चंद्रशेखर आजाद पर निबंध (Essay On Chandra Shekhar Azad)

Essay On Chandra Shekhar Azad Jayanti 2022: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की आज जयंती मनाई जा रही है। चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ में हुआ।

Essay On Chandra Shekhar Azad Jayanti 2022: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की आज जयंती मनाई जा रही है। चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ में हुआ। चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश साम्राज्य के औपनिवेशिक शासन के खिलाफ कड़ा संघर्ष किया। चंद्रशेखर आजाद जयंती 2022 के उपलक्ष्य में हम आपको उनके प्रारंभिक जीवन, संघर्ष और उपलब्धियों के बारे में बताएगा। यदि आप चंद्रशेखर आजाद पर निबंध लिखने की तैयारी कर रहे हैं तो हम आपके लिए सबसे बेस्ट चंद्रशेखर आजाद पर निबंध लिखने का ड्राफ्ट लेकर आए है। चंद्रशेखर आजाद पर निबंध में आपको भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके अतुलनीय योगदान के बारे में पता चलेगा। चंद्रशेखर आजाद पर निबंध विद्यार्थियों की समझ के लिए आसान भाषा में लिखा गया है। तो आइये जानते हैं चंद्रशेखर आजाद पर निबंध कैसे लिखें?

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध (Essay On Chandra Shekhar Azad)

चंद्रशेखर आजाद पर निबंध Chandra Shekhar Azad Essay In Hindi
हमें आजादी हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रवादियों के बलिदान से मिली है। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अथक संघर्ष किया है। भारतीय स्वतंत्रता के सबसे महान शहीदों में से एक हैं चंद्रशेखर आजाद, वह भारत माता के सच्चे सपूत थे, जिन्हें किसी से कोई भय नहीं था। उनकी बहादुरी को हमेशा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में याद रखा जाएगा। चंद्रशेखर आजाद पर इस निबंध में हम उनके प्रारंभिक जीवन और क्रांतिकारी गतिविधियों पर चर्चा करेंगे। उसका नाम चंद्रशेखर तिवारी था। आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भावरा में हुआ था। वह एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। वह चंद्रा भील आदिवासी बच्चों के साथ बड़े हुए। वह बचपन से ही काफी फुर्तीले थे, उनकी मां उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाना चाहती थी, जिसके लिए आजाद को बनारस के काशी विद्यापीठ भेजा। वहां वह राष्ट्रवाद से परिचित हुए और वह एक स्वतंत्रता सेनानी बन गए।

सन 1919 में जलियांवाला बाग की घटना से वह बेहद परेशान थे। वह सिर्फ 13 साल के थे, जब वह 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। उन्होंने इस तरह के आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया और 16 साल की उम्र में उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। जब पुलिस ने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने खुद को 'आजाद' और अपने पिता को 'स्वतंत्र' बताया। आजाद के साहस को देखकर मजिस्ट्रेट आगबबूला हो गया और उसे कोड़े मारने का आदेश दिया। वह इतने निडर थे कि उस समय भी आजाद ने मुस्कुराते हुए सजा को कबूल किया। साल 1922 में महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस ले लिया गया था। जिसके बाद उनकी राष्ट्रवादी भावना और अपने देश को स्वतंत्र देखने के सपने को बड़ा झटका लगा। इस घटना के बाद वह पहले से अधिक आक्रामक हो गए और समझ गया कि इस तरह के अहिंसक आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्य को नहीं हिला पाएंगे।

वह राम प्रसाद बिस्मिल से मिलने के बाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) में शामिल हो गए और देश स्वतंत्रता के लिए धन इकट्ठा करना शुरू कर दिया। क्योंकि स्वतंत्रता सेनानियों के लिए इतने सीमित धन के साथ इतने विशाल साम्राज्य से लड़ना पर्याप्त नहीं था। इसके बाद उन्होंने 1925 में प्रसिद्ध काकोरी षडयंत्र की योजना बनाई। उन्होंने योजना बनाई कि कैसे एक सरकारी ट्रेन को लूटा जाए और आगे की स्वतंत्रता गतिविधियों के लिए हथियार इकट्ठा किया जाए। उन्होंने सुरक्षा खामियों की पहचान की और काकोरी में एक ट्रेन को रोका और लूटना शुरू किया। जिसमें एक यात्री की मौत हो गई, जिसके बाद अंग्रेजों ने आजाद पर हत्या का केस बना दिया। बिस्मिल को अशफाक उल्ला खां के साथ गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन आजाद भाग निकले। वह बाद में कानपुर चले गए।

उन्होंने सुखदेव, राजगुरु और उस समय के सबसे अधिक आशंकित स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह से मुलाकात की। उन्होंने 1928 में एचआरए का नाम बदलकर हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरएसए) कर दिया। उसी वर्ष आन्दोलन में लाठीचार्ज से लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। जिसके बाद आजाद ने जेम्स स्कॉट को मारकर बदला लेने की योजना बनाई, लेकिन गलती से जेपी सॉन्डर्स को मार डाला। जिसके बाद उसके सभी परिचितों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन आजाद वहां से भी भागने में सफल हुए। लेकिन एक दिन मुखबिर ने उसकी लोकेशन लीक कर दी।

इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पहले से मौजूद पुलिसकर्मी ने उन्हें घेर लिया और वह उनसे लड़ते हुए गंभीर रूप से घायल हो गए। आजाद में अपनी बन्दूक में मौजूद आखिरी गोली खुद को मार ली, लेलिंक ब्रिटिश पुलिस के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया। जब भी भारत अपनी आजादी का जश्न मनाएगा, चंद्रशेखर आजाद की विरासत को हर बार याद किया जाएगा। चंद्रशेखर आजाद आज भी देश के युवाओं को प्रभावित और प्रेरित करते हैं। आजाद का प्रेम देश के प्रति निस्वार्थ रहा है। भारतीय इतिहास में चंद्रशेखर आजाद का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है, उन्हें आज भी देशभक्ति का प्रतीक माना जाता है।

जय हिंदी जय भारत

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English summary
Essay On Chandra Shekhar Azad Jayanti 2022: The birth anniversary of India's great freedom fighter Chandrashekhar Azad is being celebrated today. Chandrashekhar Azad was born on 23 July 1906 in Jhabua, Madhya Pradesh. Chandrashekhar Azad fought hard against the colonial rule of the British Empire. On the occasion of Chandrashekhar Azad Jayanti 2022, we will tell you about his early life, struggle and achievements. If you are preparing to write an essay on Chandrashekhar Azad, then we have brought for you the draft of writing the best essay on Chandrashekhar Azad. In Essay on Chandrashekhar Azad, you will come to know about his incomparable contribution in the Indian freedom struggle. Essay on Chandrashekhar Azad has been written in easy language for the understanding of the students. So let's know how to write an essay on Chandrashekhar Azad?
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