Speech Essay On World Earth Day 2022 10 Points To Save Earth Climate Pollution: पूरे विश्व में धरती को संरक्षित करने के लिए हर साल नए विषय के साथ 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष पृथ्वी दिवस 2022 की थीम 'इन्वेस्ट इन अवर प्लैनेट' रखी गई है। पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत 22 अप्रैल 1970 को अमेरीकी सीनेटर व पर्यावरणविद् गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी। आज पूरी दुनिया में 194 देश विश्व पृथ्वी दिवस माना रहे हैं। मनुष्यों की गलत गतिविधियों के कारण, आज पूरे देश के सामने जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। जिसमें वायु प्रदूषण सबसे महत्वपूर्ण घटक है। इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए हर देश के कौने-कौने में विश्व पृथ्वी दिवस मानकर लोगों को परियावर्ण के प्रति जागरूक कर रहे हैं।

जहरीली गैसे वैसे ही पृथ्वी का भी दम घोटती हैं जैसे बुखार होने पर हमें सांस लेने में दिक्कत होती है। जैसे पृथ्वी का तापमान बढ़ता है, वैसे ही उसका भी स्वस्थ्य गड़बड़ हो जाता हैं और 'गलोबल वार्मिंग' जैसी भयानक स्तिथि उत्पन्न हो जाती यही। प्रदूषण फैलाने का मतलब है वायुमंडल व जलमंडल का संतुलन बिगाड़ना। तो आइए, संकल्प लें कि हम किसी भी हाल में प्रदूषण नहीं फैलाएंगें। जंगल नहीं काटेंगे, क्योंकि वृक्ष पर्यावरण संतुलन के सबसे बड़े श्रोत हैं।
वृक्ष ही जलवायु व मौसम को ठीक रखते हैं, वन्य जीवन को संरक्षण देते हैं, बाढ़ व भू आपदा को नियंत्रित करते हैं। भूकंप आने से रोकते हैं, हमें खाना, ऑक्सीजन, औषधि और बहुत कुछ देते हैं। लेकिन जिस तरह लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं, वह मानव जीवन के लिए खतरे की घंटी बजाने जैसा है। अतः हमें वृक्षों को काटने से रोकना होगा, लकड़ी के विकल्प के रूप में लोहे या फाइबर को प्रयोग करना होगा और दूसरे विकल्प भी तलाशने होंगे। कागज के उपयोग पर भी रोक लगानी होगी। तभी धरती बच पाएगी।

पृथ्वी को कैसे बचाएं (How To Save Earth)
खनन रोकें - लगातार खनन से धरती की परत क्षतिग्रसत होती है और इससे भूस्खलन की संभावना बढ़ती है। जिसके कारण भूकंप तक आ जाते हैं, जिससे धरती बुरी तरह प्रभावित होती है। तो बेहतर होगा कि हम अपने लालच को छोड़ें और सरकारें भी इस संदर्भ में ईमानदार हों।
गंदगी न फैलाएं - यह खेद का विषय है कि हम भारतीय गंदगी फैलाने में दुनिया भी में सबसे आगे हैं। अपने आस पास ही नहीं, साफ सुथरे पहाड़ों और नदियों तक पर भी हम गंदगी फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। 'स्वच्छ भारत' व 'नमामि गंगे' जैसे अनेक अभियान हम अपनी इस आदत से फेल कर चुके हैं। हमें अपनी यह गंदी आदत छोड़नी पड़ेगी, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब पृथ्वी समाप्त हो जाएगी।
बैक टू नेचर - एक बार फिर समय है प्रकृति की गोद में लौटने का। अपने जीवन में प्रकृति को महत्व दें प्रकृति पूजन की तरफ वापस आएं। पेड़ पौधों, पशु पक्षी, जल जंगल जमीन से प्यार करना सीखें उन्हें हिफाजत दें। तुलसी, नीम, पीपल, बरगद जैसे उपयोगी पेड़ लगाएं। पेड़ से ही धरती का संतुलन बनेगा और आने वाली पीड़ी को हम एक बेहतर भविष्य दे पाएंगे।
पशु पक्षियों को बचाएं - पशु पक्षी भी पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी हैं। शिकार व दूसरी वजहों से उनकी संख्या घटती जा रही है। इससे भोजन शृंखला में गड़बड़ बढ़ी है। संतुलन बिगड़ा है और प्राकृतिक असंतुलन को बढ़ावा मिला है। बेहतर हो कि हम पशु पक्षियों को बचाएं, पशु पक्षियों के अंगों से बने उत्पादों को ना कहें और पृथ्वी को बचाने में अपना सहयोग दें।
पूल वाहन प्रणाली अपनाएं - अक्सर हम आने जाने के लिए ईंधन चालित व्यक्तिगत वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। वाहनों के अंधाधुंध प्रयोग से वायुमंडल में कार्बनडाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, जैसी गैसों के साथ धुंआ भी निकलता है। जिसके कारण, प्रदूषित वायु सांस में जाती है और पृथ्वी का ताप भी बढ़ता है। तो कितना अच्छा हो कि हम पूल वाहन प्रणाली अपनाएं। कुछ लोग मिलकर एक ही वाहन का प्रयोग करें। इससे तेल की बचत भी होगी और प्रदूषण का स्तर भी काबू हो जाएगा।
जागरूकता लाएं - सबसे प्रभावशाली कदम होगा लोगों में पृथ्वी की सुरक्षा हेतु जागरूकता पैदा की जाए। बच्चों को इस विषय में शिक्षित किया जाए, इसके लाभ बताए जाएं। अपनी धरती के प्रति एक लगाव पैदा किया जाए। बताया जाए कि यदि धरती ही नहीं रही तो कुछ भी नहीं रहेगा। धरती बीमार होगी तो सब बीमार होंगे। धरती पर संकट होगा, तो सब पर संकट होगा। करने को तो बहुत कुछ है पर हम इतना भी कर पाएं तो पृथ्वी दिवस मनाना सफल हो जाएगा।