Mahatma Gandhi Movements List In Hindi 2022 भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी नें भारत को अंग्रेजों से आजाद करवाने के लिए अनेक आंदोलन किए, आंदोलन के कारण वह कई बार जेल भी गये। गांधी जी ने अपने आंदोलनों के कारण भारत की जनता को एकजुट किया। जिसके परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाना पड़ा। गांधी जी को सबसे पहले सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से 'राष्ट्रपिता' कहकर सम्बोधित किया था। गांधी जी नें जीवन भर अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों से भी इसका पालन करने के लिये कहा था। गांधी जी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए कई आंदोलन किए आइये उनके जन्मदिन के मौके पर उनके द्वारा किए गए कुछ ऐसे आंदोलन के बारे में जानते है जिनके द्वारा उन्हें भारत का राष्ट्र पिता का सम्मान मिला और उन्हें भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति में अहम मानते है...

महात्मा गांधी के प्रमुख आंदोलन (Mahatma Gandhi Movements List In Hindi)
चम्पारण सत्याग्रह 1917
खेड़ा सत्याग्रह 1918
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 1918
खिलाफत आन्दोलन 1919
असहयोग आंदोलन 1920
सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930
भारत छोड़ो आंदोलन 1942
चम्पारण सत्याग्रह 1917
भारत के बिहार राज्य में ब्रिटिश जमीदार किसानों को खाद्य फसलों को उगानें नहीं देते थे। जमीनदार किसानों को नील की खेती करने के लिए मजबूर करते थे और उनकी खरीद बहुत ही सस्ते दामों पर करते थे, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर होती जा रही थी। गांधी जी ने जमीदारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का नेतृत्व किया। जिसके बाद गरीब और किसानों की मांगों को माना गया।
खेड़ा सत्याग्रह 1918
वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा में बाढ़ और सूखे के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत ही ख़राब हो गई थी, जिस कारण वह कर माफ़ी की मांग कर रहे थे, परन्तु अंग्रेजों के द्वारा कर के लिए किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा और उन्हें बंदी बना लिया जाता था। गांधी जी के मार्गदर्शन में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ इस समस्या पर विचार विमर्श के लिए किसानों का नेतृत्व किया, जिसके बाद अंग्रेजों ने कर माफ़ करके सभी बंदियों को रिहा कर दिया था।
अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 1918
गांधी जी ने वर्ष 1918 अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन का मुख्य कारण मिल मालिकों द्वारा बोनस को समाप्त करने के खिलाफ था। बाद में मिल मालिकों ने 20 प्रतिशत बोनस देने की सहमति दी परन्तु उस समय महंगाई को देखते हुए 35 प्रतिशत बोनस की मांग की गई, जिसे ट्रिब्यूनल कोर्ट द्वारा स्वीकार किया गया। इससे गांधी जी लोकप्रियता बहुत बढ़ गई थी।
खिलाफत आन्दोलन 1919
खिलाफत आन्दोलन एक विश्वव्यापी आन्दोलन था। इसका मुख्य कारण तुर्की के लिए अंग्रेजों द्वारा काम करने के खिलाफ था। इससे सारे विश्व के मुसलमानों में अंग्रेजों के प्रति रोष था। भारत में खिलाफत का नेतृत्व 'आल इंडिया मुस्लिम कांफ्रेंस' द्वारा किया गया था। गांधी जी इस आंदोलन के मुख्य प्रवक्ता थे। गांधी जी ने अंग्रेजों द्वारा दिए सम्मान और मैडल को वापस कर दिया, जिससे गांधी जी भारत के सभी समुदायों के लोगों के प्रमुख नेता बन गए।
असहयोग आंदोलन 1920
गांधी जी मानते थे कि अंग्रेज भारतीयों के सहयोग से अपनी सत्ता भारत में स्थापित कर पाए है, यदि हर भारतीय के द्वारा अंग्रेजों का असहयोग किया जाये, तो वह देश छोड़ कर चले जायेंगे। गांधी जी ने 1920 से लेकर 1922 तक असहयोग आंदोलन चलाया। जिससे वह भारत के एक लोकप्रिय नेता बन गए।
सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930
गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। इसका अर्थ था कि बगैर हिंसा किये सरकारी कानूनों को तोड़ना, जिसकी शुरुआत गांधी जी ने नमक कानून का उलंघन करके किया। इस आंदोलन के द्वारा भारतीय जनता का ध्यान देश की आजादी की तरफ मोड़ना था।
भारत छोड़ो आंदोलन 1942
भारत को आजादी दिलाने में गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस आंदोलन में गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा दिया, जिससे भारत की जनता अंग्रेजों के प्रति बहुत ही आक्रोशित हो गई, जिससे ब्रिटिश गवर्मेंट ने भारत को आजाद करने का फैसला किया।
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