National Education Day 2023 FAQs: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने देश के लिए क्या किया जानिए

National Education Day 2023 History Significance FAQs: भारत में हर साल राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 11 नवंबर को मनाया जाता है। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जन्म जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक भारत के शिक्षा मंत्री रहे।

National Education Day 2023 FAQs: मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने देश के लिए क्या किया जानिए

अपने कार्यकाल के दौरान मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन ने शिक्षा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया। उनेक इस अतुलनीय योगदान की वजह से ही आज भारत के युवा पढ़ाई में विदेशी छात्रों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अमेरिका, जापान और ब्रिटेन समेत कई बड़े देशों में भारतीय युवा अपने कौशल से भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। आइए जानते हैं, राष्ट्रीय शिक्षा दिवस और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य-

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की शुरुआत किसने की?

मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आधिकारिक तौर भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2008 में की गई थी। हर साल 11 नवंबर को भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती को मनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिन मौलाना अबुल कलाम आजाद द्वारा दिए गए योगदानों का पूरा देश सम्मान करता है। इसलिए 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2022 थीम क्या है?

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर हर साल अलग-अलग थीम जारी की जाती है। इस वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2023 की थीम "एक सतत भविष्य के लिए नवोन्वेषी शिक्षा" है।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2023 का महत्व क्या है?

भारत द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा दिवस 2023 मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जन्म जयंती को उत्सव के रूप में मनाना है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आजाद द्वारा भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में किए गए योगदान पर एक नज़र डालने के लिए इस दिन को मनाने की घोषणा की।

मौलाना अबुल कलाम आजाद कौन थे?

मौलाना अबुल कलाम आजाद एक स्वतंत्रता सेनानी थे। मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 में सऊदी अरब में हुआ था। मौलाना अबुल कलाम आजाद 20वीं सदी के अंत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता बने। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक शिक्षाविद थे, इसलिए उन्होंने समाज के उत्थान के लियुए अपना पुस्तकालय शुरू किया। उनकी पत्रकारिता में उनकी गहरी रुचि थी और उन्होंने बहुत कम उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 1899 में नायरंग-ए-आलम नामक कविता के साथ अपनी पहली काव्य पत्रिका प्रकाशित की थी।

अबुल कलाम आजाद ने पत्रकारिता में प्रवेश किया और कलकत्ता में अल-हिलाल (जिसका अर्थ है द क्रिसेंट) नाम से एक उर्दू अखबार प्रकाशित करना शुरू किया। ऐसा माना जाता है कि अल-हिलाल को ब्रिटिश नीतियों पर हमला करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया था। सत्ता के लिए सच बोलते हुए, अबुल कलाम ने बाद में अल-बालाग नामक एक और साप्ताहिक शुरू किया, जब अल-हिलाल को इस्लामी समुदाय के बीच अत्यधिक लोकप्रियता के कारण अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। बार-बार अबुल कलाम अपनी कलम और शब्दों के बल पर ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ विद्रोह करने के तरीके खोजते रहें।

शिक्षा के संबंध में मौलाना अबुल कलाम आजाद के क्या विचार थे?

शिक्षा में मौलाना का विश्वास ऐसा था कि वे स्कूलों को वह प्रयोगशाला मानते थे जो भविष्य के प्रतिभाशाली दिमागों का निर्माण कर सकती है। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा पर भी बहुत जोर दिया और हमारे देश की प्रत्येक महिला को सभी नागरिक अधिकारों के लिए शिक्षित करने की आवश्यकता क्यों है। उन्होंने छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण और तकनीकी शिक्षा भी दी। मौलाना का दिल शिक्षा में गहराई से बसा था और वह चाहते थे कि भारत एक ऐसा राष्ट्र हो जो उच्च शैक्षिक मानकों और महान महान दिमागों का निर्माण करे।

उनके लिए शिक्षा का अत्यधिक महत्व था और उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि पूरे देश में शिक्षा का एक समान राष्ट्रीय मानक प्रदान किया जाए। 16 जनवरी 1948 को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने घोषणा की कि हमें एक पल के लिए भी नहीं भूलना चाहिए, कम से कम बुनियादी शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है जिसके बिना वह एक नागरिक के रूप में अपने कर्तव्यों का पूरी तरह से निर्वहन नहीं कर सकता है। 1947 में भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में अपने चुनाव के बाद मौलाना ने प्राथमिक शिक्षा को 14 साल तक के बच्चों के लिए एक मुफ्त और अनिवार्य नागरिक अधिकार बनाने का निर्णय किया।

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने शिक्षा के क्षेत्र में क्या किया?

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस भारत में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की यात्रा पर शुरू होता है। उनका योगदान आज भी प्रासंगिक औप खास महत्व रखते हैं और छात्रों को राष्ट्रव्यापी प्रेरित करता है। आजाद दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रमुख संस्थापकों में से थे और उन्होंने देश भर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिसरों की नींव में योगदान दिया। उन्होंने भारत के सर्वोच्च शिक्षा नियामक - विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (United Grant Commission) का भी मार्ग प्रशस्त किया। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सम्मान में नामित अन्य संस्थानों में दिल्ली में मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज, हैदराबाद में मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, कोलकाता में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और कई अन्य हैं।

आजाद के कार्यकाल के दौरान कई सांस्कृतिक और साहित्यिक अकादमियां भी स्थापित की गईं जैसे साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद आदि। शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान की बहुत सराहना की जाती है और भारत में हर साल 11 नवंबर को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि आजाद के प्रयासों ने ही भारत को शिक्षा के महत्व का एहसास कराया और यह हर नागरिक का मूल अधिकार क्यों है। उनके बौद्धिक कौशल और उत्कृष्ट व्यक्तित्व के कारण उन्हें जवाहरलाल नेहरू द्वारा मीर-ए-करवां के रूप में संदर्भित किया गया था।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व, क्यों मनाया जाता है?

11 नवंबर को पूरा देश राष्ट्रीय शिक्षा दिवस को उत्सव की तरह मनाता है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को शिक्षा के क्षेत्र में उनके सराहनीय योगदान के लिए श्रद्धांजलि देने के लिए सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र विशेष प्रदर्शन और गतिविधियाँ तैयार करते हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस कैसे मनाते हैं?

मौलाना अबुल कलाम आजाद की याद में आज देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों और विश्वविद्यालयों में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी स्कूल और संस्थान सेमिनार, कार्यशालाएं, निबंध लेखन, संगोष्ठी, भाषण प्रतियोगिताएं और बैनर, स्लोगन, कार्ड, चार्ट आदि के साथ रैलियां आयोजित करते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, सभी स्कूल और संस्थान सेमिनार, कार्यशालाएं, निबंध लेखन, संगोष्ठी, भाषण प्रतियोगिताएं और बैनर, स्लोगन, कार्ड, चार्ट आदि के साथ रैलियां आयोजित करते हैं।

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English summary
National Education Day 2023 Theme History Significance FAQs: Every year in India, National Education Day is celebrated on 11 November. The celebration of National Education Day in India was officially started in the year 2008 by the Ministry of Human Resource Development. The birth anniversary of Maulana Abul Kalam Azad, the first education minister of independent India, is celebrated as National Education Day. Maulana Abul Kalam Azad was the Education Minister of India from 15 August 1947 to 2 February 1958. During his tenure, Maulana Abul Kalam Azad made incomparable contribution in the field of education. Because of his incomparable contribution, today the youth of India are giving tough competition to foreign students in studies. In many big countries including America, Japan and UK, Indian youth are illuminating the name of India with their skills. Let us know the National Education Day and know interesting facts related to the life of Maulana Abul Kalam Azad.
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