World Environment Day Speech In Hindi विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण हिंदी में कैसे लिखें

World Environment Day Speech In Hindi 2023/विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण कैसे लिखें: हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम 'प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्ति' रखी गई है। कई दशकों पहले ही पर्यावरण के सामने उत्पन्न होने वाले वैश्विक संकट को देखते हुए पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत की गई। इसके बावजूद पर्यावरण की दशा सुधारने के बजाए लगातार बिगड़ रही है।

World Environment Day Speech In Hindi विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण हिंदी में कैसे लिखें

क्या आपने कभी सोचा है कि पर्यावरण प्रदूषण के मूल कारण क्या है? पर्यावरण को स्वच्छ-सुरक्षित रखने के लिए किस तरह के प्रयासों की आवश्यकता है? इन सभी प्रश्नों के जवाब आपको अवश्य ढूंढने चाहिए। स्कूल एवं कॉलेजों में विद्यार्थियों को पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरूक करने के उद्देश्य के कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैष।पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता कार्यक्रमों में अक्सर बच्चों के लिए निबंध, क्विज, स्पीच समेत अन्य कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।

ऐसे में यदि आपको विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण या विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध लिखना है तो, करियर इंडिया हिंदी आपके बेस्ट विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण और विश्व पर्यावरण पर निबंध का ड्राफ्ट लेकर आया है। तो आइये जानते हैं विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण निबंध कैसे लिखें?

विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण निबंध

पर्यावरण में पिछले कुछ वर्षों से कई तरह के असामान्य और अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। ये परिवर्तन प्रकृति के प्रमुख घटकों जल, जंगल, जमीन और समस्त वायुमंडल को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। यह दुष्प्रभाव इतना तीव्र है कि पृथ्वी, इसके वायुमंडल और संपूर्ण जीव जगत के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। इसके साथ ही मानव व्यवहार में लगातार नष्ट हो रही जैव विविधता, एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है।

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच डब्ल्यूईएफ ने अपनी ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2021 में जैविक विविधता की हानि को मानव सभ्यता के सामने मौजूद सबसे बड़े खतरों में शुमार किया है। प्रदूषण रोकने के कुप्रबंधन और वनों की अनियंत्रित कटाई से भी पर्यावरण का संतुलन लगातार बिगड़ रहा है। इसके दुष्परिणाम ग्लोबल वार्मिंग, चक्रवात, बाढ़ और तूफान के रूप में दिखते हैं। यही वजह है कि वैज्ञानिक और पर्यावरणविद लगातार बिगड़ते पर्यावरण के बारे में पूरी दुनिया को आगाह कर रहे हैं।

बिगड़ते पर्यावरण के मूल कारण

लगातार बिगड़ते पर्यावरण के मूल कारणों को अगर हम तलाशें तो पाएंगे कि विकास और तकनीकी प्रगति की अंधी दौड़ में हमने पर्यावरण के घटकों को स्थाई रूप से नुकसान पहुंचाया है। उपभोक्तावाद के बढ़ते प्रभाववश उपभोग की भी अनियंत्रित आदतों के कारण संसाधनों के असीमित दोहन की प्रवृत्ति इसके लिए सर्वाधिक जिम्मेदार है। यह दोहन इस स्तर तक बढ़ गया है कि हमारे पर्यावरण के घटकों में असंतुलन बढ़ता जा रहा है।

दरअसल, पर्यावरण जिस तरह पृथ्वी पर पाए जाने वाली सभी जीवधारियों को प्रभावित करता है, उसी तरह वह स्वयं भी सारे जीवधारियों की गतिविधियों से प्रभावित होता है। यानी, पर्यावरण और समस्त जीवधारियों में गहरा संबंध होता है। यही पूरी तरह आपसी संतुलन पर टिका हुआ होता है। ऐसे में जब मानवीय गतिविधियां अनियंत्रित और प्रकृति के विरुद्ध होती हैं तो यह संतुलन बिगड़ता है और पर्यावरण अनेक संकटों से ग्रस्त होने लगता है।

मानव गतिविधियां हैं जिम्मेदार

प्रकृति ने समस्त जीवों की उत्पत्ति एक ही सिद्धांत के तहत की है वह समस्त चर-अचर जीवों के अस्तित्व को एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब मनुष्य ने स्वयं को पर्यावरण का हिस्सा ना मानकर उसको अपनी आवश्यकताओं के अनुसार विकृति करने लगा। इन गतिविधियों ने प्रकृति के रूप को पूरी तरह बिगाड़ दिया। हालात ये हो गए कि जो नदियां, पहाड़, जंगल और जीव पृथ्वी पर हर और नजर आते थे इनकी संख्या घटती गई। इतनी की कोई विलुप्त हो गए और ढेरों विलुप्त के कगार पर हैं। ऐसा लगता है कि इंसान समाज ने प्रकृति के विरुद्ध एक अघोषित युद्ध छेड़ रखा है और स्वयं को प्रकृति से अधिक ताकतवर साबित करने में जुटा हुआ है। यह जानते हुए भी कि प्रकृति के विरुद्ध युद्ध में वह जीत कर भी अपना वजूद सुरक्षित नहीं रख पाएंगे।

पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक आकांक्षा

हालांकि लाखों साल से तमाम मुश्किलों के बावजूद पृथ्वी जीवन को कायम रखते हुए हैं। लेकिन वैज्ञानिकों के एक वर्ग का मानना है कि जिस तरह पर्यावरण संकट बढ़ता जा रहा है, उससे पृथ्वी के अस्तित्व पर भी संकट मंडरा रहा है। पृथ्वी के नष्ट होने की यही भविष्यवाणी आधुनिक युग के एक महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस ने की थी।

हॉकिंस के अनुसार, मनुष्य इस ग्रह पर 10 लाख साल बिता चुका है। अगर मनुष्य की प्रजाति को बचाना है तो उसे पृथ्वी छोड़कर किसी और ग्रह या उपग्रह पर शरण लेनी होगी। फिलहाल तो अब तक किसी ग्रह पर जीवन संभव नहीं जान पड़ रहा है तो हमारे पास पृथ्वी को ही सुरक्षित रखने के प्रयास करने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है।

सभी को करने होंगे प्रयास

पृथ्वी को बचाने के क्रम में पर्यावरण के प्रति चिंता जताने के लिए अब तक हजारों सेमिनार और सम्मेलन होते रहे हैं। यह सिलसिला अब भी जारी है, लेकिन हमारा पर्यावरण दिनों दिन बिगड़ता जा रहा है। ऐसे में अब वक्त आ गया है कि हम सभी इंसान अपनी जिम्मेदारी समझें। सिर्फ विचार-विमर्श या सम्मेलन ही नहीं धरती और पर्यावरण को बचाने के संकल्प के साथ इस दिशा में प्रयास करने होंगे। क्योंकि इसकी रक्षा का दायित्व हम सब इंसानों पर समान रूप से है।

प्रदूषण रोकने के हरसंभव प्रयास करने होंगे। विकास के लिए प्रकृति के विनाश को रोकना होगा। पेड़, नदी, तालाब, भूमि, जल, जंगल और जीव जंतु प्रजातियों को बचाना होगा। अपनी उपभोग की आदतों पर लगाम लगाकर हमें पर्यावरण संतुलन की दिशा में कुछ ठोस उपाय करने होंगे। प्रकृति हजारों सालों से हमें देती आ रही है और हम सदा ही लेते आए हैं। क्या अब उसके प्रति कृतज्ञ रहते हुए हम सब उसके संरक्षण व संवर्धन संघ का संकल्प नहीं ले सकते?

कोरोना काल से उपजे सवाल

कोरोना महामारी के कारण बीते डेढ़ वर्षो में दुनिया पूरी तरह बदल गई है। इन बदली हुई परिस्थितियों ने मनुष्यों को प्रकृति और इसके पर्यावरण के प्रति नए सिरे से सोचने पर विवश किया है। अब तक मनुष्य प्रकृति को तरह-तरह से अपने वश में करने का उपाय कर रहा था, लेकिन एक छोटे से वायरस के आगे पूरा मानव समुदाय असहाय नजर आ रहा है। कहीं वैश्विक महामारी कोरोना भी मानव की किसी भूल का तो परिणाम नहीं?

इसके कारण हुए लॉकडाउन के दौरान स्वच्छ हवा और जल क्या यह संदेश नहीं देते कि पर्यावरण को शुद्ध रखा जा सकता है? इस तरह के कई सवालों पर गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है। कोरोना की उत्पत्ति को लेकर लेकर बाद में होने वाले शोधों से चाहे जो निष्कर्ष निकाले, फिलहाल अभी के लिए कोरोना ने पर्यावरण के प्रति इंसान को अपने बर्ताव में बदलाव लाने की चेतावनी तो दे ही दी है।

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English summary
World Environment Day Speech In Hindi 2023 / How to write a speech on World Environment Day: World Environment Day is celebrated every year on 5th June. The theme of World Environment Day 2023 is 'beat plastic pollution'. Many decades ago, in view of the global crisis facing the environment, the celebration of Environment Day has been started. Despite this, instead of improving the condition of the environment, it is continuously deteriorating. What is the root cause of this? What kind of efforts are needed to keep the environment clean and safe? In such a situation, if you have to write a speech on World Environment Day or an essay on World Environment Day, then Career India Hindi has brought your best World Environment Day speech and draft essay on World Environment. So let's know how to write a speech essay on World Environment Day?
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