Labour Day Lesser Known Facts About Workers May Day : हर साल 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को श्रमिक दिवस के नाम नाम भी जाना जाता है। 19वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमेरिका में श्रमिक संघ आंदोलन में सभी मजदूर दिन में आठ घंटे काम की मांग के लिए एकत्रित हुए। सन 1889 में मार्क्सवादी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने एक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन में मांग की कि श्रमिकों को दिन में 8 घंटे से अधिक काम नहीं करना चाहिए। इसके बाद यह एक वार्षिक आयोजन बन गया और 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

मजदूर दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस समाज में कर्मचारियों के योगदान और देश के निर्माण में अतुलनीय योगदान के लिए मनाया जाता है। यह दुनिया के सभी मजदूरों को समर्पित है। इसे भारत में मई दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह 1923 में भारत में तब अस्तित्व में आया, जब कॉमरेड सिंगरवेलर के नेतृत्व में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने देश में पहला राष्ट्रीय उत्सव आयोजित किया। इस के बाद सरकार ने मजदूर दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। इसी दिन महाराष्ट्र दिवस और गुजरात दिवस मनाया जाता है।
मई दिवस का महत्व
मई दिवस समाज के लिए और श्रमिकों के योगदान और बलिदान को याद करने का दिन है। इस दिन का महत्व उस समय से है, जब संयुक्त राज्य अमेरिका में श्रमिकों ने कठोर श्रम कानूनों, श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन, खराब काम करने की स्थिति और अधिक काम के घंटों के खिलाफ विरोध करना शुरू किया। इस विरोध में 8 घंटे काम करने की मांग कर रहे हड़ताली श्रमिकों में से दो को गोली मार दी गई। इसके बाद 1916 में विरोध तेज हुआ और सरकार को 8 घंटे काम करने की नीति को पास करना पड़ा।
भारत में मई दिवस कब शुरू हुआ
भारत में लोगों ने 1 मई 1923 से मजदूर दिवस मनाना शुरू किया। भारत में इसकी शुरुआत तब हुई जब कॉमरेड सिंगरवेलर के नेतृत्व में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा पहली बार मजदूर दिवस का आयोजन किया गया। भारत में पहली बार मई दिवस 1923 में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में मनाया गया था। इस दिन श्रमिक संघ के नेताओं द्वारा मजदूर दिवस पर भाषण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस दिन भारत में स्कूल, कॉलेज और कार्यालय बंद रहते हैं।
मई दिवस अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस का इतिहास
शिकागो, संयुक्त राज्य अमेरिका में, श्रमिकों के एक संघ ने 1886 में 8 घंटे के कार्यदिवस के लिए आम हड़ताल की घोषणा की थी। हड़ताल हिंसक होने के बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिसकर्मियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जनता पर बम फेंके गए। कई मजदूरों की मौत हो गई और कुछ घायल हो गए। कुछ वर्षों के बाद मजदूरों की मांग मान ली गई और 1916 में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाने की घोषणा की गई।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस से जुड़े रोचक तथ्य
14 जुलाई 1889 को यूरोप में सोशलिस्ट पार्टियों की पहली अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा घोषित किए जाने के बाद, मई दिवस पहली बार 1 मई 1890 को मनाया गया था।
पेरिस में श्रमिकों के लिए हर साल 1 मई को 'अंतर्राष्ट्रीय एकता श्रमिक दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की गई थी।
यूरोप में 1 मई को ग्रामीण पारंपरिक किसान त्योहारों के साथ जोड़ा गया है, लेकिन बाद में इसे मई दिवस के साथ जोड़ दिया गया।
अमेरिका के शिकागो में 1886 में श्रमिकों द्वारा एक शांतिपूर्ण रैली में पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई, जिसमें 38 नागरिकों और 7 पुलिस अधिकारी की मौत हो गई। तब इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में चुना गया।
भारत में मई दिवस या मजदूर दिवस या 'अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस', तमिल में 'उझोपलार नाल' और मराठी में 'कामगार दिवस' जैसे कई नामों से जाना जाता है।
भारत ने अपना पहला मजदूर दिवस 1923 में मद्रास (चेन्नई) में मनाया था।
विश्व में 80 से अधिक देशों (भारत सहित) में मजदूर दिवस पर छुट्टी रहती है।
लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा भारत में पहली बार मई दिवस समारोह का आयोजन किया गया था।
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