसकी वजह से गणेश जी को चतुर्दशी के दिन शीतल जल में प्रवाहित किया जाता है। इस कथा के अनुसार गणेश जी के शरीर का तापमान इससे अधिक ना बढ़े, इसलिए वेद व्यास जी ने गणेश जी के शरीर पर सुगंधित मिट्टी से लेप कर दिया था। और जब यह लेप सूखा तो गणेश जी का शरीर अकड़ गया। जिसके बाद वह मिट्टी भी झड़ने लगी। जिसके बाद उन्हें सरोवर के पानी में ले जाकर शीतल किया जाता है। उस समय वेद व्यास जी ने 10 दिनों तक गणेश जी को उनके पसंद का भोजन भी कराया था। इसी कारण से भगवान गणेशजी को स्थापित और विसर्जित किया जाता है। इन 10 दिनों में भगवान गणेश को उनकी पसंद का भोजन कराया जाता है। और उनकी पूजा आराधना की जाती है।